दिक्षाभूमि विकास का कोई भी प्रारूप मंजूर नहीं किया

डॉ. राजेंद्र गवई की पत्रकार परिषद में जानकारी

* तीसरे प्रारूप बाबत कोई कल्पना नहीं
नागपुर/दि.3 – दिक्षाभूमि स्मारक समिति द्बारा दिक्षाभूमि विकास का सुधारित तीसरा प्रारूप स्विकारने की खबर वृत्तपत्र में ही पढी गई. लेकिन स्मारक समिति ने विकास का कोई भी प्रारूप मंजूर नहीं किया है. विकास प्रारूप बाबत कोई भी बैठक नहीं हुई है अथवा समिति के किसी भी सदस्य के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है, ऐसा दिक्षाभूमि स्मारक समिति के सचिव डॉ. राजेंद्र गवई ने मंगलवार को पत्रकार परिषद में कहा.
1, 2, 3 ऐसा कोई भी प्रारूप हमने देखा तक नहीं है. इस कारण तिसरे प्रारूप बाबत कोई कल्पना न रहने की बात उन्होंने इस अवसर पर स्पष्ट की. डॉ. गवई ने कहा कि मे. डिझाईन असोसिएट इन कार्पोरेशन नोएडा ने भूमिगत काम छोडकर अन्य विकास काम के 4 प्रारूप दिक्षाभूमि स्मारक समिति को 8 सितंबर को प्रस्तुत किए. इसमे से तीसरा प्रारूप स्वीकारा ऐसी खबर प्रकाशित हुई है. इस बाबत स्मारक समिति के अध्यक्ष ने समिति की तत्काल बैठक लेकर चर्चा कर तत्काल मंजूरी लेना था. लेकिन समिति की बैठक ही नहीं ली गई. इस कारण समिति के सदस्य इस तीसरे नंबर के प्रारूप बाबत अनभिज्ञ हैं. समाजकल्याण विभाग द्बारा दिक्षाभूमि स्मारक समिति, ठेका कंपनी और एनएमआरडी की संयुक्त बैठक बुलाकर उसमें विकास प्रारूप बाबत चर्चा की जाए. उसमें विकास प्रारूप प्रस्तुत किए जाए और उचित प्रारूप मंजूर कर काम को गति देने की मांग डॉ. राजेंद्र गवई ने की. इस बाबत स्मारक समिति की तरफ से उच्च न्यायालय में विधितज्ञ नियुक्त कर आठ सप्ताह का समय मांगा जाएगा और संयुक्त रूप से विकास प्रारूप मंजूर कर वह न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा, ऐसा भी डॉ. गवई ने इस अवसर पर कहा. पत्रकार परिषद में स्मारक समिति के सदस्य विलास गजघाटे, भंते नाग दिपंकर, डॉ. प्रदीप आगलावे, डी.जी. दाभाडे उपस्थित थे.

* जगह अधूरी, 56 फुट की मूर्ति नहीं चाहिए
दिक्षाभूमि की जगह अधूरी है. वहा 56 फुट बुध्द मूर्ति के लिए बडी जगह लगेगी. इस कारण स्तुभ के बाजू में बुध्द मूर्ति न बैठाते हुए शासन की तरफ से बाजू की जगह मांगकर वहां बुध्द मूर्ति बैठाई जाए, ऐसा भी डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा.

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