वाशिम में नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवार के खिलाफ याचिका अदालत ने खारिज की

भाजपा को बड़ी राहत, अनिल केंदले चुनाव लड़ने के पूर्णतः पात्र

* जिला एवं सत्र न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला
वाशिम /दि.27- वाशिम नगर पालिका चुनाव में भाजपा को बड़ी राहत देते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने भाजपा के नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवार अनिल केंदले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अनिल केंदले चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह पात्र हैं. केंदले के खिलाफ विरोधी पक्ष की ओर से प्रवीण वसंत मापारी ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि उम्मीदवार का पुत्र सरकारी ठेकेदार है, इसलिए हितसंबंधों का टकराव होता है और पात्रता रद्द की जानी चाहिए. लेकिन सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह आक्षेप अस्वीकार कर दिया. कोर्ट का फैसला भाजपा के लिए बड़ा मनोबल साबित हुआ है.
इस मामले को लेकर अंतिम सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल सुब्रहमण्यम की अदालत में हुई. पूरे मामले की गहन जांच के बाद याचिका खारिज कर भाजपा उम्मीदवार को राहत प्रदान की गई. कानूनी प्रक्रिया के दौरान भाजपा उम्मीदवार की ओर से अधिवक्ता सुधीर मोरे ने पक्ष रखा. विरोधी याचिका मुख्यतः शिवसेना (ठाकरे गट) की उम्मीदवार रेखा सुरेश मापारी के समर्थन में दाखिल मानी जा रही थी. अदालत के निर्णय के बाद चुनाव मैदान में भाजपा का मनोबल बढ़ा है, जबकि विपक्ष के लिए यह झटका माना जा रहा है.
* चुनाव प्रचार के बीच कानूनी लड़ाई
इस समय वाशिम नगर पालिका चुनाव में प्रचार जोरों पर चल रहा है. इसी दौरान विरोधी पक्ष अदालत में पहुंचा और केंदले की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की. मगर निर्णायक समय पर अदालत के फैसले ने खेल की दिशा बदल दी है.
* जिले में बहुरंगी मुकाबले के संकेत
वाशिम जिले में नगर निकाय चुनाव बेहद रोचक और बहु-पक्षीय होने के संकेत हैं, जहां पर 4 नगर पालिका + 1 नगर पंचायत में चुनाव हो रहे है और 5 नगराध्यक्ष पदों सहित कुल 69 प्रभागों में 138 पार्षद पदों के लिए आगामी 2 दिसंबर को मतदान कराया जाना है. इसके चलते जहां एक ओर महायुति के घटक कई स्थानों पर अलग-अलग चुनाव मैदान में है. वहीं दूसरी तरफ महा विकास आघाड़ी (मविआ) एकजुट दिखाई दे रही है. इसके अलावा वंचित आघाड़ी भी मुकाबले में है. इससे स्पष्ट है कि चुनाव में हर सीट पर कड़ा और त्रिकोणी/बहुरंगी संघर्ष देखने को मिलेगा.
* फैसले के बाद राजनीतिक माहौल गर्म
अदालती फैसले के बाद जहां एक ओर भाजपा खेमे में उत्साह दिखाई दे रहा है. वहीं इसे शिवसेना ठाकरे गट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. साथ ही इस चुनाव के प्रचार में फैसले का बड़ा प्रभाव पड़ने के आसार पूरे आसार है. क्योंकि वाशिम में यह कानूनी फैसला भाजपा के लिए चुनावी बढ़त का बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

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