चोरों के भय से गहने बैंकों में
शहर में बढे लॉकर्स के किराए

* सभी का सोना सुरक्षित रखने पर जोर
अमरावती /दि.4 – सोने के दाम में लगातार तेजी के कारण अपने कीमती गहनों को सुरक्षित रखने के लिए शहरवासियों का रुझान बैंक लॉकर्स की ओर बढा है. इसी रुझान के कारण लॉकर्स के किराए में बढोतरी हो गई है. 1200 से लेकर 5 हजार रुपए तक वार्षिक किराया बैंक वसूल कर रही है. कुछ निजी बैंकों में यह रेट 7-8 हजार रुपए भी हो जाने की जानकारी सूत्रों ने दी.
* सभी को भय चोरी का
सोने-चांदी के अलावा भारतीयों का हीरो के गहनों की ओर भी रुझान बढा है. कीमती धातुओं के रेट बेतहाशा बढने से लोगों को आभूषण चोरी का डर भी सताता है. आए दिन विभिन्न एरिया में सेंधमारी की घटनाओं की खबरे मिलती है. ऐसे में घर में प्रसंग और त्यौहार होते ही लोग आभूषण को बैंक लॉकर में रखना पसंद कर रहे हैं. बल्कि उन्हें बैंक लॉकर ही अपने जेवरात महफूज रखने के लिए उचित लग रहे हैं.
* रिझर्व बैंक के नियमों की बाधा
बैंक शाखाओं में लॉकर कक्ष बनाने के लिए भारतीय रिझर्व बैंक के नियमों का पालन करना होता है. स्ट्राँगरुम बनाना होता है. उसी प्रकार रखे गए आभूषणों और नकदी के लिए सुरक्षित लॉकर की व्यवस्था करनी होती है. हालांकि इसमें बैंकों का लाभ है. उन्हें बैठे-बिठाए किराए की आमदनी हो जाती है, किंतु रिझर्व बैंक की अनुमति लेकर ही लॉकर संख्या बैंक बढा सकते हैं.
* 6 प्रकार के लॉकर, अलग-अलग रेट
बैंकों में 5-6 प्रकार के लॉकर होते हैं. उसके आकार पर किराया तय होता है. राष्ट्रीयकृत बैंकों में 1200 रुपए से लेकर 6 हजार रुपए तक वार्षिक प्रत्येक लॉकर के लिए जा रहे हैं. वहीं निजी सहकारिता बैंक अधिक चार्ज करती है. कहीं-कहीं खातेधारकों से डिपॉजिट भी लिया जाता है, तब जाकर लॉकर उपलब्ध करवाया जाता है. बैंक शाखाओं के मैनेजर बताते हैं कि, सोने-चांदी के बढते रेट के कारण अपने पारंपरिक गहनों की साज-संभाल की चिंता सभी को है. अत: लॉकर सबसे पहले एवं तेजी से बुक हो रहे हैं. आभूषणों की सुरक्षा महत्वपूर्ण होने से लोग हजारों का वार्षिक किराया सहर्ष देने की बात भी एक शाखा प्रबंधक ने कही. उन्होंने बताया कि, बैंक की जिम्मेदारी बढ जाती है.





