23 साल बाद पिपल्स को-ऑप. बैंक के संचालक मंडल को मिली बडी राहत
सबसे चर्चित बैंक घोटाले के सभी आरोपी बाइज्जत बरी

* जिला व सत्र न्यायालय ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला
* वरिष्ठ विधिज्ञ एड. प्रशांत देशपांडे सहित अन्य ने की सफल पैरवी
अमरावती /दि.20 – आज से 23 साल पहले अमरावती शहर के सबसे चर्चित बैंक घोटाले के मामले में जिला सत्र न्यायालय ने विगत मंगलवार 19 अगस्त को सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है. जिसके चलते 23 साल बाद बैंक के संचालक मंडल को न्याय मिला है.
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2002 में अमरावती की मुख्य शाखा पिपल्स को-ऑप. बैंक में उस समय के संभागीय सहनिबंधक (लेखा परीक्षक) अधिकारी बाबाराव बिहाडे ने कोतवाली पुलिस थाने में 15 मई 2002 को शिकायत दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि, संचालक मंडल ने अपने निजी स्वार्थ के लिए 26 जनवरी 2001 को 4 करोड रुपए गिलटेक मैनेजमेंट सर्विस और 26 मार्च 2002 को 5 करोड 50 लाख वेनचुरा डीलर्स प्रा. लि. कंपनी के मार्फत सिक्युरिटी में निवेश किया था. संचालक पर आरोप था कि, इन कंपनी के मार्फत जो पैसे निवेश किए गए हैं, वह जानबूझकर संचालक मंडल ने अपने निजी मतलब के लिए उक्त कंपनी में किए है. जिसके बाद सहनिबंधक अधिकारी के जरिए बैंक का ऑडिट किया गया और संचालक मंडल पर आरोप तय करते हुए पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद अमरावती जिला सत्र न्यायालय में दोषारोप दाखिल किया गया. इस मामले में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद पिपल्स को-ऑप. बैंक के संचालक मंडल के संचालक वसंतराव साऊरकर, ईश्वरदास घोम, सदाशिव मस्करे, घनश्याम मुदगल, भोजराज गुप्ता, जयश्री पाटिल, ज्ञानेश्वर मालोडे, राजेंद्र सोने, मुकुंदराव शान्दिलया, जयंत चेडे, रंगराल काले, अजय गंधे, चंदुलाल केला, दिनकर साने, माया अंबुलकर, सुधाकर जोशी, दत्तात्रय मावलकर, श्रीकांत उतीकर, केतन सेठ, महेंद्र अग्रवाल, संजय अग्रवाल, सुबोध भंडारी, नंदकिशोर शंकरलाल त्रिवेदी इन सभी संचालक मंडल के खिलाफ पुलिस ने 406, 409, 468, 120 (ब), 34 के तहत कोतवाली पुलिस थाने में अपराध दर्ज किया था. जिसके पश्चात जांच-पडताल करने के पश्चात कोर्ट में दोषारोप पत्र दाखिल किया गया. जहां संचालक वसंतराव साऊरकर की ओर से एड. प्रशांत देशपांडे ने सफल पैरवी करते हुए अदालत के सामने कुछ महत्वपूर्ण सबूत रखते हुए यह सिद्ध किया कि, संचालक मंडल पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है. जबकि जो निवेश किया गया था उनमें बैंक का ही फायदा हुआ है, वहीं सिक्युरिटी के पैसे बैंक को मिल चुके है तथा बची हुई रकम सीजीएम के खाते में जमा है. एड. प्रशांत देशपांडे की ओर से जब यह बात अदालत के सामने लाकर रख दी गई, वहीं इस मामले में बैंक का किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान न होने की बात भी उन्होंने अदालत को बताई. पश्चात इसके विपरित बैंक द्वारा जमा किए गए निवेश में बैंक का फायदा ही हुआ है, ऐसा भी एड. देशपांडे ने अदालत को बताया. जहां अदालत ने इस पूरे मामले में 14 साक्षीदार के बयान दर्ज किए और अंतत: 19 अगस्त को दोनों भी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी करने का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. जिसके चलते 23 साल के बाद पिपल्स को-ऑप. बैंक के संचालक मंडल को न्याय मिलने की बात एड. प्रशांत देशपांडे ने कही है. वहीं अदालत में अलग-अलग संचालक मंडल की ओर से अलग-अलग वकीलों ने सफल पैरवी की. जिनमें एड. वासुदेव नवलानी, एड. आर. एम. अग्रवाल, एड. अनंत विघे, एड. धर्मेश साबलानी, एड. प्रदीप कोकाटे, एड. केवले व अन्य वकीलों का समावेश है. बताया गया कि, इन संचालक मंडल में कुछ संचालक सदस्य स्वर्गवासी हो चुके है.





