‘जीआय’ की सुनहरी हल्दी का चाहिए ‘विस्तार’!
विदर्भ के हल्दी उत्पादकों को होगा लाभ ; डॉ. पंजाबराव कृषि विद्यापीठ द्वारा प्रयास
अकोला-दि.31 पीडीकेवी वायगांव की हल्दी को भौगोलिक मानांकन प्राप्त हुआ है, लेकिन वर्धा जिले के समुद्रपुर तहसील तक ही सीमित होने के कारण इस सुनहरी हल्दी का लाभ विदर्भ की शेष वायगांव हल्दी उत्पादकों को नहीं मिल रहा. जिसके चलते इस उत्पादन का भौगोलिक मानांकन विस्तार होना आवश्यक होने के साथ ही इसके लिये डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ द्वारा प्रयास जारी है.
वर्धा जिले के समुद्रपुर तहसील की स्वास्थ्यवर्धक वायगांव हल्दी को भौगोलिक मानांकन मिलने के बाद सोने के दिन आये हैं. इस उत्पादन पर डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ द्वारा संशोधन किये जाने के साथ ही इसके कारण हल्दी को पीडीकेवी वायगांव यह नाम दिया गया है. इस हल्दी को भौगोलिक मानांकन मिलने से एवं औषधी गुणधर्म के कारण बाजार में अन्य हल्दी की तुलना में ज्यादा भाव मिलने से यह हल्दी देशभर के खवय्यों के भोजन की पोषकता एवं स्वाद बढ़ाने में सहायक साबित हुई है. मात्र मानांकन यह समुद्रपुर तहसील तक ही मयार्दित है. इसलिए इस मानांकन का लाभ अन्य वायगांव उत्पादक किसानों को नहीं मिल रहा. गत समय में विदर्भ में वायगांव हल्दी के क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई, लेकिन मानांकन व बाजार पेठ के अभाव में किसानों को काफी दिक्कतें आ रही हैं.
* वायगांव हल्दी स्वास्थ्यवर्धक
वायगांव हल्दी अन्य हल्दी की तुलना में रंग गहरा पीला होकर उसका स्वाद भी अलग है. यह हल्दी सूजन, वेदना कम व नष्ट करने वाली, त्वचा विकास का नाश करने वाली, जख्म को निर्जंतुकीकरण करने वाली, रुचि बढ़ाने वाली, बुखार का नाश करने वाली आदि विविध गुणों से समृद्ध है. तज्ञों का कहना है कि कर्क रोग, मेंदूविकार, वात विकार, सर्दी, बुखार, खांसी, त्वचा की बीमारी आदि के लिये भी उपयुक्त है.
* कुर्क्युमिन का प्रमाण 6.5 प्रतिशत
* हल्दी में औषधि गुण वाली पीडीकेवी वायगांव हल्दी में कुर्क्युमिन का प्रमाण 6.5 प्रतिशत है. अन्य हल्दियों में यहीं मात्रा 2 प्रतिशत तक ही पाई जाती है. कर्क्युमिन रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ाने में मदद करती है. इस कुर्क्युमिन को बाजारपेठ में बड़ी मांग होकर 3 से 4 लाख रुपए किलो दाम से विक्री होने की जानकारी है.
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पीडीकेवी वायगांव हल्दी का क्षेत्र चंद्रपुर जिले में दो हजार हेक्टर से अधिक है. आसपड़ोस के जिलों में भी इसकी बुआई की जा रही है. लेकिन सिर्फ एक ही तहसील तक मानांकन होने के कारण इसका विस्तार होना आवश्यक है. विस्तार होने पर अन्य किसानों को भी लाभ होगा.
– सुधीर सातपुते, किसान, भद्रावती (जि. चंद्रपुर)
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समुद्रपुर के पीडीकेवी वायगांव हल्दी के भौगोलिक मानांकन विस्तार के लिये तकनीकी सहायता विद्यापीठ देने हेतु तैयार होने के साथ ही इस बाबत जानकारी उस जिले के जिला अधीक्षक कृषि अधिकारियों को भेजी जाएगी या किसी किसान गुट द्वारा आगे आने से विद्यापीठ तांत्रिक जानकारी देगा.
– डॉ. विलास खर्चे, संशोधन
संचालक, डॉ. पंदेकृवि, अकोला