प्रधान सचिव सहित आला अधिकारी मेलघाट के दुरस्थ गांवों में
कोर्ट के निर्देश पर स्वास्थ सेवाओं का गहन मुआयना

* फ्रंट लाइन वर्कर्स और आदिवासियों से भी की बातचीत
* तीन विभागों के अधिकारी पहुंचे
अमरावती/दि.6 – तीन दशकों बाद भी मेलघाट के धारणी तथा चिखलदरा तहसीलों के आदिवासी ग्रामों में सडक, बिजली, पानी की व्यवस्था पर्याप्त न होने और स्वास्थ्य सेवाओं की भी लगातार शिकायतें रहने के कारण बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रदेश के तीन विभागों आदिवासी कल्याण, स्वास्थ्य, महिला व बालविकास के उच्चाधिकारी आज मेलघाट का सघन दौरा कर रहे हैं. उनकी विजिट अभूतपूर्व रहने के बावजूद कडाके की सर्दी के कारण कुछ विलंब से सभी गांवों के नियोजित स्थानों पर पहुंचने का समाचार है. दोपहर 2 बजे वे धारणी मुख्यालय पहुंचे थे. इस विजिट दौरान तीन विभागों के सचिवों ने लावलष्कर के साथ अलग-अलग आदिवासी गांवों को भेंट देकर फ्रंट लाइन वर्कर और आदिवासी लोगों के साथ भी सीधा संवाद किए जाने की खबर अमरावती मंडल के प्रतिनिधि मनोज शर्मा तथा सूरज मालवीय ने दोपहर को दी थी.
इनमें 11 आईएएस अधिकारी होने की जानकारी देते हुए बताया गया कि, अब तक मुख्यमंत्री और अन्य के मेलघाट प्रवास दौरान भी कभी इतनी संख्या में अफसरान मौजूद नहीं रहे. यह तो कुपोषण और माता मृत्यु पर हाईकोर्ट के सख्त रुख का परिणाम है कि, अफसर मेलघाट की टूटीफूटी सडकों पर कारों के काफिले के साथ आंगणवाडी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित सुदूर गांवों में प्रत्यक्ष अवलोकनार्थ पहुंचे हैं.
बता दें कि, इस बारे में जनहित याचिका बंड्या साने, पद्मश्री डॉ. रवींद्र कोल्हे, डॉ. कुलपे ने दायर की थी. जिस पर हाईकोर्ट की न्यायाधीश रेवती मोहिते-डेरे और न्या. संदेश पाटिल ने संज्ञान लेकर अफसरान को ग्राउंड पर जाकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं. आगामी 18 दिसंबर से पहले अधिकारियों को रिपोर्ट देनी है. अत: स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. निपुण विनायक, आदिवासी विकास विभाग के सचिव विजय वाघमारे और महिला व बालविकास विभाग के सचिव अनूप यादव बडे लावलष्कर के साथ मेलघाट में दाखिल हुए.
उन्होंने बताया कि, अफसरान का दल बिहाली, सेमाडोह, कलमखार, काटकुंभ, चुरणी आदि ग्रामों में विशेष रुप से स्वास्थ्य सेवाओं, सुविधाओं का अवलोकन किया. विभागीय आयुक्त श्वेता सिंघल, स्वास्थ्य विभाग की आयुक्त कादंबरी बलकवडे, सैनिटेशन विभाग के सहसचिव डॉ. बापू पवार, जिलाधीश आशीष येरेकर, आयुक्त कैलास पगारे, जिला परिषद की सीईओ संजीता मोहपात्रा, मुख्य वनसंरक्षक जयोति बैनर्जी, प्रकल्प अधिकारी सिद्धार्थ शुक्ला, वित्त विभाग की सहसचिव स्मिता निवतकर, स्वास्थ्य विभाग संचालक मुंबई डॉ. नितिन अंबाडेकर, स्वास्थ्य संचालक पुणे विजय कंदेवाड, उपसचिव दीपक केंद्रे, चंद्रकांत विभुते, अवर सचिव विकास कदम, स्वास्थ्य उपसंचालक डॉ. कमलेश भंडारी, कक्ष अधिकारी प्रेमानंद सोनटक्के, अधीक्षक अभियंता आर. वाय. पाटिल और जिले के अधिकारी भी मंत्रालय के अफसरान के साथ शामिल रहे.
पद्मश्री डॉ. कोल्हे, एड. बंड्या साने और डॉ. कुलपे भी इस विजीट में उच्चाधिकारियों के संग रहने की जानकारी देते हुए एड बंडया साने ने अमरावती मंडल को बताया कि कोर्ट के निर्देेशों के कारण कुछ स्थानों पर हमें भी साथ लिया गया. केवल कुछ ही आंगणवाडी और स्वास्थ्य केंद्रों पर मंत्रालय अधिकारियों की टीम पहुंच सकी थी. उन्होंने नियोजित दौरे से अलग ग्रामों में भी जाकर प्रत्यक्ष सुविधा और स्वास्थ्य केंद्रों का हालचाल देखने की खबर है.

