क्या रिटायर होने के बाद राजनीति में आएंगे पूर्व सीजेआई गवई?
सीएम फडणवीस के बयान से तेज हुई चर्चाएं

नागपुर /दि.27- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति भूषण गवई के राजनीति में प्रवेश करने की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रचार सभा के दौरान किया गया एक बयान अचानक सुर्खियों में आ गया है. इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नए सवाल खड़े कर दिए हैं और चर्चा का विषय बना है. स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव प्रचार के लिए वाड़ी नगरपालिका में आयोजित रैली में मुख्यमंत्री ने कहा कि भूषण गवई ने सरन्यायाधीश पद की शपथ लेते ही झुडपी जंगल मामले पर अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिससे हजारों नागरिकों को राहत मिली. सीएम फडणवीस के इस बयान के बाद यह चर्चा और अधिक तेज हो गई है कि सेवानिवृत्ति के बाद भूषण गवई आगे किस भूमिका में नज़र आने वाले हैं – राज्यपाल, राज्यसभा, या सीधे सक्रिय राजनीति?
बता दें कि, विदर्भ के छह जिलों की झुडपी जंगल भूमि को वन क्षेत्र घोषित करने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में दिया. राज्य सरकार ने लगभग 86 हजार हेक्टेयर भूमि को ‘डिनोटिफाई’ करने का निर्णय लिया था, लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए बड़ा निर्णय सुनाया. फैसले के प्रमुख बिंदुओं के चलते 86 हजार हेक्टेयर क्षेत्र फिर से वनभूमि घोषित, 1980 के बाद झुडपी जंगल क्षेत्रों में हुए सभी निर्माण अतिक्रमण घोषित करते हुए दो वर्षों के भीतर सभी अवैध निर्माण हटाने के निर्देश जारी हुए थे. यह ऐतिहासिक निर्णय न्यायमूर्ति भूषण गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने दिया था. इसी संदर्भ का उल्लेख फडणवीस ने अपनी सभा में किया.
प्रचार सभा के दौरान मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर सीधे हमले से बचते हुए सकारात्मक मतदान की अपील की. उन्होंने कहा कि, हम यहां किसी की आलोचना करने नहीं, बल्कि विकास के नाम पर वोट मांगने आए हैं. भाजपा का झंडा कुर्सियां तोड़ने के लिए नहीं, विकास करने के लिए फहराया जाता है. फडणवीस ने आगे कहा कि, पहले की सरकारों ने शहरों की योजना नहीं बनाई, इसलिए अतिक्रमण बढ़ा. लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी. प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के बाद शहरी विकास हेतु हजारों करोड़ दिए. वाड़ी क्षेत्र के सभी नागरिकों को भविष्य में पट्टे वितरित किए जाएंगे
फडणवीस के बयान के बाद राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि भूषण गवई के राजनीति में आने की चर्चा अब और प्रबल हो सकती है. वर्तमान चुनावी माहौल में यह मुद्दा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भी हो सकता है. फिलहाल इस विषय पर गवई या उनके परिवार ने कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.





