मिर्जा एक्सप्रेस ने वर्‍हाडी भाषा को दिलाया सम्मान

कवि डॉ. मिर्जा रफी अहमद को दी गई श्रध्दांजलि

* हाईकोर्ट के वकील फिरदौस मिर्जा, साहित्यिक किशोर मुगल की उपस्थिति
* गांव के लोगों ने सअश्रु किया याद
अमरावती/ दि. 1 – डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग एक ऐसे कवि थे, जिन्होेंंने विदर्भ में वर्‍हाडी भाषा को जीवित रखने का प्रयास किया. उनकी रचनाए सुनकर नये कवि तो उनके फैन हो जाते थे. उन्होंने वर्‍हाडी कवि लेखन का एक ऐसा पौधा लगाया था, जो आज भी लोगों के दिलों में फूल खिलाता है. एक व्यक्ति के अचानक निधन ‘वर्‍हाडी’ कवि विश्व मानो अनाथ हो गया हो, ऐसा प्रतीत होने लगा है. यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार किशोर मुगल ने व्यक्त किए.
स्थानीय शेगांव नाका परिसर में स्थित अभियंता भवन में रविवार को डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग मित्र परिवार की ओर से उनके निधन पश्चात श्रध्दांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर अपनी यादों को ताजा करते हुए वे बोल रहे थे. कार्यक्रम में कोल्हापुर के सूचना कार्यालय सह संचालक प्रवीण टाके, स्व. डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग के छोटे भाई एवं हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील एड. फिरदोस मिर्जा प्रमुखता से उपस्थित थे.
किशोर मुगल ने कहा कि डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग ने हमेशा ही दूसरों को प्रोत्साहित किया है. वे वर्‍हाडी कविताओं के माध्यम से जिस प्रकार समाज का प्रबोधन करते थे. उसी प्रकार वे दूसरों की कला का भी पुरस्कार करते थे. जिसके कारण उनके जैसा व्यक्ति हमारे बीच न रहने से उनकी कमी हमेशा खलेगी. छोटे भाई एड. फिरदोस मिर्जा ने कहा कि डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग मुझसे करीब 12 साल बडे थे. उनका हमेशा ही मेरे जीवन में प्रभाव रहा है. जीवन में कई कठिनाईयों का सामना किया. मुस्लिम परिवार कुछ हद तक शिक्षा को लेकर आर्थिक परिस्थिति के कारण लगनेवाले बंधन उन्हें परेशान करते थे. फिर भी उन्होंने कभी भी शिक्षा को दुय्यम स्थान नहीं दिया. बडे भाई के कारण ही उन्हें मराठी भाषा सीखने मिली. कुछ साल बाद डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग ने प्रैक्टीस बंद कर शब्दों में कितनी ताकत होती है. इसका बेहतरीन उदाहरण पेश करते हुए वर्‍हाडी भाषा में कविताएं प्रस्तुत करना शुरू किया. एक लंबा सफर तय कर वे मुंबई पहुंचे. यहां उन्होंने अपने जीवन के एक अहम सफर की शुरूआत कर आज लोगों के दिलों पर राज किया है. वे हमेशा कहते थे कि जीवन में कितने भी संकट आए खुद को कभी कमजोर न समझे. हंसते हुए उन समस्याओं का सामना करेंगे तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी. कोल्हापुर के उपसंचालक प्रवीण टाके ने प्रस्तावना करते हुए कहा कि, जिस समय हमने उनके निधन की बात सुनी तो कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था. हम उनके जीवन के साक्षी बने थे. भाई जी जादू मन को मोहित करनेवाले थे. यवतमाल जिले से उनका कारवा मुंबई तक चला है. उन्होंने हमेशा ही अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहा. अपने शब्दों के जादू से समाज की दरार को भरा जाए, धर्मभेद, जातिभेद को बढावा न मिले, इसका हमेशा प्रयास किया. उन्होंने केवल एक नहीं तीन पीढियों को हंसाने का काम किया है. जिसके कारण उनकी निधन की खबर ने केवल विदर्भ नहीं, बल्कि मुंबई से दिल्ली तक को हिला दिया था. कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. मिर्जा रफी अहमद बेग की प्रतिमा को माल्यार्पण कर की गई. अतिथियों के साथ कुछ मान्यवरों ने अभिवादन किया. इनमें मुख्य रूप से पूर्व लेडी गवर्नर कमलताई गवई, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. गोविंद कासट, प्रा. डॉ. अजय खडसे, कवि पदमाकर मांडवधरे, सिध्दार्थ दाभाले, शिवा प्रधान, प्रवीण वासनिक का समावेश रहा. इसके अलावा कार्यक्रम में अजीम शहा, हास्य कलाकार प्रवीण तिखे, डॉ. खडके, रूपेश कावलकर, नाना रमतकर, डॉ. वडगांवकर, डॉ. अब्दुल राजीक, अलका तालनकर, हुमाबेन मिर्जा, राजेश खोडके, नितिन खडसे, पांडुरंग माने, लक्ष्मीकांत खंडेलवाल, डॉ. मिर्जा के परिजन एवं रिश्तेदार बडी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन अनिरूध्द पाटिल व अभार अमरावती प्रबोधिनी प्रमुख श्यामकांत मस्के ने माना.

 

 

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