बच्चू कडू का 25 साल पुराना पत्र हो रहा वायरल

शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को लिखा गया था पत्र

* खत में किसानों की समस्याओं का ही किया गया था उल्लेख
* 25 साल बाद भी सभी मुद्दे बने हुए है प्रासंगिक
अमरावती/दि.31 – प्रहार संगठन के अध्यक्ष बच्चू कडू के किसान आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि राज्य सरकार 30 जून 2026 से पहले किसानों की कर्जमाफी का निर्णय लेगी. इस घोषणा के बाद कडू ने आंदोलन वापस ले लिया. इसी बीच, करीब 25 साल पुराना एक पत्र, जो बच्चू कडू ने तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को लिखा था, अचानक चर्चा में आ गया है. इस पत्र से यह स्पष्ट होता है कि ढाई दशक बीत जाने के बाद भी किसानों की हालत में बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है.
बता दें कि, सन 1995 में महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार बनी थी और मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे. उस समय शिवसेना में रहने के साथ ही चांदुर बाजार पंचायत समिति के सभापति रहनेवाले बच्चू कडू ने शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को यह पत्र लिखते हुए कहा था कि, हम शिवसेना के कार्यकर्ता, जो ग्रामीण किसानों के परिवार से हैं, पिछले दस वर्षों से निष्ठा और परिश्रम से कार्य कर रहे हैं. लेकिन दो-अढ़ाई वर्ष के शिवसेना-भाजपा शासन में शहरों में फ्लाईओवर, बड़ी इमारतें और झुणका-भाकर केंद्र बने, किंतु किसानों के लिए किए गए वादे अधूरे ही रह गए. किसानों को अभी भी 7/12 नहीं मिलता, कपास का भुगतान छह-छह महीने तक रुका रहता है, फसल का संरक्षण नहीं होता. उलटे इंदिरा विकास पत्र (बॉन्ड) के माध्यम से दस प्रतिशत कटौती कर किसानों पर और भार डाला जा रहा है. नवंबर-दिसंबर में किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ, फसलें खेत में सड़ गईं. न तो फसल बीमा है, न राहत, उलटे जबरन कर्ज वसूली की जा रही है. यह शिवसैनिकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा प्रतीत होता है कि सीमेंट के जंगल में बैठे मुख्यमंत्री अब किसानों को देख नहीं पा रहे. उम्मीद है कि आप शिवराय की तरह आगे बढ़कर किसानों को इस संकट से बचाएंगे. अन्यथा यह कहना पड़ेगा कि कांग्रेस की सरकार इस युति सरकार से बेहतर थी.
वहीं आज वर्ष 2025-26 में बच्चू कडू फिर किसानों के हक में आंदोलन की राह पर हैं. ऐसे में उनका 25 वर्ष पुराना पत्र इस बात का प्रमाण है कि किसानों की पीड़ा आज भी वैसी ही है जैसी तब थी. यही कारण है कि यह पत्र एक बार फिर पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बन गया है.

Back to top button