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डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषी विद्यापीठ का 39 वां दीक्षांत समारंभ

तकनीक और नॉलेज में देश की उडान उंची - सी. पी. राधाकृष्णन

* पीकेवी दीक्षांत समारोह में राज्यपाल का कहना
* किसानों की बेहतरी के करें खोज का उपयोग
अकोला/ दि. 5 – कृषी पदवीधारक ने शिक्षा, तंत्रज्ञान, संशोधन का उपयोग किसानों का जीवन उंचा उठाने के लिए व कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए करें, ऐसा प्रतिपादन विद्यापीठ कुलपति तथा राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन नें आज यहां किया. डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषी विद्यापीठ के 39 वां दीक्षांत समारंभ में राज्यपाल की उपस्थिती में हुआ. ,
उस समय वे मार्गदर्शन कर रहे थे प्रतिकुलपति तथा राज्य के कृषी मंत्री डॉ. माणिकराव कोकाटे, कामगार मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री डॉ. आकाश फुंडकर, कर्नाटक कृषी मूल्य आयोग के अध्यक्ष अशोक दलवाई, कुलगुरू डॉ. शरद गडाख, विधायक अमोल मिटकरी, विधायक हरीश पिंपले, विधायक वसंत खंडेलवाल सहित अनेक मान्यवर उपस्थित थेे. समारंभ में विविध विद्याशाखा के कुल 4040 स्नातकों को विविध पदवी प्रदान की गई.
राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा कि ज्ञान प्राप्त होना ही ही सातत्यपूर्ण प्रक्रिया है. देश के कृषी क्षेत्र में अधिकाधिक प्रगति करने की जिम्मेदारी नये पदवीधरों को निभानी है. डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषी विद्यापीठ ने बीजनिर्मिती, पशुधन विकास, आदर्श ग्राम प्रकल्प आदि उपक्रमों के साथ नित नये कोर्सेस से अनेक विद्याशाखाओं का विकास किया हैं.
उन्होंने आगे कहा कि , ज्ञान व तंत्रज्ञान क्षेत्र में भारत की उडान दुनिया में दैदीप्यमान रही है. औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही कृषी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगती की है. देश का केवल राज्य है विद्यार्थियों ने ज्ञानप्राप्ती, उनका उपयोजन व करने के कार्य इस संबंध में निश्चित ध्येय रखकर उसनुसार गतिविधियां करें.
* खेतीबाडी में बदलाव आवश्यक
कृषी मंत्री कोकाटे ने कहा कि दुनिया में विविध क्षेत्र में अनेकविध बदलते है. उसनुसार कृषी क्षेत्र में भी ही बदल होना आवश्यक है. कृषि के उत्पादन खर्चा में कटौती व आय में वृध्दि के लिए नये तंत्रज्ञान आत्मसात करने की आवश्यकता है. उस दृष्टी से शासन कदम उठा रहा है. ‘एआय’जैसे नये तंत्रज्ञान का उपयोग कृषि के लिए हो. इसके लिए शासन प्रयत्नशील है. श्री. दलवाई ने कहा कि, शाश्वत विकास के लिए कृषी उत्पादन प्रणाली की पुनर्रचना करते ही कृषी पर्यावरणशास्त्र और उपजाउ कृषि को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. जैवविविधता की सुरक्षा, विषमुक्त व सुरक्षित अन्ननिर्मिती, मृद संवर्धन, जलसंवर्धन होना आवश्यक है. जिसके कारण कृषी पर्यावरण व उपजाउ कृषि शास्त्र आंखों के सामने रखकर उस दृष्टी से ही कृषी संशोधन आगे बढाए. 21 वें शतकातील संशोधन की दिशा पर्यावरण संवर्धन हो, ऐसा आवाहन उन्होंने किया.
* 25 संशोधकों को आचार्य उपाधि
कुलगुरू डॉ. गडाख ने प्रास्ताविक में विद्यापीठ के उपक्रम की जानकारी दी. समारंभ में विविध विद्याशाखा के कुल 4040 स्नातकों को विविध पदवी प्रदान की गई. 25 स्नातकों को कृषी, उद्यानविद्या, कृषी अभियांत्रिकी आदि विषय में पीएच. डी. प्रदान हुई. संचालक संशोधन डॉ. विलास खर्चे, संचालक विस्तार शिक्षण डॉ. धनराज उंदीरवाडे, अधिष्ठाता कृषी डॉ. श्यामसुंदर माने, अधिष्ठाता कृषी अभियांत्रिकी डॉ. सुरेंद्र कालबांडे, अधिष्ठाता उद्यानविद्या डॉ. देवानंद पंचभाई, जनसंपर्क अधिकारी किशोर बिडवे, डॉ. नितीन कोष्टी आदि उपस्थित थे.

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