तीन मुख्यमंत्रियों ने भेंट देने के बाद भी कुपोषण की समस्या कायम
चिखलदरा और धारणी में बढ रही तीव्रता

* विधान मंडल के शीत अधिवेशन में भी गूंजा था मुद्दा
अमरावती/दि.27 -अमरावती जिले के धारणी और चिखलदरा तहसील में कुपोषण कम करने के लिए सरकार की ओर से पूरक पोषण आहार, टेक होम राशन, कुपोषित बच्चों के लिए एनर्जी डेन्स न्यूट्रिशियस फूड और आदिवासी क्षेत्र में अमृत आहार योजना आदि विविध योजनाएं है. इन योजनाओं का प्रभावी अमल होने की बात विधान मंडल में डंके की चोट पर कही जाती है, जबकि वास्तव में स्थिति इसके विपरित है. इस बात को ध्यान में लेकर मुंबई उच्च न्यायालय ने सचिव को मेलघाट का दौरा कर रिपोर्ट पेश करने कहा. 22 अगस्त 1996 में मनोहर जोशी, 29 नवंबर 2014 में देवेंद्र फडणवीस और इसके पूर्व 1990 से 1991 के करीब तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार इन तीन मुख्यमंत्रियों ने अब तक भेंट दी है. इतनाही नहीं तो विधानमंडल के शीत अधिवेशन में अंतिम सप्ताह प्रस्ताव में बालकों की कुपोषण से मृत्यु यह विषय मुख्य रहता है. इतना कुछ करने के बाद भी कुपोषण की समस्या अभी तक हल नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय, यह अधिवेशन महाराष्ट्र की उप राजधानी में हो रहा है… ऐसा कहकर प्रत्येक शीत अधिवेशन में कुपोषण पर चर्चा होती है. दिसंबर 2022 में तत्कालीन विपक्ष नेता अजीत पवार ने ध्यान केंद्रित किया था. इस संबंध में विजय वडेट्टीवार ने यह मुद्दा अधिवेशन में रखा था.
* अजीतदादा ने की थी चर्चा
21 दिसंबर 2017 के अधिवेशन में तत्कालीन विपक्ष नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने एकात्मिक बालविकास सेवा योजना की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में विगत दो माह में 1236 बालकों की कुपोषण से हुई मृत्यु इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव की सूचना दी थी. यह सूचना स्थगन प्रस्ताव में बैठने वाली नहीं होने पर भी इस विषय की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने निवेदन करना चाहिए, यह निर्देश अध्यक्ष ने दिए थे. 18 जुलाई 2018 के मानसून अधिवेशन में तथा 29 दिसंबर 2022 में तत्कालीन विपक्ष नेता अजीत पवार ने भी चर्चा की थी.
ऐसा करने पर कम होगा कुपोषण
आम्ही आमच्या आरोग्यासाठी इस संस्था के संयोजक तथा संस्थापक ट्रस्टी डॉ. सतीश गोगुलवार ने वर्तमान में आदिवासी क्षेत्र में माता व बालकों के लिए चलाई जा रही योजना, आईसीडीएस व आरोग्य विभाग में समन्वय होना, सही आंकडेवारी घोषित करना और गांव स्तरीय लोगों को (जनप्रतिनिधि, महिला बचत गुट) कुपोषण संबंधी नियमित प्रशिक्षण, उनके द्वारा देखरेख करना, स्वास्थ्य विभाग व आईसीडीएस विभाग में पदभर्ती, सैम बालकों को एनआरसी व सीटीसी में रेफर करने की नि:शुल्क सुविधा होना जरूरी है, ऐसा उपाय बताए है.
* कुपोषण कम न होने के मुख्य कारण
मुख्य मुद्दा यह केवल आहार की उपलब्धता न होकर सही पोषण, ज्ञान, आर्थिक स्थिरता व स्वास्थ्य सेवा तक पहुंचना यह है. गर्भधारणा में पोषणा का अभाव, नवजात को समय पर स्तनपान न मिलना, पूरक आहार 6 महीने के बाद शुरु करना चाहिए देरी से शुरु करना, निरंतर संक्रामक रोग, वीएचएसएनसी का प्रशिक्ष्ज्ञण व उनके सक्रीय सहभागिता की कमी, शुद्ध पेयजल का अभाव, सैम बालकों को एनआरसी में रेफर करने अपर्याप्त प्रयास, आयसीडीएस विभाग व आरोग्य विभाग के समन्वय का अभाव, तहसील स्तर पर आयसीडीएस प्रकल्प के प्रमुख के रिक्त पद व आंगनवाडी, सुपरवाइजर के रिक्त पदों के कारण नियमित आंगनवाडी के काम पर देखभाल कम होती है. कम वजन के नवजातों के जन्म का प्रमाण तीन साल में 50 प्रतिशत से कम हुआ और कुपोषण के (3 वर्ष आयु के बालक) सैम, मॉम, एसयूडब्ल्यू, एमयूएम का प्रमाण 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत कम करना संभव हुआ. तीन साल में 106 एसएएम व एसयूडब्ल्यू बालकों को परिवार व वीएचएसएनसी की मदद से एनआरसी में रेफर करने की जानकारी डॉ. सतीश गोगुलवार ने दी.





