रेल बजट में ब्रॉड गेज के लिए जारी की गई अतिरिक्त निधि
मेलघाट व्याघ्र क्षेत्र के अड़ंगे से रुका है पटरी डालने का काम
अकोला/दि.5– विगत 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2022-23 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र पटल पर रखा. अब चूंकि रेल बजट अलग से नहीं बनता इसलिए केंद्रीय बजट में ही रेल बजट शामिल होता है. इस रेल बजट में अकोला जिले के लिए बेहतर प्रावधान से गेज परिवर्तन का अटका पड़ा मामला संभवतः गति पकड़ सकता है. क्योंकि रतलाम-महू-खंडवा-अकोला गेज परिवर्तन के लिए 888 करोड़ रुपए बजट में स्वीकृत किए गए हैं. पिछले साल 250 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे.
पश्चिम रेल्वे के चल रहे प्रोजेक्ट का काम लगभग पूरा हो चुका है. अब 2024 तक प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य है. समस्या यह है कि मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से गुजरने वाले मार्ग को राज्य सरकार अनुमति देती है या नहीं? क्योंकि 174 किलो मीटर के इस रेल मार्ग पर परिवर्तन के लिए यही सबसे बड़ा अड़ंगा बना हुआ है. अकोला रतलाम के बीच दूरी 473 किली मीटर है अकोट अकोला के बीच 43 किमी का काम हो चुका है.
अकोट से खंडवा तक गेज परिवर्तन का काम बाकी है. इस बीच आने वाले मेलघाट टाईगर रिजर्व से रेल पटरियां ले जाने को अब तक मंजूरी नहीं मिली है. वन्यजीव प्रेमियों तथा पर्यावरण से जुड़े संगठनों की ओर से टाईगर रिजर्व े रेल मार्ग ले जाने का विरोध किए जाने के कारण गेज परिवर्तन का कार्य खटाई में पड़ा हुआ था. जबकि मीटर गेज की पटरियां आदि उखाड़ने का काम पूरा कर लिया गया है. अकोला के सांसद संजय धोत्रे के प्रयासों से परिवर्तन के लिए निधि का प्रावधान किया गया था. गेज परिवर्तन भी तेजी से आरंभ कर दिया गया था. लेकिन महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार के आने के बाद से मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से गुजरने वाले रास्ते को लेकर अड़ंगा लगाया गया. वहीं इस मार्ग को दूसरे रास्ते से मोड़ने का प्रयास भी किया गया. जिससे परिवर्तन काक कार्य अटका हुआ है. जबकि अकोला से अकोट के बीच 43 किलो मीटर का गेज परिवर्तन का कार्य पूरा कर लिया गया है. इस मार्ग पर ट्रायल भी पूरा किया जा चुका है. अब चूंकि केंद्रीय रेल बजट में इस मार्ग के लिए अतिरिक्त 888 करोड़ का प्रावधान किए जाने के बाद क्या इस मार्ग के गेज परिवर्तन में गति आएगी? क्या ठाकरे सरकार मेलघाट से रेल पटरियां बिछाने को अनुमति देगी? इस पर गेज परिवर्तन का कार्य निर्भर है.
यह था नियोजन
रतलाम से अकोला तक 472.64 किलोमीटर के ट्रैक पर पांच वर्ष में काम पूरा हो जाना चाहिए था. कार्य में लेटलतीफी के कारण अकोला से महू के बीच 316 किलोमीटर के ट्रैक पर कार्य अब भी अधर में लटका हुआ है. हालांकि अकोला व महू के दोनों छोर सेकाम पूरा हो गया है. अकोला से अकोट के बीच का कार्य भी पूरा हो चुका है. रतलाम से इंदौरतक 132 किलोमीटर पर गेज परिवर्तन का कार्य पूरा हो चुका है. वहीं इंदौर से महू के बीच 24 कलोमीटर ट्रैक पर भी ट्रेनें दौड़ रही हैं. ऐसे में मेलघाट रिजर्व टाईगर का अड़ंगा गेज परिवर्तन के कार्य में खलल पैदा कर रहा है.