हमे कली अर्थात कलयुग केे प्रकोप से बचना हैं. तो व्यसनों से दुरी बनानी होगी

स्वामी डॉ. माधवपन्नाचाार्य श्री युवराज स्वामी के आशीर्वचन

* माहेश्वरी भवन में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव
* कल्पना सहायता फाउंडेशन का आयोजन
अमरावती /दि.17 – राजा परिक्षीत नें कली को पांच स्थान पर विराजमान होने के अवसर प्रदान किए. अगर हम कली अर्थात कलयुग के प्रकोप से बचना चाहते हैं तों हमें मद्यपान, व्यभिचार, मासाहार इन व्यसनों से दूरी बनानी होगी. ऐसे आशीर्वचन मध्यप्रदेश के स्वामी डॉ. माधवपन्नाचार्य श्री युवराज स्वामी ने कहे.
स्थानीय धनराज लेन स्थित माहेश्वरी भवन में सोमवार से कल्पना सहायता फाउंडेशन द्वारा श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का सात दिवसीय आयोजन किया गया हैं. जिसमें मंगलवार को कथा के दुसरे दिन स्वामी डॉ. माधवपन्नाचार्य श्री युवराज स्वामी ने ध्रुव चरित्र (विराट सृष्टी क्रम वर्णन) का वर्णन किया. स्वामी डॉ. माधवपन्नाचार्य जी ने कहां की कोई भी कार्य अधर्म के साथ किया जाए तों उसे कली अर्थात कलयुग अपनी ओर खीच लेता हैं. एक समय था जब भगवान शिव ने माता को कथा सुनाई थी. उस समय कथा सुनते-सुनते माता निंद्रा में चली गई. वहां पेड पर जो शुक्र बैठा था. उसने भगवान शिव द्वारा कथा श्रवण किया और उसका लाभ प्राप्त किया. कथा की शुरूआत मंगलाचरण अर्थात ओम नमों भगवते वासुदेवाय, नारायणं नमस्कृत्य नंर चैव नरोत्तम… से की गई.
कथा के दुसरे दिन मंगलवार को ध्रुव चरित्र के साथ सुखदेव का प्राकट्य , भागवत माहत्म्य, भक्ति का महत्व एवं विराट स्वरूप का वर्णन किया गया. शौनकादि .ऋषियों के प्रश्नो का उत्तर देते हुए सूत कहते हैं कि जिस भागवत कथा का श्रवण राजा परीक्षित कर रहे हैं. व स्वयं भगवान का स्वरूप हैं. महर्षी वेदव्यास के पुत्र शुकदेव जन्म से परम वैराग्यवान थे. वे ब्रह्मज्ञान में स्थित थे. जब वे भागवत कथा सुनाने के लिए राजा परीक्षित के पास पधारे तों देवता भी पुष्पवर्षा करनेे लगे. राजा परीक्षित नें प्रश्न किया .जिसमें उन्होंने कहा कि मनुष्य को मृत्यु के समीप क्या करना चाहिए? तब भगवान ने कहां कि भगवान श्रीहरि की कथा सुनना, नामस्मरण करना और भक्ति में लीन ही परम कल्याणकारी हैं. भगवान कथा से पापो का नाश होता हैं.
भक्ति जागृत होती हैं. तथा जीवन सफल होत हैं. जहां भागवत कथा होती हैं, वहां स्वयं भगवान वासुदेव विराजमान होते हैं. शुकदेव ने भगवान के विराट स्वरूप का सुंदर वर्णन किया. उन्होंने कहां कि आकाश- भगवान का मस्तक, सूर्य-नेत्र, चंद्रमा-मन, पृथ्वी- चरण, नदियां- शिराएं हैं. संपूर्ण सृष्टि भगवान का ही विस्तार हैं. ज्ञान, कर्म और योग तब तक अधूरे हैं. जब तक उनमें भक्ति नही जुडती. भक्ति ही सरल मार्ग हैं. जिससे भगवान को पाया जा सकता हैं. भगवान स्मरण ही जीवन का लक्ष्य हैं. भागवत क्था से आत्मा का उद्धार होता हैं. अंहकार छोडकर शरणागति ही सच्ची भक्ति है स्वामीजी ने इन बातो पर प्रकाश डाला.
कथा के अंत में ‘नन्हा सा फुल हु मै’, ‘चरणो की धुल हु मैं’, आया हु मैं. तुम्हारे द्वार, शुकदेव जी मेरी पूजा करो स्वीकार… यह भजन प्रस्तुत किया गया. पश्चात शक्तिपीठ के पीठाधिश्वर 1008 शक्ति महाराज, समाज सेवी नानकराम नेभनानी, पुरूषोत्तम शर्मा के हस्ते श्रीमद भागवत कथा ग्रंथ कि आरती की गई इस समय मुन्नालाल शर्मा, राजकुमार शर्मा नंदकिशोर शर्मा, मिनी शर्मा सचिन शर्मा, मार्यदा शर्मा, अमित शर्मा, शालिनी शर्मा, जय शर्मा, स्मिृत शर्मा, उदय शर्मा, रोश्नी शर्मा, विजय शर्मा, मोनिका शर्मा, सागर शर्मा, चंचल शर्मा, युग, देव, स्वयमं, प्रीहान, तीर्थ, रिवा, क्रिदय आदि उपस्थित थे.
उसी प्रकार विशेष अतिथियों के रूप में ममता तिवारी, सुनील व सुनीता शर्मा, नटवर व सुनीता जोशी, राजी व पूजा जोशी, पंकज व पूनम गांधी, कुणाल व श्रृति देशमुख, निखील व भावना दिक्षीत, शिल्पज व ऐश्वर्या घोगडे, उत्कर्ष व प्रियंका शर्मा, संदीप व विजयसिंह गौर, रंजना संदीप गौर, संतोष सिंह चंडेल, योगिता संतोष, प्रेमसिंह चंडेल व अनिता चंडेल, अर्जुन सिंग गोर, खामगांव की अनिता तिवारी, जय अंबे ग्रृप के पुरूषोत्तम शर्मा,भाजप युवा मोर्चा शहराध्यक्ष विक्की शर्मा मित्र परिवार के साथ कल्पना फाउंडेशन के सदस्य, माहेश्वरी पंचायत के नंदकिशोर राठी, अशोक सोनी, ओमप्रकाश परतानी, आनंदसिंह ठाकुर, अविनाश तिप्पट, अंमीत बंग, सुरेश मेहरा, पवन केशरवानी, नवल चांडक, पप्पू छांगानी, पूर्व पार्षद अजय सारसकर, संदीप राठी, रामेश्वर गग्गड, जयेश राजा उपस्थित थे.

 

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