धर्म पालन हेतु लाउड स्पीकर जरुरी नहीं

हाईकोर्ट का बडा फैसला

* गोंदिया के मस्जिद सचिव की अर्जी खारिज
नागपुर/दि.5 – धर्म का पालन करने के वास्ते लाउड स्पीकर जैसे ध्वनी प्रदूषण के साधन का उपयोग किसी भी कानून में बंधनकारक नहीं रहने का महत्वपूर्ण निर्णय बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दिया है. न्या. अनिल पानसरे और न्या. राज वाकोडे ने गोंदिया के मस्जिद-ए-गौसीया के सचिव सैयद इकबाल अली की इस बारे में दायर याचिका को सिरे से ठुकरा दिया. याचिकाकर्ता ने मस्जिद में लाउड स्पीकर लगाने की इजाजत मांगी थी.
हाईकोर्ट ने देखा कि, याचिकाकर्ता इस बारे में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान प्रस्तुत नहीं कर सके कि, धर्म के पालन हेतु लाउड स्पीकर आवश्यक हो. न्यायालय ने उक्त फैसला सुनाते हुए अर्जी को ठुकरा दिया.
कोर्ट ने निर्णय में कहा कि, अन्यों लोगों की शांति भंग कर ईश्वर की प्रार्थना करना अथवा प्रार्थना करने हेतु लाउड स्पीकर जैसे ध्वनी प्रदुषण के साधन का उपयोग करने का आदेश कोई धर्म नहीं देता है. देश में लोगों को शांति के उपभोग करने का मूलभूत अधिकार प्राप्त है. विशेष कर छोटे बच्चे, वरिष्ठ, बीमार और मनोविकार ग्रस्त लोगों को शांति की नितांत आवश्यकता होती है.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि, संविधान के अनुच्छेद 21 में शामिल जीवन के अधिकार में केवल जीने या अस्तित्व नहीं, तो सम्मान से जीवन जीने की गारंटी देता है. इसलिए किसी को भी उसकी इच्छा के बगैर कुछ भी सुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. खंडपीठ ने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों का उदाहरण भी दिया.

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