निकाय चुनाव पर स्थगिती नहीं, अगली सुनवाई 21 जन. को
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दी बडी राहत

* अब तीन जजों की बेंच करेगी मामले की सुनवाई
* निकायों में 50 फीसद से अधिक आरक्षण को लेकर दायर हुई है याचिका
नई दिल्ली/मुंबई/दि.28 – राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव में 50 फीसद आरक्षण की मर्यादा का उल्लंघन होने को लेकर दायर की गई याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला तीन न्यायमूर्तियों के बेंच के पास भेजने का निर्णय लिया है और अगली सुनवाई हेतु 21 जनवरी की तारीख तय की गई है. साथ ही स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को लेकर कोई स्थगिती भी नहीं दी गई है. जिसके चलते महाराष्ट्र में स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव का रास्ता आखिरकार आसान हो गया है और अब 288 नगर परिषदों व नगर पंचायतों के चुनाव तय कार्यक्रम के अनुरुप ही होंगे. जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 50 फीसद की आरक्षण मर्यादा को पार करनेवाले चुनाव भी आदेशाधिन ही रहेंगे.
बता दें कि, राज्य की 40 नगर परिषदों व 17 नगर पंचायतों में 50 फीसद आरक्षण की अधिकतम मर्यादा का उल्लंघन होने की कबूली राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी. जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों के चुनाव से संबंधित सुनवाई पूरी हुई. इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, मनपा, जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव में विलंब नहीं होगा. 50% आरक्षण सीमा का उल्लंघन करने वाले स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव कोर्ट के आदेशाधीन रहेंगे. अगली सुनवाई 21 जनवरी को तीन जजों की बेंच करेगी. 288 नगरपरिषद एवं नगरपंचायत के चुनाव घोषित कार्यक्रम के अनुसार ही होंगे.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा रही है. बांठिया आयोग की रिपोर्ट को फिलहाल आधार माना जाएगा, यद्यपि इसकी वैधता पर आगे विस्तृत बहस होगी. जिन जगहों पर 50% से अधिक आरक्षण किया गया है, उनके चुनाव अंतिम निर्णय तक कोर्ट की निगरानी में रहेंगे. मनपा, जिला परिषद और पंचायत समितियों में 50% से अधिक आरक्षण मान्य नहीं होगा.
वहीं आज हुई सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनाव आयोग ने जानकारी देते हुए बताया कि, 40 नगरपरिषदों एवं 17 नगरपंचायती में 50% आरक्षण सीमा पार हुई है. 2 दिसंबर को मतदान आयोजित होना है. निर्वाचन क्षेत्र पुनर्रचना, आरक्षण प्रभाग और मतदाता सूची की तीनों प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं. उधर ओबीसी संगठनों ने बांठिया आयोग की रिपोर्ट पर कड़ा आक्षेप जताया, जबकि कोर्ट ने फिलहाल इसे बेंचमार्क मानने की बात कही. कोर्ट ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट की वैधता पर विस्तृत चर्चा आगे की सुनवाई में की जाएगी.
मामले की आज हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव रोकने का कोई आदेश नहीं जारी किया, बल्कि कहा कि, सभी चुनाव अंतिम आदेश अधीन होंगे. साथ ही यह मामला तीन जजों की बेंच को भेजा गया, जहां पर सुनवाई 21 जनवरी को होगी. साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव का रास्ता खुल गया है और सरकार व चुनाव आयोग दोनों के लिए राहत की स्थिति बनी है. वहीं, आरक्षण विवाद पर अंतिम फैसला जनवरी की सुनवाई के बाद ही स्पष्ट होगा.
* इस शर्त के अधीन रहकर करवाने होंगे चुनाव
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा चुनाव परिणाम का भविष्य
बता दें कि, महाराष्ट्र में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव के बीच 50% से अधिक आरक्षण लागू होने का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जिसके बाद चुनाव प्रक्रिया पर संकट के बादल मंडराए होते. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करते हुए नगरपरिषद और नगरपंचायत चुनाव को हरी झंडी दे दी है. हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन नगरपरिषदों और नगरपंचायतों में आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक है, उनके चुनाव परिणाम जनवरी में होने वाली सुनवाई के अंतिम निर्णय पर निर्भर रहेंगे.
सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाला बागची की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष हुई. अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र में चल रही नगरपरिषद और नगरपंचायत चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी. परंतु जहाँ आरक्षण 50% से अधिक है, ऐसी 57 नगरपरिषद और नगरपंचायत के परिणाम कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे. यानि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को लेकर आगामी जनवरी माह में होनेवाली सुनवाई के बाद सुनाए जानेवाले फैसले पर निकाय चुनावों के भविष्य का फैसला निर्भर करेगा.
* अब महानगर पालिका चुनाव का क्या होगा?
ज्ञात रहे कि, नगरपरिषद व नगरपंचायत चुनाव के बाद होने वाले जिला परिषद एवं महानगर पालिका चुनावों पर भी चर्चा तेज हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने इन चुनावों के कार्यक्रम में भी कोई बदलाव न करने और प्रक्रिया निर्धारित समय पर पूरी करने के निर्देश जारी किए हैं. इस प्रकार, महाराष्ट्र में सभी स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनाव आगे भी होते रहेंगे, मगर जहाँ 50% से अधिक आरक्षण है, वहाँ कानूनी परिणाम जनवरी के आदेश के बाद बदल भी सकते हैं. यानि कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में चुनाव प्रक्रिया को बाधित नहीं होने दिया, लेकिन आरक्षण सीमा विवाद पर अंतिम फैसला जनवरी की सुनवाई के बाद ही स्पष्ट होगा.
* आज हुई सुनवाई में क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
– मनपा, जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव में विलंब नहीं होगा.
– 50 फीसद आरक्षण सीमा का उल्लंघन करने वाले स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव कोर्ट के आदेशाधीन रहेंगे.
– 288 नगरपरिषद एवं नगरपंचायत के चुनाव घोषित कार्यक्रम के अनुसार ही होंगे.
– किसी भी चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा रही है. अगली सुनवाई 21 जनवरी को तीन जजों की बेंच करेगी.
– बांठिया आयोग की रिपोर्ट को फिलहाल आधार माना जाएगा, यद्यपि इसकी वैधता पर आगे विस्तृत बहस होगी.
– जिन जगहों पर 50% से अधिक आरक्षण किया गया है, उनके चुनाव अंतिम निर्णय तक कोर्ट की निगरानी में रहेंगे.
– मनपा, जिला परिषद और पंचायत समितियों में 50% से अधिक आरक्षण मान्य नहीं होगा.
* 50 फीसद आरक्षण की मर्यादा पार करनेवाले निकाय
नगर परिषद -40
नगर पंचायत – 17
महानगर पालिका – 2
जिला परिषद – 17
पंचायत समिति – 84
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