मोसीकॉल जमीन की नीलामी प्रक्रिया को लेकर प्री-बिड बैठक में उठे सवाल

बोलियां लगाने वालों ने मोसीकॉल से जमीन को लेकर मांगा लिखित स्पष्टीकरण

* प्री-बिड बैठक में शामिल 10 बोलीकर्ताओं ने टेंडर नोटिस की कई खामियों की ओर दिलाया ध्यान
* खुलासे के बाद ही जमीन की नीलामी प्रक्रिया आगे बढाने की उठी मांग
मुंबई/दि.12 – महाराष्ट्र स्टेट ऑयल सीड कमर्शियल एंड इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अमरावती स्थित मोसीकॉल कारखाने की विगत करीब दो दशकों से खाली पडी लगभग 25 एकड जमीन की नीलामी करने हेतु विगत दिनों जारी टेंडर नोटीस के बाद तयशुदा कार्यक्रम के तहत आज 12 दिसंबर को मोसीकॉल के मुंबई स्थित कार्यालय में प्री-बिड बैठक बुलाई गई. जिसमें इस जमीन की नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के इच्छुक रहनेवाले 10 बोलीकर्ताओं एवं उनके प्रतिनिधियों द्वारा हिस्सा लिया गया. जिन्होंने मोसीकॉल की ओर से जारी टेंडर को लेकर कई गंभीर सवाल उठाते हुए प्रबंधन से लिखित स्पष्टीकरण की मांग की है. संभावित निविदादाताओं का कहना है कि कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी नहीं होने से वे बोली प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. ऐसे में मोसीकॉल ने सबसे पहले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए. जिसके बाद ही वे इस बोली प्रक्रिया में आगे बढने अथवा नहीं बढने को लेकर कोई फैसला कर पाएंगे.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक मोसीकॉल की ओर से बुलाई गई प्री-बिड बैठक में शामिल बोलीकर्ताओं के अनुसार टेंडर की कीमत असामान्य रूप से अधिक बताई गई है, जिसकी गणना का आधार अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है. साथ ही ऑफसेट प्राइस और नीलामी प्रणाली का उल्लेख भी दस्तावेज़ में नहीं है, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है. बोलीकर्ता यह भी जानना चाहते हैं कि क्या संपत्ति को नीलामी प्रक्रिया में शामिल करने की कोई संभावना है. इसके अलावा बोलीकर्ताओं ने अमरावती के स्थानीय अखबारों में प्रकाशित मोहनलाल गौड़ से जुड़े कथित अवमानना प्रकरण को लेकर भी मोसीकॉल से स्पष्टीकरण मांगा है. उनका सवाल है कि क्या उनकी तरफ से कोई बयान, नो-ड्यूज या कोर्ट की मंजूरी उपलब्ध है तथा क्या उनकी संपत्ति टेंडर में शामिल है या नहीं. इसी तरह अमरावती महानगर पालिका के जल, बिजली, कर और अन्य विभागों के बकाया, उद्योग निगम और सब्सिडी से जुड़े बकाया मामलों की भी स्पष्ट स्थिति मांगी गई है. बोलीकर्ताओं ने यह भी जानना चाहा है कि संपत्ति पर कोई गिरवी या अन्य देनदारी तो नहीं है.
इसके अलावा, सवाल उठाया गया है कि टेंडर नोटिस स्थानीय अखबारों में प्रकाशित क्यों नहीं किया गया, जबकि स्थानीय मीडिया में इस भूमि के संबंध में विभिन्न दावे किए जा रहे हैं. टेंडर में उल्लेखित 150 करोड़ रुपये की नेटवर्थ शर्त, ईएमडी की वापसी, तथा ‘एज इज, व्हेयर इज, व्हॉट इज’ जैसी तकनीकी शर्तों पर भी विस्तृत स्पष्टीकरण की मांग की गई है. इसके साथ ही बोलीकर्ताओं ने नीलामी वाली जगह पर मंदिर व दरगाह के ढांचों की स्थिति, वन विभाग की अनुमति, और भूमि पर संभावित अतिक्रमण जैसी संवेदनशील जानकारियों पर भी स्पष्टता देने का आग्रह किया है. बोलीकर्ताओं ने प्रबंधन से कहा है कि इन सभी 12 बिंदुओं पर लिखित उत्तर जल्द से जल्द प्रदान किए जाएं, ताकि वे टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने को लेकर अंतिम निर्णय ले सकें.
* इन बोलीकर्ताओं की रही बैठक में उपस्थिति
मोसीकॉल द्वारा बुलाई गई प्री-बिड बैठक में जिन 10 बोलीकर्ताओं की उपस्थिति रही, उनमें ऋचा ग्रुप (शिवाजी नगर पुणे) के मनीष बांदेवार, इंडस्ट्रीयल एसेट ट्रान्स ऑक्शन सर्विसेस प्रा. लि. के सौरभ एडाऊ, श्री गणेश सॉफ्ट लिंक सर्विसेस के प्रकाश तनवानी, एमडी ट्रान्सकॉन प्रा. लि. (नवी मुंबई) के संदीप पाटिल, अक्षय इन्फ्रा (विलेपार्ले) के हार्दिक इन प्रतिनिधियों के साथ ही अमरावती से कैलाश अग्रवाल, मधूर लड्ढा (तापडिया सिटी सेंटर), अजय गौड, सौरभ पनपालिया व पुणे के केदार जोशी ने बोलीकर्ता के तौर पर हिस्सा लिया. जिन्होंने मोसीकॉल की ओर से जारी टेंडर नोटीस के कई बिंदुओं पर आपत्ति उठाते हुए नीलामी प्रक्रिया को आगे बढाने के लिए मोसीकॉल से उन सभी मुद्दों को लेकर स्पष्टीकरण देने हेतु कहा.
मोसीकॉल ने बैठक में पंजीयन विवरण किया प्रस्तुत
* अमरावती की भूमि खरीद-फरोख्त पर नया खुलासा
वहीं इस प्री-बिड बैठक में मोसीकॉल ने अमरावती स्थित अपने कई भूखंडों से संबंधित पंजीयन और खरीद-फरोख्त का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया. मोसीकॉल की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, कॉरपोरेशन ने समय-समय पर विभिन्न सर्वे नंबरों और प्लॉट नंबर्स की जमीनें खरीदीं और दस्तावेज़ के अनुसार, पूरी भूमि वर्तमान में महाराष्ट्र स्टेट ऑयलसीड कमर्शियल एंड इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के स्वामित्व में दर्ज है और कॉरपोरेशन की नोंदवही में इसका उल्लेख मौजूद है. बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि भूमि विवाद से जुड़े सभी आवश्यक अभिलेख कॉरपोरेशन के पास उपलब्ध हैं. बैठक में बताया गया कि यह भूमि मोसीकॉल के नाम से दस्त पंजीयन रिकॉर्ड में दर्ज है. वहीं, कॉरपोरेशन ने यह भी स्वीकार किया कि भूखंड से जुड़े कुछ फौजदारी और कब्जे से संबंधित मामले पहले विभिन्न विभागों में लंबित रहे थे, जिनका निपटारा बाद में किया गया.

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