घर वापस लौटे मगर काम नहीं

लोगों के जहन में उठ रहे है सवाल लॉकडाउन के कारण कई लोग हो रहे बेरोजगार

प्रतिनिधि/ दि.१८

अमरावती– कोरोना के बढते प्रादुर्भाव के कारण मुंबई, पुणे के कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी अपने शहर, गांव वापस लौटे है मगर उन्हें रोजगार के लिए यहां वहां भटकना पड रहा है. स्थानीय उद्योग समूह उन लोगों को रोजगार देने में सक्षम नहीं. जिसके कारण सैकडों युवाओं को स्वयं रोजगार की ओर कदम बढाना होगा. कोरोना प्रादुर्भाव की वजह से निर्माण हुए खतरे की वजह से उद्योग जगत ठप्प हो चुका है. लॉकडाउन की वजह से मुंबई, पुणे की कई कंपनियों में ताले लग गए है. कई कंपनियों ने कर्मचारियों में कटौती कर डाली. कोरोना के डर के कारण हजारों अमरावती वासी युवक, कर्मचारी अपने घर वापस लौटे है. स्थानीय एमआईडीसी में लगभग ७५० मध्यम व लघु उद्योग है. लॉकडाउन काल में वे बंद ही थे, अब शासन ने फिर से अनुमति दी मगर ५० प्रतिशत कर्मचारियों की शर्त रखी है. इस स्थिति में अमरावती के उद्योग शुरु है, परंतु दूसरी ओर मुंबई, पुणे से बेरोजगार युवा जिले में वापस लौटे है. उनके समायोजन की बडी समस्या प्रशासन के सामने निर्माण हुई है. एमआईडीसी के उद्योग उन कर्मचारियों को नौकरी देने में सक्षम नहीं. जिसके कारण बेरोजगार होने वाले युवाओं के सामने स्वयं रोजगार, खेती, निजी नौकरी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा. बॉ्नस रोजगार देने में सक्षम नहीं स्थानीय उद्योग उन बेरोजगारों को रोजगार देने में सक्षम नहीं है. एमआईडीसी के उद्योजकों को अब ५० प्रतिशत कर्मचारियों के भरोसे ही काम चलाना पड रहा है. शनिवार, रविवार को जनता कफ्र्यू है. इस समय एमआईडीसी शुरु रहती है मगर पुलिस विभाग उद्योजकों के सामने तकनीकी बाधा निर्माण करती है. उन बेरोजगारों के सामने स्वयं रोजगार के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. – किरण पातुरकर, अध्यक्ष एमआईडीसी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन. बॉ्नस फिलहाल उत्पादन करने के इच्छूक नहीं फिलहाल की स्थिति में उत्पादन तैयार करने के लिए उद्योजक इच्छूक नहीं है. प्रोडक्ट दिखा नहीं तो निर्माण क्यो करना, ऐसा प्रश्न उद्योजकों के सामने खडा हुआ है. इसके कारण एमआईडीसी में बेरोजगारों की कतार लगेगी, ऐसा अनुमान लगाना गलत है क्योकी मुंबई, पुणे से जो कर्मचारी बडे वेतन पर नौकरी करते थे वे कम वेतन में काम करने के लिए कैसे तैयार होंगे?

– अविनाश कानतुटे, उद्योजक अमरावती

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