करोडों खर्च, फिरभी आदिवासी इलाकों में कुपोषण की स्थिति जस की तस

विधायक संजय खोडके ने शीत अधिवेशन में करवाया ध्यानाकर्षण

* मेलघाट में बाल मृत्यु- माता मृत्यु दर और कुपोषण मुक्ति पर आधे घंटे तक की चर्चा
* संबंधित तीनों विभागों ने मिलकर काम करने का दिया सुझाव
नागपुर/दि.12 – राज्य के कुपोषण प्रभावित जिलों में बाल मृत्यु दर, माता मृत्यु दर को रोकने और इन जिलों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए सरकार की ओर से करोडों का फंड खर्च करने के बाद भी कुपोषण की समस्या जस की तस बनी हुई है. अमरावती जिले के मेलघाट इलाके में कुपोषण का बढता ग्राफ चिंता का विषय है और वहां काम करने वाला सिस्टम बेअसर दिख रहा है. हालांकि सरकार ने भी इस बारे में चिंता जताई है, लेकिन मेलघाट में चल रही अव्यवस्था पर सरकार को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, और स्वास्थ्य विभाग, महिला और बाल विकास विभाग, और आदिवासी विभाग को संयुक्त बैठक करके उपाय लागू करने चाहिए, यह सुझाव विधायक संजय खोडके ने शीत अधिवेशन में दिया.
नागपुर शीत अधिवेशन में विधान परिषद के कामकाज में विधायक संजय खोडके ने कुपोषण निर्मुलन संदर्भ में आधे घंटे की चर्चा में हिस्सा लिया और अमरावती जिले के मेलघाट में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर और माता मृत्यु दर की गंभीर स्थिति की ओर सरकार का ध्यानाकर्षण करवाया. इतनाही नहीं तो सूचना के अधिकार की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, विधायक संजय खोडके ने कहा कि साल 2020 से अब तक राज्य में 84,304 बालमृत्यु हुई है. 70,454 भ्रूण मृत्यु और 6,574 माता मृत्यु हुई हैं. इसके अलावा, अमरावती जिले के मेलघाट इलाके में इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच 97 बालमृत्यु, 30 भ्रूण मृत्यु और 3 माता मृत्यु हुई है. इसका कारण यह है कि उन्हें पौष्टिक खाना और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, और यह संख्या बढती जा रही है, इस गंभीर समस्या पर विधायक संजय खोडके ने विधानसभा का ध्यान खींचा.
मेलघाट में काम करने वाले कुछ एनजीओ, या पौष्टिक आहार आपूर्ति के लिए काम करने वाली कुछ एजेंसियों के काम में बहुत बडी गडबडी दिखाई देती है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यह व्यवस्था कब बदलेगी? मेलघाट में कुपोषण खत्म करने के लिए प्रभावी उपाय योजना लागू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग, महिला और बाल विकास विभाग और आदिवासी विकास विभाग को मिलकर प्रभावी तरीके से काम करने की जरूरत है. इसके लिए सरकार को सभी एजेंसियों की एक संयुक्त बैठक बुलाकर कुपोषण खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की तुरंत जरूरत है, ऐसा विधायक संजय खोडके ने अधिवेशन में कहा.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि, अगर कुपोषण खत्म करने के लिए करोडों खर्च करने के बाद भी मेलघाट में कुपोषण, माता मृत्यु और बाल मृत्यु की दर कम नहीं हो रही है, तो सरकार को इसके पीछे के कारणों का भी पता लगाना चाहिए. अब तक सरकार ने मेलघाट में कुपोषण खत्म करने के लिए 13 से 15 समितियां बनाई हैं. इसलिए, आईपीएस अधिकारी डोरजे की अगुवाई वाली समिति ने अच्छी स्टडी करके एक हजार पेज की रिपोर्ट दी थी. अगर आज इसे सही मायने में लागू किया गया होता, तो हम कुपोषण को काफी हद तक खत्म कर पाते, ऐसा विधायक संजय खोडके ने विधान परिषद में बोलते हुए कहा.
मेलघाट में स्वास्थ्य की समस्या का एक कारण अंधविश्वास है. वहां के लोग अस्पताल नहीं जाते बल्कि इलाके के किसी जानकार व्यक्ति के पास जाते हैं. और उसकी सलाह पर इलाज करवाते हैं. इसलिए, इस तरह के मामलों पर रोक लगाना जरूरी है और इस बारे में प्रभावी जनजागृति कर अंधविश्वास को खत्म करने का भी सुझाव विधायक संजय खोडके ने अधिवेशन में दिया.

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