सात रणबांकुरियो के बीच होंगी सदर-ए-शहर की जंग
इलेक्शन परतवाड़ा-अचलपुर के

* नुरूस सबहा, शबाना बानो, रुपाली, पर्वणी, राधिका, सारिका और रेखा ने ठोका है दम
परतवाड़ा/दि.25 -करीब एक लाख मतदाताओं को अचलपुर के आखरी छोर सरमसपुरा से लेकर परतवाड़ा के मुगलाईपुरा तक अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक अदद, शालीन, रचनात्मक और कार्यशील नगराध्यक्ष का चयन करने का मौका अब सामने खड़ा है.अभी नही तो कभी नही जैसी स्थिति बनी हुई है.विगत 6 वर्ष जुडवाशहर की आम जनता ने प्रशासक राज को सहन किया औऱ यह भी समझा कि निर्वाचित अध्यक्ष और प्रशासक की कार्यप्रणाली में क्या फर्क होता है.
अब सभी सियासी दल मैदान में खम ठोक कर दिखाई दे रहे है. बच्चू भाऊ का प्रहार, राहुलजी की कांगेस, असादुदीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी, राज्य और देश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एकनाथ शिंदे की धनुष्य बाण उठाये खड़ी सेना भी मैदान में है.प्राप्त जानकारी के अनुसार एक प्रत्याशी ने सभी पार्टी उम्मीदवारो को बतौर निर्दलीय खड़े रहकर खुली चुनौती भी दे रखी है.
पिछले जो आम चुनाव हुए थे उसमें शिवसेना की उम्मीदवार सुनीता नरेंद्र फिस्के नगराध्यक्ष बनने में सफल रही थी. सुनीता को करीब 22 हजार वोट प्राप्त हुए थे, उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सरवत अंजुम साजिद फुलारी को 21 हजार 404 वोट लेकर पराजय का सामना करना पड़ा था. इसी चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 9 हजार 995, प्रहार को 4 हजार 420, राष्ट्रवादी कांग्रेस को 1 हजार 284 और दो निर्दलीय को कुल 2 हजार वोट मिले. साजिद फुलारी ने पिछले चुनाव में जमकर मुकाबला किया और बहुत कम वोट से उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था. अब प्रशासक राज के विगत वर्षों में शहर की सोच, मतदाताओं की उम्मीदें और विकास के दृष्टिकोण के प्रति नजरिया बदल चुका है.
वर्ष 2025 के इस आम चुनाव में दलगत राजनीति के साथ ही जातिय समीकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे. जुडवा शहर में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के 25 से 27 हजार वोट होने का प्राथमिक अंदाज है.कांग्रेस के उम्मीदवार को पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के वोट मिले इसके लिए सांसद बलवंत वानखड़े कोई कसर नही छोड़ेंगे.दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान होने की खबर है.समीपस्थ चिखलदरा में सीएम के निकटवर्ती भाई कलोती भी खड़े है. फिलवक्त अचलपुर और मेलघाट में बीजेपी के विधायक होने से धारणी, चिखलदरा और परतवाड़ा-अचलपुर पर सीएम का व्यक्तिगत ध्यान केंद्रित होने की बात जानकर कह रहे है.
अध्यक्ष की राजनीतिक लड़ाई में बीजेपी की रुपाली अभय माथने के घर-घर संपर्क अभियान को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा, वही उबाठा सेना की राधिका घोटकर ने भी मतदाताओं से मिलने जुलने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है.राधिका के श्रीमान पति अरुण घोटकर नवरंग नवदुर्गा की ऐतिहासिक पदयात्रा से सभी के परिचित है.एहतेशाम नबील के आवाम के लिए काम, शबाना बानो गुल हुसैन की समाजसेवा को भी मतदाता तराजू में जरूर तौलेंगे. रेखा जियालाल गडरेल यह शिंदे सेना की सिपहसालार के रूप में नगराध्यक्ष का परचम लहराने तैयार है, जबकि पर्वणी सुनील बावने यह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इन सभी पार्टियों को चैलेंज देने में लगी दिखाई दे रही.
कुल 13 मोहतरमाओ ने अध्यक्ष के लिए पर्चा दाखिल किया था, उसमें से छह ने अपनी उम्मीदवारी वापिस ली.अब सात मैदान में है.भारतीय जनता पार्टी के कुछ पदाधिकारी ऑफ द रिकार्ड यह भी कह रहे है कि जुडवाशहर में पार्टी को भितरघात का बड़ा सामना करना पड़ सकता है. अभी सिर्फ 6 महीने पूर्व ही विधानसभा के चुनाव हुए, प्रवीण तायड़े को बीजेपी से विधायक पद नसीब हुआ.सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रवीणजी से जुड़े दाएं-बायों की अपेक्षाएं भी आसमान में उड़ने लगी थी.भाऊ के समय केटलिया गरम होने की चर्चा खासे तौर पर सुनने को मिलती रही, वही अब यह कहा जा रहा है कि बैलगाड़ी के नीचे चलता श्वान खुद तो ठंडी हवा का सुख भुगतते रहता लेकिन उसे यह गुमान भी हो जाता है कि पूरी बैलगाड़ी का बोझ वो खुद ढो रहा है.इस खामख्याली के चलते बीजेपी के कई लोकल स्टार प्रचारकों को अपनी मिट्टीपलिद करा के टिकट से हाथ धोना पड़ा.
अभय माथने यह भाजपा के एक समर्पित कार्यक्रता, मजदूर नेता है.उनका दोनो शहरों में घना जनसंपर्क ही उनकी सबसे मजबूत ताकत बताई जा रही.दूसरी ओर उद्धव ठाकरे के प्रतिनिधि के रूप में अरुण घोटकर की पत्नी राधिका मैदान में है.कांग्रेस और एआईएमआईएम के दोनों प्रत्याशियों को कम नही आंका जा सकता है. फिलहाल वोटर शांत है और वो पूरे शहर की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे हुए है. प्रहार की सारिका के लिए यह राजनीतिक पुनर्जन्म का मौका है तो गडरेल की चुनावी सफलता किसी संजीवनी से कम नही होंगी.
महिला राज में पति राज से हर कोई वाकिफ है.अभय माथने छाती ठोक कर कहते फिर रहे कि यदि रुपाली निर्वाचित होती है तो उनके प्रशासन में मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं होंगा.बाकी पति बिरादरी की तरफ से अभी तक ऐसी कोई गारंटी वोटरों को नही मिली है. चतुर सूजन वोटर यह नगराध्यक्ष रूपी वस्त्र के साथ उस पर लगे अस्तर को भी गौर से देख रहा है.
‘समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई’
‘कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता’





