सरसंघ चालक के आवाहन पश्चात नवनीत राणा ने कही चार बच्चों वाली बात
नागपुर में संघ प्रमुख भागवत ने हिन्दू दंपत्तियों से किया था तीन बच्चे पैदा करने का आहवाल

* पूर्व सांसद नवनीत राणा ने संघ प्रमुख की बात को ही आगे बढाया, भाजपा खुश
अमरावती/ दि.25- हाल ही में भाजपा नेत्री व जिले की पूर्व सांसद नवनीत राणा ने आवाहन किया था कि हर हिन्दू दंपत्ति ने कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए. पूर्व सांसद राणा के इस बयान को लेकर इस समय भले ही विपक्षी दलों द्बारा जमकर हंगामा किया जा रहा है. परंतु राणा के इस बयान की वजह से भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व काफी खुश बताया जा रहा है. क्योंकि विगत साप्ताह ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने लोक संख्या शास्त्र का हवाला देते हुए आवाहन किया था कि प्रत्येक हिन्दू ने कम से कम तीन बच्चे तो पैदा ही करने चाहिए. ऐसे मेंं पूर्व सांसद नवनीत राणा ने एक तरह से सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत द्बारा दिए गये बयान को ही आगे बढाया है. जिसके चलते भाजपा नेतृत्व खुश बताया जा रहा है.
बता दें कि विगत सप्ताह नागपुर में आयोजित कठाले पूर्व सम्मेलन में सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा था कि जन संख्या शास्त्र के अनुसार जनसंख्या वृध्दि दर 2.1 फीसद से कम नहीं होनी चाहिए. चूकि शून्य पाइंट एक मनुष्य पैदा नहीं हो सकता. जिसके चलते दो से अधिक यानी कम से कम तीन संताने तो होनी ही चाहिए. इसके साथ ही डॉ. मोहन भागवत ने इस बात पर भी चिंता जताई थी कि इन दिनों कई युवा जोडे विवाह पश्चात एक भी बच्चा पैदा करने की मानसिकता में नहीं रहते. जिसके चलते जनसंख्या में बडी तेजी के साथ गिरावट आ रही है. डॉ. भागवत के मुताबिक जनसंख्या के इसी तरह तेजी से घटने के चलते कई भाषाए और समाज नष्ट हो गये हैं. अत: इस बात को ध्यान में रखते हुए मौजूदा भाषा व समाज को सुरक्षित रखने के लिए जनसंख्या की प्राकृतिक वृध्दि पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है.
इसके साथ ही संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने यह भी कहा कि भारत देश की जनसंख्या निजी वर्ष 2000 के आसपास तय हुई थी. जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जनसंख्या वृध्दि की दर दो पाइंट एक के नीचे न रहे. जिसका सीधा मतलब है कि हर दंपत्ति की कम से कम तीन संताने होनी चाहिए. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने सन 1950 से 2015 के दौरान देश में हिन्दुओं के बहूसंख्यक रहने की बात स्पष्ट की है. दूसरी ओर अब हिन्दूओं की जनसंख्या में 7.8 प्रतिशत की गिरावट आने की बात भी कही गई है. वहीं दूसरी ओर भारत के पडोसी राष्ट्रों में उन देशों के प्रमुख धर्मो की जनसंख्या तेजी से बढ रही है. इसके अलावा यूपीएससी में सफल रहनेवाले मराठी भाषियों का प्रतिशत भी कम हुआ है. साथ ही भारत में जहां बौध्द धर्मियों की संख्या में वृध्दि हुई है. वहीं जैन व पारसियों की जनसंख्या घटी है. हालांकि इस दौरान सन 1950 से 2015 तक मुस्लिमों की जनसंख्या में 43.15 प्रतिशत की वृध्दि हुई है और ईसाईयों की जनंसख्या भी 5.38 फीसद से बढी है. इसके अलावा सिख धर्मियों की संख्या में भी 6.8 फीसद की वृध्दि दर्ज की गई है.
संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के अभ्यासपूर्ण वक्तव्य के पश्चात भाजपा के किसी भी नेता ने जनसंख्या बढाने अथवा ज्यादा बच्चे पैदा करने के बारे मेें कोई बयान नहीं दिया था. परंतु भाजपा नेत्री नवनीत राणा ने एक मौलाना के बयान का हवाला देते हुए कहा कि यदि मुस्लिमों द्बारा 19 बच्चे पैदा किए जा रहे है तो हर हिन्दू ने भी कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए. नवनीत राणा के इस बयान को लेकर जबर्दस्त हंगामा मचा. राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने पूर्व सांसद नवनीत राणा को सलाह दे डाली कि अन्य को उपदेश देने की बजाय नवनीत राणा ने इसकी शुरूआत खुद अपने घर से ही करनी चाहिए. वही शिवसेना उबाठा की प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने पूर्व सांसद नवनीत राणा से इस बारे में खुद होकर पहल करने का आवाहन करते हुए कहा कि यदि नवनीत राणा और दो बच्चों को जन्म देती है तो उनकी जचकी का जिम्मा शिवसेना उबाठा संभालेगी.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने पत्रकार परिषद में भारत के हिन्दू राष्ट्र रहने की बात कही थी. देश में हिन्दूओं की संख्या घट रही है और मुस्लिमों की संख्या बढ रही है, ऐसा जनसंख्या विशेषज्ञों द्बारा बताया जा रहा है. ऐसे में उपरी तौर पर भले ही नवनीत राणा के बयान का विरोध किया जा रहा है. परंतु हिंदू मतदाताओं द्बारा गंभीरतापूर्वक विचार किया जा सकता है. इस समय देश में दक्षिण भारत में जनसंख्या कम हो रही वही उत्तर भारत में जनसंख्या बढ रही है. जिसके चलते परिसीमन आयोग के अनुसार दक्षिण भारत में संसदीय क्षेत्रों की संख्या कम होगी तथा उत्तर भारत में बढेगी. देश की घटती या बढती जनसंख्या का परिणाम सरकारी के स्थापित होने पर होता है. जिसे ध्यान में रखते हुए डॉ. मोहन भागवत ने हिन्दुओं की घटती जनसंख्या के मद्दे नजर प्रत्येक हिन्दू दंपत्ति से तीन संतानें पैदा करने का आवाहन दिया. वहीं पूर्व सांसद नवनीत राणा ने एक कदम आगे बढते हुए हर हिंदू दंपत्ति के लिए चार संतानाेंं को पैदा करने का फार्मूला बताया. इस बयान का भले ही विपक्षी दलों द्बारा विरोध किया जा रहा है. परंतु राष्ट्रीय स्तर पर इस बयान को अच्छा खासा समर्थन भी मिल रहा है.





