अंजनगांव सुर्जी में पीली मारबती का जुलूस निकला
150 साल पुरानी परंपरा, कोष्टी का प्रतिष्ठित त्यौहार

अंजनगांव सुर्जी/दि. 25 – प्राचीन काल में आध्यात्मिक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाने वाला मारबत पूजा का त्यौहार, शहर के कोष्टी समुदाय द्वारा 150 वर्षों बाद भी उसी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. तीसरी और चौथी पीढ़ी के युवा हर साल इस पीली मारबत शोभायात्रा का आयोजन करते हैं. अन्य समुदायों के युवा भी इसमें भाग लेते हैं. इस त्यौहार को मनाने में विदर्भ के नागपुर के बाद अंजनगांवसुर्जी का नाम लिया जाता है.
आज के उन्नत वैज्ञानिक युग में भले ही सबको प्रगति के पंख लग गए हों, फिर भी प्राचीन काल की स्मृतियां आज भी सुरक्षित हैं. उस काल में संकट का सामना करने के लिए अध्यात्म का सहारा लिया जाता था और उससे संतोष का अनुभव किया जाता था. कहते हैं कि मारबत पूजा का पर्व यहीं से शुरू हुआ. आज पांचवीं पीढ़ी में भी युवा इस पर्व को बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं. उस दौरान शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और प्राकृतिक संकटों को दूर करने के लिए ’इडा पीड़ा लेकर जाएगे मारबत’ की भावना के साथ मारबत की पूजा करने के लिए जुलूस निकालने की प्राचीन परंपरा लगभग 150 वर्षों के बाद भी शहर में चली आ रही है. हर साल पोला के दूसरे दिन, कोष्टी समुदाय के युवा पोला उत्सव समाप्त होने के बाद रात में यहां गुलजारपुरा क्षेत्र में हनुमान मंदिर में बड़ी भक्ति के साथ एक पीली मारबत की मूर्ति बनाते हैं और अगले दिन, यानी कर के दिन, इस मारबत को एक ट्रैक्टर ट्रॉली पर रखा जाता है और शहर में ढोल की थाप पर जुलूस निकाला जाता है. इस मारबत की शहर में विभिन्न स्थानों पर नागरिकों द्वारा पूजा की जाती है. बाद में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है. इस वर्ष, शनिवार 23 अगस्त कोे पीली मारबत का जुलूस शहर से हर्षोल्लास के साथ निकाला गया. इसके लिए गुलजारपुरा निवासी राहुल पाटिल, सचिन गोखे, अक्षय केवले, निखिल ढोरे, आराध्य निमजे आदि ने कड़ी मेहनत की.





