तुम्हे गरीबों का ध्यान नहीं – हाईकोर्ट
वायु प्रदूषण से बीएमसी, एमपीसीबी को फटकारा

अमरावती/ दि. 24 – शहर के बढते वायु प्रदूषण में सार्वजनिक व निजी प्रकल्पों बडा हिस्सा होने से इस बांधकाम की जगह पर काम करनेवाले मजदूरों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए मुंबई महापालिका व महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण महामंडल ने (एमपीसीबी) को सावधानी के कुछ उपायों का पालन न किए जाने का ध्यान में आने पर उच्च न्यायालय ने तीव्र नाराजी व्यक्त की. बांधकाम कामगारों के लिए तुम्हारे पास कोई उपाय योजना नहीं. गरीबों कीे चिंता तुम्हे नहीं, ऐसे शब्दों में उच्च न्यायालय ने महापालिका व एमपीसीबी को मंगलवार को कहा. अभी से कोई उपाय योजना नहीं की गई तो स्थिति तुम्हारे बस से बाहर हो जायेगी, ऐसी चेतावनी भी न्यायालय ने इस समय दी.
मुंबई महापालिका और एमपीसीबी इन दोनों यंत्रों ने उच्च न्यायालय के दिए गये निर्देशों का पालन करने के ऐवज में उल्लघंन अधिक किया है, ऐसा मुख्य न्या. चंद्रशेखर व न्या. गौतम अखंड की खंडपीठ ने सुनाया. मुंबई मनपा आयुक्त भूषण गगराणी व एमपीसीबी के सदस्य सचिव देवेेन्द्र सिंग सुनवाई में उपस्थित थे. शहर के बढते वायु प्रदूषण के संबंध में मुंबई उच्च न्यायालय ने स्वयं प्रेरणा से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई थी.
* कामगारों को स्वस्थ्य रहने का अधिकार नहीं क्या ?
बांधकाम कामगारों के स्वास्थ्य संबंध में तीव्र चिंता व्यक्त कर उच्च न्यायालय ने कहा कि बांधकाम कामगारों के स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखते हो. तुम्हारे पास उनके लिए कुछ नहीं है. तुम्हे गरीबों की चिंता नहीं.
कम से कम उन्हें मास्क तो दो. उन्हें क्या स्वस्थ रहने का अधिकार नहीं है क्या ? यह मूलभूत अधिकार है. कामगारों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए तत्काल उपाय योजना बताए. उसका पालन भी तत्काल किया जायेगा. ऐसा न्यायालय ने कहा.





