गणोरी के युवक का जीभ कैंसर ठीक
सुपर में फ्री फ्लैप द्बारा चमत्कार

* विशेषज्ञों ने की यशस्वी सर्जरी
* नया जीवन, बोल भी सकेगा मरीज
अमरावती/ दि. 27- विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल में फ्री फ्लैप से यशस्वी शस्त्रक्रिया करते हुए गणोरी के 49 वर्ष के मरीज को न केवल कर्क रोग से मुक्ति दिलाई. अपितु दुर्लभ शस्त्रक्रिया सफल कर उसे नया जीवन देेने का काम कैंसर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कर दिखाया. यह सर्जरी अत्यंत जटिल रहने की जानकारी सर्जन डॉ. रोहित मूंधडा और प्लॉस्टिक सर्जन डॉ. तक्षक देशमुख ने दी. उनके साथ अन्य सहयोगी चिकित्सकों की मदद से यह जटिल ऑपरेशन सक्सेस फुल होने की जानकारी समाजसेवा अधीक्षक शीतल बोंडे ने मीडिया को दी. बता दें कि विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल में कई दुर्लभ ऑपरेशन न केवल यशस्वी हुए है. बल्कि दर्जनों रूग्णों को लगभग नि:शुल्क उपचार कर नया जीवन दिया गया है.
क्या है फ्री फ्लैप तकनीक
डॉक्टर्स ने बताया कि गणोरी के रहनेवाले उक्त मरीज पर दूसरी बार कर्क रोग ने हमला किया. उनका यह दूसरा ऑपरेशन जोखिम भरा था. क्यों कि जीवन मरण का प्रश्न हो गया था. मरीज की चेहरे की रचना पहले ही बदली गई थी. धमनियों का भी उपयोग पहले हो गया था. इसलिए फ्री फ्लैप तकनीक अपनानी पडी. जिसमें मरीज की हाथों की त्वचा और जीवंत धमनियों को सुक्ष्म दर्शक से जोडकर चेहरे की दोबारा रचना करनी पडी. शरीर का एक भाग निकालकर दूसरे स्थान पर रक्त आपूर्ति जीवित करना सचमुच अदभूत कला विशेषज्ञों ने बताई है. इस प्रकार की शस्त्रक्रिया बडे शहरों के महंगे निजी अस्पतालों में ही हो पाती है. ऐसे में सुपर मेें डॉक्टर्स ने मानो चमत्कार कर दिखाया है. पूर्ण सर्जरी और उपचार नि:शुल्क हो जाने की जानकारी अस्पताल अधीक्षक ने दी.
दोबारा बोल सकेंगे मरीज
इस तरह के ऑपरेशन में मरीज की जबान चली जाती है. किंतु सुपर के विशेषज्ञों ने बडी सावधानी रखी और पेशंस के साथ इस प्रकार ऑपरेशन किया कि मरीज दोबारा बोल सकेगा. उसी प्रकार कोई खाद्य सामग्री या पेय निगल सकेगा. सर्जरी में कैंसर तज्ञ डॉ. रोहित मूंधडा, डॉ. भूषण मूंधडा, डॉ. तक्षक देशमुख, डॉ. प्रीतेश पडगव्हाणकर, डॉ. राखी वानखडे, डॉ. रमणीका ढोमणे, डॉ. माधुरी गाडेकर, डॉ. रोहिणी राठोड, डॉ. एश्वर्या, डॉ. स्नेहल, डॉ. प्रियंका, डॉ. साक्षी और संपूर्ण नर्सिंग स्टाफ का बहूमूल्य योगदान रहा.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
डॉक्टर रोहित मूंधडा ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन केवल कैंसर निकालने तक सीमित न था. हमने सावधानी रखी कि मरीज पुन: सामान्य जीवन जी सके. यह चुनौतीपूर्ण था. टीम वर्क के कारण रूग्ण सुरक्षित है. इसका अधिक संतोष है.
डॉ. तक्षक देशमुख ने कहा कि फ्री फ्लैप का उपयोग कर जीभ को दोबारा बनाना तकनीक और कौशल्य की अत्युच्च परीक्षा थी. धमनियों में मायक्रो जुडाव, पहले की शस्त्रक्रिया से बदले हुए स्ट्रक्चर और संसर्ग का खतरा आदि पर मात कर यशस्वी पुनरर्चना की गई. आज रूग्ण का फ्लैप जीवित है, यह समाधान की बात है.





