सीजेआई के दौरे पश्चात यंत्रणा हुई सक्रिय, मेलघाट में बिजली की समस्या हुई हल
अब 50 आदिवासी गांवों को नियमित मिलेगी बिजली

* आदिवासियों को बिजली दिलाने सीजेआई गवई के रहे विशेष प्रयास
अमरावती /दि.11 – महावितरण के 33 केवी जारीदा उपकेंद्र को वन विभाग की अंतिम मंजूरी मिलने के चलते अब जारीदा सहित आसपास के 50 गांवों को अखंडित व नियमित विद्युत आपूर्ति उपलब्ध होगी. जिसके लिए देश के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण गवई द्वारा किए गए विशेष प्रयास सबसे प्रमुख रहे. सीजेआई गवई द्वारा किए गए प्रयायों के चलते ही जारीदा उपकेंद्र के मार्ग में रहनेवाली सभी बाधाओं व दिक्कतों को दूर किया जा सका.
बता दें कि, मेलघाट के अतिदुर्गम व आदिवासी बहुल वनक्षेत्र में स्थित जारीदा विद्युत वितरण केंद्र से संलग्नित 50 आदिवासी गांवों को अखंडित व नियमित विद्युत आपूर्ति करने हेतु जिला विकास निधि की आदिवासी उपयोजना से 9 करोड 33 लाख 94 हजार रुपए खर्च कर जारीदा में 50 एमवीए की क्षमतावाला 33 केवी विद्युत उपकेंद्र स्थापित किया गया है. इस उपकेंद्र को 220 केवी की विद्युत आपूर्ति कोयलारी (मध्य प्रदेश) के विद्युत उपकेंद्र से की जाएगी. अक्तूबर 2023 में इस विद्युत उपकेंद्र का निर्माण पूरा हुआ था. परंतु 33 केवी विद्युत वाहिनी का कुछ क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण एवं वनरक्षण कानून के तहत आने के चलते मंजूरी मिलने में विलंब हुआ. इसके उपरांत महावितरण के साथ तत्कालिन जिलाधीश सौरभ कटियार के मार्फत नियमित बैठके होने के साथ ही सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा सतत प्रयास भी किए गए. जिसके फलस्वरुप जारीदा स्थित 33 केवी उपकेंद्र को मंजूरी मिली और इस उपकेंद्र से संलग्नित 50 गांवों को अखंडित व नियमित विद्युत आपूर्ति शुरु होने का रास्ता भी खुला.
विशेश उल्लेखनीय यह रहा कि, जहां एक ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन द्वारा अपने-अपने स्तर पर जारीदा के विद्युत उपकेंद्र को मंजूरी दिलाने हेतु आवश्यक प्रयास किए जा रहे थे. वहीं मूलत: अमरावती से वास्ता रखनेवाले तथा समाज के पिछडे घटकों के लिए हमेशा ही सहानुभूती रखनेवाले सीजेआई भूषण गवई ने भी अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए संबंधित विभागों को घने जंगलों के बीच स्थित आदिवासी बहुल जारीदा क्षेत्र के दुर्गम गांवों तक विद्युत आपूर्ति पहुंचाने को दिशानिर्देश जारी किए थे. साथ ही साथ विगत दिनों सीजेआई भूषण गवई का अमरावती जिला दौरा भी हुआ था. जिसके चलते प्रशासनिक स्तर पर अच्छी-खासी सक्रियता देखी गई और सालोंसाल से प्रलंबित पडा जारीदा विद्युत उपकेंद्र का मसला देखते ही देखते हल हो गया.
– 12 मार्च 2025 को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की दिल्ली में हुई बैठक में जारीदा के 33 केवी विद्युत उपकेंद्र को मान्यता दी गई.
– 26 अप्रैल 2025 को पर्यावरण मंत्रालय सलाहकार समिति (दिल्ली) की बैठक में वनसंरक्षण अधिनियम अंतर्गत 33 केवी जारीदा उपकेंद्र के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
– 14 जुलाई 2025 को वन्यजीव विभाग ने 33 केवी जारीदा विद्युत उपकेंद्र का काम शुरु करने को मान्यता प्रदान की.
– 6 अगस्त 2025 को पर्यावरण मंत्रालय की ओर से अंतिम मान्यता प्राप्त हुई.
* न्याय केवल सत्ता केंद्र के लिए सीमित न रहे
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि, गत रोज ही सीजेआई भूषण गवई ने कहा कि, वे हमेशा ही विकेंद्रीकरण के कट्टर समर्थक रहे है और उनका मानना है कि, न्याय हमेशा लोगों के दरवाजे तक पहुंचना चाहिए और न्याय कभी भी सत्ता के केंद्र तक मर्यादित नहीं रहना चाहिए. गत रोज गुवाहाटी हाईकोर्ट की इटानगर खंडपीठ की नई इमारत के उद्घाटन अवसर पर उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही सीजेआई भूषण गवई ने कहा कि, न्याय पालिका, विधि मंडल व कार्यकारी मंडल का गठन जनता की सेवा करने और जनता को कम से कम खर्च में जल्द से जल्द न्याय दिलाने हेतु किया गया है और न्यायालय, न्याय पालिका व विधि मंडल किसी राजघराणे के सदस्यों, न्यायाधीशों व कार्य पालिका के सदस्यों के लिए नहीं है. बल्कि हम सभी आम नागरिकों को न्याय देने के लिए अपने पदों पर है. इस समय सीजेआई भूषण गवई ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का संदर्भ देते हुए कहा कि, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारत की एकता के कट्टर समर्थक थे और वे हमेशा ही ‘भारत प्रथम व भारत अंतिम’ की बात कहा करते थे.





