भाजपा के 45 में से 27 पार्षद फिर भाजपा की टिकट की रेस में
पिछली बार भाजपा की टिकट पर निर्वाचित 9 पार्षद अब कांग्रेस में

अमरावती/दि.6 – वर्ष 2017 में हुए अमरावती मनपा के चुनाव में भाजपा के रिकॉर्ड 45 सदस्य निर्वाचित हुए थे. जिसमें से 27 पूर्व पार्षद इस बार भी भाजपा के टिकट पर ही चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे है. साथ ही पिछली बार भाजपा की टिकट पर निर्वाचित होनेवाले 9 पूर्व पार्षद इस बार कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में दिखाई दे सकते है. इसके अलावा वर्ष 2017 से पहले मनपा के सदन का हिस्सा रह चुके करीब 9 पूर्व पार्षद भी एक बार फिर मनपा के सदन में पहुंचने हेतु भाजपा की टिकट हासिल करने के लिए जद्दोजहद कर रहे है.
बता दें कि, वर्ष 1999 व 2004 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से अमरावती के विधायक निर्वाचित हो चुके. पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में अपनी टिकट कटने के बाद कांग्रेस के खिलाफ बगावत की थी. हालांकि उन्हें उस समय विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पडा था. जिसके चलते वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव आते-आते डॉ. देशमुख अपने कई समर्थकों के साथ भाजपा में चले गए थे और अमरावती के विधायक निर्वाचित हुए थे. उससे दो वर्ष पहले ही वर्ष 2012 में शहर के ख्यातनाम उद्योजक व बिल्डर प्रवीण पोटे पाटिल ने भाजपा की टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता था और पोटे व डॉ. देशमुख के तौर पर अमरावती शहर में भाजपा को नया नेतृत्व प्राप्त हुआ था. जिनकी अगुवाई में ही वर्ष 2017 में भाजपा ने अमरावती मनपा का चुनाव लडा था. वर्ष 2017 में हुए अमरावती मनपा के चुनाव में भाजपा की ओर से तत्कालिन मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल व तत्कालिन विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया था और मनपा की 87 में से 45 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल करते हुए मनपा में स्पष्ट बहुमत के साथ एकतरफा सत्ता स्थापित की थी. परंतु अब राजनीतिक स्थिति पूरी तरह से बदल गई है तथा वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद डॉ. सुनील देशमुख भाजपा छोडकर एक बार फिर कांग्रेस में वापिस चले गए है. जिसके चलते वर्ष 2014 में डॉ. सुनील देशमुख के साथ भाजपा में शामिल हुए उनके कई समर्थक भी अब एक बार फिर कांग्रेस में शामिल है. जिनमें पिछली बार भाजपा की टिकट पर निर्वाचित देशमुख समर्थक कुछ पार्षदों का भी समावेश है. वहीं पहले देशमुख समर्थक रहनेवाले कई पूर्व पार्षद अब भाजपा में ही रहकर खुश है और भाजपा की ओर से ही चुनाव लडने के इच्छुक है. जिनमें डॉ. देशमुख के कट्टर समर्थक रहनेवाले विजय वानखडे, गोपाल धर्माले, प्रमिला जाधव, बालासाहेब भुयार, रिता पडोले, अनिल गोंडाणे, स्वाती सुनील जावरे, प्रमिला जाधव, नीता राऊत का समावेश है.
इसके अलावा वर्ष 2017 में डॉ. सुनील देशमुख ने अपने जीन समर्थकों को भाजपा की टिकट दिलाने के साथ ही पार्षद निर्वाचित करवाया था और जो बदली हुई राजनीतिक स्थिति के बावजूद भी अब भाजपा के साथ ही बने हुए है और मनपा का अगला चुनाव भी भाजपा की टिकट पर ही लडना चाहते है. उनमें धीरज हिवसे, सुनंदा खरड, श्रीचंद तेजवानी, सोनाली नाईक, नूतन भुजाडे के नाम शामिल है. इसके साथ ही पिछली बार भाजपा की टिकट पर निर्वाचित होनेवाले और इस बार भी चुनाव लडने की इच्छा रखनेवाले भाजपा के एकनिष्ठ पूर्व पार्षदों में सुरेखा लुंगारे, चंदू बोमरे, स्वाती निस्ताने, रीता मोकलकर, संजय वानरे, राजेश साहू (पड्डा), कुसूम साहू, संजय नरवणे, संध्या टिकले, राधा कुरील, स्वाती कुलकर्णी, लविना हर्षे, विवेक कलोती, आशीष अतकरे, सचिन रासने, चेतन पवार, अनिता राज, बलदेव बजाज, पद्मजा कौंडण्य, तुषार भारतीय, चेतन गावंडे, रेखा भूतडा, सुनील काले, वंदना हरणे, गंगा अंभोरे का समावेश है. साथ ही साथ इससे पहले मनपा के सदन का हिस्सा रह चुके पूर्व महापौर प्रवीण काशिकर सहित पूर्व पार्षद लखन राज, रश्मी नावंदर, मिलिंद बांबल व कल्पना भैसे भी इस बार भाजपा की टिकट हासिल करने के लिए प्रयासरत है.





