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अकोला के तत्कालीन उपजिलाधीश सहित 7 को सजा

48 ट्रक सरकारी अनाज गायब होने के मामले में 24 साल बाद आया नतीजा

अकोला/दि.02– 24 वर्ष पहले 48 ट्रक सरकारी अनाज को सरकारी गोदाम व निर्धारित स्थानों पर न पहुंचाते हुए आपसी मिलीभगत कर पूर्व नियोजित साजिश के तहत गायब करने के मामले में मुख्य न्यायदंडाधिकारी शीतल बांगड की अदालत ने अकोला के तत्कालीन निवासी उपजिलाधीश व आपूर्ति अधिकारी सहित 7 लोगों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई. जिसके चलते अकोला के जिला प्रशासन में अच्छा खासा हडकंप मचा हुआ है.

जानकारी के मुताबिक वर्ष 200 में सहायक आपूर्ति अधिकारी श्रावण बोर्डे ने अकोट फैल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि, अकोला व वाशिम जिले में राशन कार्ड के नाम पर वितरीत किया गया 45 लाख 73 हजार 226 रुपए मूल्य का 48 ट्रक गेहूं गायब हो गया है और 48 ट्रकों का गेहूं मालेगांव, मंगरुलपीर, रिसोड व वाशिम पहुंचा ही नहीं. जिसके बाद इस मामले में 3 अपराध दर्ज किये गये थे और तत्कालीन निवासी उपजिलाधीश जगदीश मुन्नासिंह चौहान, आपूर्ति अधिकारी संतोष चंद्रकांत पाटिल एवं माल ढुलाई ठेकेदार रामदयाल गुप्ता सहित गुप्ता के मैनेजर व ट्रक ड्राइवर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था. पश्चात इस मामले में सरकारी पक्ष द्वारा 41 गवाह पेश करते हुए अदालत को बताया गया कि, नामजद आरोपियों ने आपसी मिलीभगत करते हुए सरकारी अनाज में अफरा-तफरी की है. इस युक्तिवाद को ग्राह्य मानकर अदालत ने ठेकेदार रामदास गुप्ता को आईपीसी की धारा 407 के तहत 5 साल की कैद व 40 हजार रुपए के जुर्माने तथा धारा 420 के तहत 5 साल की कैद व 2 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. साथ ही सभी 7 सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को इस अपराध में सहयोग करने के आरोप के तहत धारा 407, 420 व 468 के अनुसार 2 साल के कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा इस मामले में सबूतों के अभाव के चलते ट्रक ड्राइवर को बरी कर दिया गया. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से विशेष सरकारी अभियोक्ता एड. दिलीप काटे व एड. विद्या सोनटक्के ने सफलतापूर्वक पैरवी की.

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