मुझे व्यक्ति केंद्रित की बजाए विचार केंद्रित नेतृत्व स्वीकार

शिंदे गुट के नेता व पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता का स्पष्ट प्रतिपादन

* दैनिक ‘अमरावती मंडल’ के ‘पॉडकास्ट’ में दिल खोलकर की बातें
* सभी राजनीतिक सवालों का बेलाग तरीके से दिया जवाब
* मनपा के आगामी चुनाव को लेकर भी स्पष्ट की अपनी भूमिका
अमरावती /दि.19- करीब चार दशकों तक अमरावती शहर सहित जिले में भाजपा की राजनीति का केंद्र रहने के साथ ही भाजपा का स्थानीय स्तर पर सबसे प्रमुख चेहरा रह चुके पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता अब शिंदे गुट वाली शिवसेना का हिस्सा है और पश्चिम विदर्भ के सहसंपर्क प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पद का जिम्मा संभाल रहे है. वहीं अब मनपा के आगामी चुनाव हेतु भाजपा और शिंदे गुट वाली शिवसेना की युति होने जा रही है. जिसके चलते पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता को अब एक बार फिर भाजपा पदाधिकारी के साथ ही मिलकर काम करना होगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए दैनिक ‘अमरावती मंडल’ ने पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता से उनकी आगामी राजनीतिक रणनीति व भूमिका को लेकर विशेष तौर पर बात की, तो शिंदे गुट वाली शिवसेना के नेता व पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने राजनीतिक घटनाक्रम और आगामी मनपा चुनाव को लेकर अपनी बेबाक राय रखते हुए कहा कि उन्हें व्यक्ति नहीं, बल्कि विचारों और सिद्धांतों का नेतृत्व स्वीकार है. यदि कोई नेता विचारधारा से समझौता करता है, तो ऐसे व्यक्ति का साथ छोड़ने में उन्हें कोई हिचक नहीं. यही वजह रही कि, उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा व सिद्धांत का प्रखर तरीके से आगे बढ रहे डेप्युटी सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना में शामिल होने का निर्णय लिया था.
इस बातचीत में पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने स्पष्ट किया कि उन्होंने 23 वर्ष की आयु में भाजपा के लिए काम करना शुरु किया था और अगले करीब 43 वर्षों तक वे भाजपा में ही रहे. हालांकि इस दौरान भाजपा ने उन्हें एक बार करीब 15 वर्षों तक घर पर बिठाए रखने के साथ ही राजनीतिक हाशिए पर भी डालकर रखा. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खुद होकर भाजपा को कभी नहीं छोड़ा, बल्कि विगत विधानसभा चुनाव के बाद उनके द्वारा हिंदुत्व के मुद्दे पर बगावत किए जाने के चलते भाजपा ने ही उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. इस समय पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने स्पष्ट रुप से कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपाई विचारों और हिंदुत्व की रक्षा के लिए ही बगावत की थी. क्योंकि जिन लोगों ने लोकसभा चुनाव के समय भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ काम करने के साथ ही भाजपा प्रत्याशी को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन लोगों का विधानसभा चुनाव में साथ देने और उनकी दावेदारी का समर्थन करने का तो सवाल ही नहीं बनता था. यही वजह थी कि, उन्होंने अमरावती विधानसभा सीट से भाजपा का प्रत्याशी खडा करने की मांग की थी. लेकिन जब उनकी मांग को अनसुना व अनदेखा कर दिया गया, तो उन्होंने खुद को भाजपा का अनधिकृत प्रत्याशी घोषित करते हुए अपनी दावेदारी पेश की थी. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित करने के साथ ही अगले 6 माह तक उनसे कोई संपर्क भी नहीं किया. ऐसे में निकाय चुनाव में अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को राजनीतिक मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उन्होंने शिंदे गुट वाली शिवसेना में प्रवेश किया. जिसके लिए हिंदुत्व को ही सबसे प्रमुख आधार बनाया गया, क्योंकि हिंदुत्व हमारे लिए केवल नारा नहीं, बल्कि विचार है. इसी मुद्दे पर शिंदे सेना के साथ जाने का निर्णय लिया गया.
इस समय पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि शिंदे सेना में प्रवेश करने का फैसला किसी जल्दबाजी में नहीं लिया गया, बल्कि सभी पुराने सहयोगियों और लंबे समय से साथ रहे कार्यकर्ताओं के साथ विस्तार से चर्चा के बाद ही अंतिम निर्णय किया गया. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, अपनी चार दशक की राजनीतिक यात्रा के दौरान उन्होंने हमेशा ही अपने सभी सहयोगियों व समर्थकों की राय जानने के बाद ही कोई फैसला लिया है और उसी आधार पर वे हमेशा आगे भी बढे. यही वजह रही कि, भाजपा द्वारा पार्टी से निकाले जाने के बाद अपने उन्हीं सहयोगियों, समर्थकों व कार्यकर्ताओं को निकाय चुनाव के लिए राजनीतिक मंच उपलब्ध कराने हेतु उन्हें शिंदे गुट वाली शिवसेना में प्रवेश करने का निर्णय लेना पडा.
शिंदे गुट वाली शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं जिले के पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल के साथ पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता की कुछ तनातनी रहने की खबर विगत कुछ दिनों से सामने आ रही है. इसे लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने शिंदे सेना के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल के साथ अपने पुराने और सौहार्दपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि, अडसूल साहब के साथ उनके काफी पुराने संबंध है और उन्होंने उस समय भी हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा-सेना युति की ओर से संसदीय प्रत्याशी रहनेवाले आनंदराव अडसूल के पक्ष में चुनाव प्रचार का काम किया था, जब खुद उन्हें भाजपा ने घर पर बिठा रखा था. चूंकि इस समय वे और आनंद अडसूल हिंदुत्व की विचारधारा पर चलनेवाली एक ही पार्टी में शामिल है, तो आपसी मतभेद रहने का कोई सवाल ही नहीं उठता. जहां तक चुनाव में भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला करने का मसला है, तो वे और पूर्व सांसद अडसूल साथ मिलकर भाजपा पदाधिकारियों से चर्चा करते हुए इसका हल निकाल लेंगे.
इस बातचीत के दौरान मनपा चुनाव को लेकर भाजपा के साथ शिंदे सेना की युति को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने कहा कि भाजपा के साथ युति को लेकर उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोई आपत्ति नहीं है. अगर भाजपा को मुझसे कोई समस्या है, तो वह उनकी अपनी समस्या है, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस बार मनपा चुनाव के लिए इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन बहुसदस्यीय प्रभाग पद्धति के चलते बगावत की आशंका कम रहेगी. पार्टी के खिलाफ बगावत करने के लिए जिगरा चाहिए, और मौजूदा कार्यकर्ताओं में वह हिम्मत फिलहाल कम दिखाई देती है.
एक अन्य सवाल के जवाब में पूर्व मंत्री गुप्ता ने कहा कि वे स्वयं को नेता से अधिक एक साधारण कार्यकर्ता मानते हैं. विचारों और अपने साथियों के लिए मैं बड़े से बड़े नेता से भी भिड़ने को तैयार हूं. इसके साथ ही पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने विश्वास जताया कि आगामी मनपा चुनाव में शिंदे गुट की शिवसेना बेहतरीन प्रदर्शन करेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सीट बंटवारे को लेकर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा और जमीनी हकीकत का विश्लेषण कर शिंदे सेना के लिए अधिक से अधिक सीटें सुनिश्चित की जाएंगी.

Back to top button