संत्रा उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए व्यापक नीति आवश्यक
राष्ट्रीय संत्रा उत्पादक परिषद में एड. निलेश हेलोंडे का कथन

* देशभर से कृषि विशेषज्ञों व संतरा उत्पादकों की रही उपस्थिति
अमरावती/दि.16 – महाराष्ट्र राज्य किसान सभा द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संत्रा उत्पादक परिषद 2025 का आयोजन स्थानीय मातोश्री विमलाबाई देशमुख सभागृह, अमरावती में भव्य रूप से संपन्न हुआ. परिषद का उद्घाटन स्व. वसंतराव नाईक शेती स्वावलंबन मिशन, महाराष्ट्र के अध्यक्ष एड. निलेश हेलोंडे ने किया. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन क्षीरसागर ने की. कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में अमरावती संसदीय क्षेत्र के सांसद बलवंतराव वानखडे व वर्धा संसदीय क्षेत्र के सांसद अमर काले सहित संत्रा बागायतदार संगठन के अध्यक्ष एड. धनंजय तोटे तथा के. व्ही. व्ही. प्रसाद (आंध्र प्रदेश), ज्येष्ठ कम्युनिस्ट नेता तुकाराम भस्मे, महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के अध्यक्ष एड. हिरालाल परदेशी एवं प्रा. साहेबराव विधले व अशोक सोनारकर उपस्थित थे.
इस समय अपने संबोधन में एड. हेलोंडे ने कहा कि संत्रा उत्पादक किसानों की आत्महत्याएं शुरु होना बेहद दुखद बात है. उन्होंने कहा कि स्थानीय बाजारों, टोल नाकों, बस व रेल्वे स्टेशनों पर संत्रा विक्रेताओं को बिक्री के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाना चाहिए. उन्होंने संत्रा फसल के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) घोषित करने की मांग की. साथ ही सरकार और उत्पादकों को मिलकर संत्रा प्रक्रिया उद्योग और संरक्षण व्यवस्था विकसित करने की जरूरत बताई. हेलोंडे ने यह भी कहा कि जब संत्रा सड़क पर फेंका जाता है, तो यह राष्ट्रीय समाचार नहीं बनता, यह हमारे क्षेत्र का दुर्भाग्य है. उन्होंने मीडिया से संत्रा उत्पादकों के मुद्दे प्रमुखता से उठाने की अपील की.
वहीं वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता राजन क्षीरसागर ने कहा कि बदलते जलवायु, तकनीकी और आयात-निर्यात नीतियों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के संत्रा उत्पादकों के लिए एक सर्वसमावेशक संत्रा बोर्ड का गठन किया जाए. उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक अनुसार प्रतिदिन व्यक्ति को 260 ग्राम फल का सेवन आवश्यक है, जबकि भारत में यह औसत केवल 65 ग्राम है. उन्होंने सुझाव दिया कि मिड-डे मील (मध्याह्न भोजन) और माता-बाल संगोपन कार्यक्रमों में फलों को शामिल किया जाए, ताकि फल उत्पादकों को प्रोत्साहन मिले.
इस अवसर पर अमरावती के सांसद बलवंत वानखडे ने कहा कि विदर्भ क्षेत्र के संत्रा उत्पादक अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इन मुद्दों को संसद में उठाएँगे. वहीं वर्धा के सांसद अमर काले ने कहा कि महाराष्ट्र के संत्रा उत्पादकों को अब संगठित होकर अपने हक के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता है.
इस आयोजन में प्रास्ताविक प्रा. साहेबराव विधले ने रखा, जबकि अशोक सोनारकर ने अखिल भारतीय किसान सभा की भूमिका स्पष्ट की. संचालन डॉ. ओमप्रकाश कुटेमाटे ने किया. इस समय भाई अरविंदराव वानखडे, संदीप रोडे (मोर्शी), संजय मंगले (नेर पिंगलाई), विनोद जोशी और एड. हिरालाल परदेशी की विशेष उपस्थिति रही. आभार प्रदर्शन महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के जिलाध्यक्ष सतीश चौधरी ने किया. इस परिषद में पूर्व व पश्चिम विदर्भ से 250 से अधिक संत्रा उत्पादक किसानों ने सहभाग लिया.
इस परिषद में कुछ प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए, जिसके तहत कहा गया कि, अतिवृष्टि से प्रभावित संत्रा उत्पादकों को हेक्टरी 1 लाख की तात्कालिक सहायता दी जाए. संत्रा फसल अनुसंधान और एकात्मिक विकास के लिए समग्र नीति बनाई जाए. गुणवत्तापूर्ण उत्पादन हेतु कृषि संसाधनों व सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. संत्रा फलों के बाजार भाव निर्धारण पर सरकारी नीति घोषित हो. विपणन, निर्यात, प्रक्रिया उद्योग व शीतगृह निर्माण हेतु दीर्घकालिक नीति बनाई जाए. संत्रा फलबाग एकात्मिक विकास प्राधिकरण की स्थापना की जाए. प्राकृतिक आपदाओं के समय तात्कालिक नुकसान भरपाई के लिए नई योजना बने. फलपीक विमा योजना का पुनर्मूल्यांकन कर सुधारित योजना तैयार की जाए. जलसिंचन सुविधा व संत्रा क्षेत्र विस्तार हेतु शासकीय नीति ठहराई जाए. जनजागरण व जनआंदोलन कार्यक्रम के माध्यम से संत्रा उत्पादकों की मांगें राज्य व केंद्र सरकार तक पहुँचाई जाएँ.
इस परिषद के माध्यम से संत्रा उत्पादकों ने सरकार से ठोस नीतिगत कदम उठाने की मांग की, ताकि विदर्भ के संत्रा किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो सके.





