कई इच्छुकों ने लगाए बैनर, खुद ही घोषित कर दी अपनी दावेदारी
चुनाव की आहट हुई तेज, सभी प्रभागों में शुरु हुआ ‘पोस्टर वॉर’

अमरावती/दि.13 – आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की आहट के साथ ही अमरावती शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों में टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति के बीच कई इच्छुक उम्मीदवारों ने पार्टी टिकट की प्रतीक्षा किए बिना स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है. शहर और आसपास के इलाकों में ऐसे उम्मीदवारों के बैनर दिखाई देने लगे हैं.
जिला परिषद और महानगरपालिका की सत्ता पर कब्जा अहम होने के कारण सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है. आर्थिक रूप से सक्षम, जनसंपर्क में मजबूत और जातीय समीकरणों को साधने में सक्षम उम्मीदवारों को प्राथमिकता दिए जाने की चर्चा है. ऐसे में कई दावेदारों को टिकट न मिलने की आशंका के चलते उन्होंने स्वतंत्र राह अपनाने की तैयारी शुरू कर दी है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, नगरसेवक और जिला परिषद सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण होने के कारण हर वार्ड और गट में कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है. कांग्रेस, शिवसेना, भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों की नजरें भी प्रमुख वार्डों पर टिकी हुई हैं. ज्ञात रहे कि, अब केवल लोकप्रियता नहीं बल्कि चुनाव जीतने की क्षमता को ही प्राथमिकता दी जा रही है. आर्थिक ताकत, संगठनात्मक समर्थन और प्रभावी प्रचार रणनीति वाले उम्मीदवारों को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके चलते आरोप-प्रत्यारोप, पार्टी बदल और बगावत की राजनीति भी तेज होने की संभावना जताई जा रही है.
उल्लेखनीय है कि, इस समय भाजपा ने चुनाव की तैयारी गंभीरता से शुरू कर दी है. संगठनात्मक मजबूती, बूथ स्तर पर नियोजन और उम्मीदवारों के चयन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस में अजित पवार गुट और शरद पवार गुट के बीच की प्रतिस्पर्धा भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. शहरी क्षेत्रों में आने वाले दिनों में जोरदार प्रचार, संभावित उम्मीदवारों की चहलकदमी और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव देखने को मिलेगा. स्वतंत्र उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या से चुनाव और अधिक रोचक होने की संभावना है.
चूंकि महानगरपालिका का चुनाव पिछले पांच वर्षों से नहीं हुआ है. लंबे अंतराल के कारण इस बार चुनाव को लेकर इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या काफी बढ़ गई है. चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही कई इच्छुकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी उम्मीदवारी की स्वयं घोषणा कर दी, जिससे संबंधित राजनीतिक दलों के नेताओं की भौंहें तन गई हैं. किसी भी राजनीतिक दल में बिना अधिकृत निर्णय के उम्मीदवार घोषित करने की परंपरा नहीं है. इसके बावजूद कई वार्डों में एक ही सीट के लिए आठ से दस इच्छुक उम्मीदवार सामने आ गए हैं, जिससे आपसी राजनीतिक टकराव की स्थिति बन रही है. कुछ मामलों में पार्टी नेतृत्व से इसकी शिकायतें भी की गई हैं.
ज्ञात रहे कि, महानगरपालिका चुनाव को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी अंत तक चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद राज्य चुनाव आयोग और मनपा प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है. 87 नगरसेवकों के चुनाव के लिए 22 प्रभाग तय किए गए हैं. आरक्षण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और फिलहाल मतदाता सूची अंतिम करने का काम जारी है. आरक्षण तय होते ही इच्छुक उम्मीदवारों ने अपने-अपने पसंदीदा प्रभागों में दावेदारी ठोक दी है. कई उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया पर यह भी घोषित कर दिया है कि वे किस वार्ड से चुनाव लड़ेंगे. इससे कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. कुछ क्षेत्रों में उम्मीदवारों की भीड़ है तो कहीं उपयुक्त उम्मीदवार मिल ही नहीं रहे हैं. ऐसे में प्रत्याशी तय करने हेतु प्रमुख दलों में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी ओर कई दावेदारों ने खुद ही अपनी टिकट पक्की मानते हुए अपने-अपने प्रभागों में खुद को प्रत्याशी बताने के साथ ही अपना प्रचार करना शुरु कर दिया है. साथ ही कई दावेदारों ने ‘प्लान-बी’ के तहत पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर किसी अन्य दल की टिकट लेने या फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने की तैयारी भी शुरु कर दी है. जिसके चलते आनेवाले समय में होनेवाली राजनीतिक उठापटक की ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.





