सभी तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ हो कार्रवाई

तहसीलदार सहित जिलाधीश, मनपा आयुक्त व पुलिस आयुक्त की हो विभागीय जांच

* फर्जी जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र मामले में पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने उठाई मांग
* पत्रवार्ता में प्रशासन पर जमकर बिफरे, दस माह से मामले की अनदेखी का लगाया आरोप
अमरावती/दि.28 – जाली दस्तावेजों के आधार पर तहसील कार्यालय के जरिये बनावटी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने को लेकर लगातार आवाज उठा रहे भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने गत रोज अमरावती पहुंचकर आरोप लगाया कि वे विगत करीब दस माह से इस मामले को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं और उनके द्वारा सतत आवाज उठाये जाने के चलते शुरू की गई जांच की वजह से जहां इससे पहले अमरावती मनपा क्षेत्र में 514 जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी पाये गये थे, वहीं अब अमरावती तहसील क्षेत्र में 962 प्रमाणपत्र फर्जी रहने की जानकारी सामन आई है, जिसमें 942 जन्म प्रमाणपत्र एवं 20 मृत्यु प्रमाणपत्र का समावेश है. ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिये.
कल अमरावती के दौरे पर पहुंचे पूर्व सांसद सोमैया ने भाजपा कार्यालय में बुलाई गई पत्रवार्ता में कहा कि जब उन्होंने दस माह पहले यह मुद्दा उठाया था, तब अमरावती के तत्कालीन जिलाधीश सौरभ कटियार, तत्कालीन मनपा आयुक्त देवीदास पवार और तत्कालीन शहर पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी ने उनकी बातों को हल्के में लेकर इस पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया था, लेकिन वे अपनी बात पर डटे रहे और प्रशासन को फर्जी प्रमाणपत्रों के संदर्भ में लगातार सबूत भी देते रहे. इस दौरान उन्होंने कई बार अमरावती का दौरा करते हुए इस बारे में संबंधित अधिकारियों से बात की. साथ ही पुराने अधिकारियों का तबादला होने के उपरांत उनके स्थान पर आये नये अधिकारियों को पूरा मामला समझया, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित इस महत्वपूर्ण मामले की जांच पड़ताल शुरू हुई और आज अमरावती शहर सहित तहसील क्षेत्र में जारी करीब 2800 विलंबित जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों में से लगभग 1500 प्रमाणपत्र फर्जी पाये जा चुके है. ऐसे में इन प्रमाणपत्रों को जारी करनेवाले अमरावती के तत्कालीन तहसीलदार के साथ साथ उस वक्त इस मामले को दबाने का प्रयास करनेवाले तत्कालीन जिलाधीश कटियार, तत्कालीन मनपा आयुक्त पवार एवं तत्कालीन पुलिस आयुक्त रेड्डी के खिलाफ भी विभागीय जांच करते हुए कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए.
अमरावती जिले में तहसील कार्यालय के माध्यम से बड़े पैमाने पर फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने के घोटाले ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं. जिसके चलते इस प्रकरण में लगातार आवाज उठा रहे भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद किरिट सोमैया ने चेतावनी दी कि जब तक इस घोटाले में शामिल सभी अधिकारी व तंत्र के तत्वों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे इस मामले को आगे भी उठाते रहेंगे.
* ‘उन’ विपक्षी दलों व नेताओं की भूमिका भी जांची जाए
इस पत्रवार्ता में भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि, कांग्रेस, राकांपा (शरद पवार गुट), समाजवादी पार्टी व एमआईएम जैसी पार्टियों ने अपना वोट बैंक बढाने हेतु विगत कई वर्षों से बांग्लादेशियों को महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलो में लाकर बसाने का काम किया. साथ ही इन दलों के साथ वर्ष 2019 से 2022 के दौरान राज्य की सत्ता में रही और इस समय महाविकास आघाडी में शामिल रहनेवाली शिवसेना उबाठा ने भी इस काम को आगे बढाना शुरु किया. यही वजह थी कि, जब उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्रों का मुद्दा तमाम सबूतों के साथ उठाया था, तो इन सभी विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ एक साथ मोर्चा खोलते हुए उनका मजाक उडाना शुरु किया था. लेकिन आज जब सैकडों-हजारों प्रमाणपत्र फर्जी व बनावटी पाए जा रहे है, तो उन सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के मुंह से एक भी बोल नहीं फुट रहे. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, फर्जी प्रमाणपत्र जारी करनेवाले तत्कालिन अधिकारियों की जांच-पडताल करने के साथ-साथ चोरी-छिपे महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में रहनेवाले बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं को लाकर बसाने वाले व उन्हें पनाह देनेवाले नेताओं की भूमिका भी जांची जाए और जरुरत पडने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए.

 

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