आदिवासियों ने सचिव के सामने रखी ढेर समस्याएं
आदिवासियों ने सचिव निपुण विनायक सहित अधिकारियों के सामने अपने बिजली, पानी सहित सभी समस्याएं रखी. जब अधिकारियों ने स्वास्थ्य के विषय में कहा कि वे लोग दवाएं नहीं लेते. कमजोरी रहने पर खून नहीं चढाते तो खबर है कि एक आदिवासी ने तुरंत कह दिया कि दूसरे का खून हम कैसे लगायेगा. गर्भवती और स्तनदा माताओं में हीमोग्लोबिन की भारी कमी देखी गई. फिर भी आदिवासी अपनी बात पर अडे रहे. सचिव और सभी अधिकारियों ने कोयलारी में शाला को भेंट दी. आंगणवाडी में पहुंचकर पोषाहार चखा. पांचडोंगरी में 27 गांवों की जलापूर्ति योजना का अवलोकन किया. खडीमल में उस विशाल कुएं पर पहुंचे जहां एक साथ सैकडों बाल्टी से क्षेत्र के लोग पानी निकालते हैं. आदिवासियों ने ग्राम पंचायत परिसर में अधिकारियों से चर्चा दौरान अनेकानेक समस्याएं रखी. सोलर प्लैट खराब होने से गांव में अंधेरा हो जाता है. सडक नहीं है. एम्बुलेेंस समय पर नहीं आती. तीनों विभाग के सचिवों ने देखा कि दुर्गम गांवों में मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव है.
* डिजिटल गांव हरिसाल उपेक्षित
स्वास्थ्य सचिव निपुण विनायक ने चित्री गांव में जाकर स्थानीय लोगों से संवाद किया. उसी प्रकार देश के पहले डिजिटल ग्राम घोषित किए गये हरिसाल को भी देखा. ग्राम हरिसाल में अनेक मूलभूत सुविधा नहीं है. चित्रि के लोगों ने सचिव को निवेदन दिया. उनसे जलजीवन मिशन, शाला, सडक, पेसा निधि, मनरेगा की समस्याएं बतलाई.
ब* काटकुंभ में सचिव विजय वाघमारे ने किया अवलोकन और संवाद
आदिवासी विकास विभाग के सचिव विजय वाघमारे ने काटकुंभ में स्वास्थ्य केन्द्र को भेंट दी. वहां देखा कि अधिकांश मरीज मध्यप्रदेश से आए है. काटकुंभ चुर्णी परिसर जाने के लिए मार्ग में मध्यप्रदेश का हिस्सा लगता है. सचिव वाघमारे की कारें भी उक्त मार्ग से गई. तब उन्होंने महाराष्ट्र की तुलना में एमपी की सडकों को बेहतर बताया. यह भी कहा कि कोई वीडियों तो नहीं बना रहा. वाघमारे ने स्वास्थ्य केन्द्र में सुख- सुविधा के साथ दवाईयो की आपूर्ति और अन्य बातों की जानकारी ली. बच्चों और प्रसूताओं की मौत की वजह उन्होंने पूछने का प्रयत्न किया. स्वास्थ्य सचिव ने स्टाफ के अलावा वहां मौजूद नागरिकों से भी संवाद कर दर असल चूक कहां हो रही है. यह जानने का प्रयास किया. इस समय एडीएचओ परिसे, तहसीलदार जीवन मोरानकर, बीडीओ विजय खेडकर, सीडीपीए वानखडे, काटकुंभ की सरपंच ललिता बैठेकर, पीयूश मालवीय, कमलेश राठोड, सोनू मालवीय, शिवा जायसवाल और अन्य नागरिक मौजूद थे. इस समय स्वास्थ्य केन्द्र में 10- 15 वर्षो से परिचारिकाओं ने स्थायी रूप से सेवा में लेने अथवा मेलघाट से बाहर तबादला करने का अनुरोध प्रधान सचिव से किया.
अल्प मानधन, बडी जिम्मेदारी
आशा वर्कर को 6 माह तक मानधन नहीं दिया जाता. जबकि दर्जनों प्रकार के काम इन से काम करवाए जाते है. गर्भवती को अस्पताल में प्रसूूति हेतु लाते समय तांत्रिक, भुमका, दायी की सहायता लेनी पडती है. मेलघाट की परिस्थिति पहले से अलग रहने पर भी समस्या लगभग एक जैसी रहने की स्थिति अधिकारियों ने आयी. इस दौरे से मेलघाट में शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों की धडकने तेज हो गई थी.





