कहने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन मैं सबकुछ कह नहीं सकती

भाजपा में प्रवेश करते ही तेजस्वी घोसालकर ने बयां की पीड़ा

मुंबई./दि.15- दहिसर से ठाकरे गुट की शिवसेना की पूर्व नगरसेविका रह चुकी तेजस्वी घोसालकर ने अब भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश किया. मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम और विधायक प्रवीण दरेकर की मौजूदगी में मुंबई स्थित वसंत स्मृति कार्यालय में तेजस्वी घोसालकर का पार्टी प्रवेश हआ. जिसके बाद तेजस्वी घोसालकर ने भावुक होते हुए कहा कि, कहने के लिए बहुत सी बातें हैं, लेकिन वे उन तमाम बातों को खुलकर बोल नहीं सकती. पार्टी बदलने का निर्णय उनके लिए बेहद कठिन रहा है. क्योंकि जिस पार्टी ने मुझे पहचान दी, उसे छोड़ते समय दुख हो रहा है, लेकिन उन्हें अपने प्रभाग के विकास कार्यों के लिए यह फैसला लेना पड़ा.
भाजपा में शामिल होते समय तेजस्वी घोसालकर ने कहा कि उन्हें और घोसाळकर परिवार को न्याय मिलेगा, यही उनकी मुख्यमंत्री से अपेक्षा है. उन्होंने कहा कि अभिषेक की हत्या के मामले में सीबीआई जांच की गति बेहद धीमी है. इस जांच को तेज किया जाए और हमें न्याय दिलाया जाए. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी, उसे वे पूरी निष्ठा से निभाएंगी. तेजस्वी घोसालकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई में हुए विकास कार्यों से वे प्रभावित हैं. उन्होंने अटल सेतु, कोस्टल रोड, बीडीडी चॉल पुनर्विकास, मेट्रो परियोजनाएं, सीसीटीवी व्यवस्था जैसे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि विकास और हिंदुत्व के मार्ग पर चलते हुए उन्होंने अपनी आगे की राजनीतिक यात्रा भाजपा के साथ तय करने का निर्णय लिया है. वहीं मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम ने कहा कि मुंबई को विकसित और सुरक्षित बनाने तथा महानगरपालिका पर भगवा फहराने के संकल्प के साथ तेजस्वी घोसालकर ने भाजपा में प्रवेश किया है.
भाजपा में प्रवेश से पहले तेजस्वी घोसालकर ने शिवसैनिकों को एक भावुक पत्र लिखते हुए कहा कि, मेरे जीवन के अंधेरे दौर में आपने जो साथ दिया, उसे मैं कभी नहीं भूल सकती. मैं हमेशा आपकी ऋणी रहूंगी. जाति, धर्म, पार्टी या विचारधारा से ऊपर उठकर जब भी आपको मेरी जरूरत होगी, मैं बिना सोचे दौड़ी चली आऊंगी. उन्होंने आगे लिखा कि अभिषेक के जाने के बाद उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य समाज के लिए ईमानदारी से काम करना और अपने बच्चों व सहयोगियों की देखभाल करना है. उन्होंने शिवसैनिकों से बदलती परिस्थितियों में लिए गए अपने इस निर्णय को समझने की अपील भी की.

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