अकोला

अकोला-खंडवा गेज परिवर्तन मेलघाट के बाहर से

दक्षिण-मध्य रेलवे ने शुरु किया सर्वेक्षण

* 29 किलोमीटर बढ़ेगी लंबाई
अकोला/दि.29-दक्षिण-मध्य रेलवे ने अकोला-खंडवा रेल्वे मार्ग का गेज परिवर्तन मेलघाट के बाहर से करने की दृष्टि से हलचलें तेज की है. जमीन अधिग्रहण व नये मार्ग बाबत सिकंदराबाद रेलवे विभाग द्वारा सर्वेक्षण का काम शुरु किया गया है. विद्यमान मार्ग बदलकर नये मागर्ओ से गेज परिवर्तन करते समय इस मार्ग की लंबाई 29 किलोमीटर से बढ़ेगी.
दक्षिण-मध्य रेल्वे ने अकोला से खंडवा तक रेलवे मार्ग के ब्रॉडगेज में परिवर्तन करने का काम 1994 से शुरु किया गया. चरणबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है. अकोला से अकोट तक का गेज परिवर्तन हुआ है. शेष मार्ग मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के आरक्षित वनक्षेत्र से जाने के कारण पर्यावरणवादियों ने विरोध किया था. जिसके चलते अकोट से अमलाखुर्द तक का 77 किलोमीटर का गेज परिवर्तन रुक गया था. इस रेल्वे मार्ग के गेज परिवर्तन को हो रहे विलंब को देखते हुए मेलघाट के बाहर से यह मार्ग तैयार करने के निर्देश केंद्र सरकार ने दक्षिण मध्य रेल्वे के सिकंदराबाद विभाग को दिये है. जिसके अनुसार इस विभाग ने जमीन अधिग्रहण एवं नये मार्ग के सर्वेक्षण को गति दी है.
* अकोला-खंडवा अंतर होगा 206 कि.मी.
गेज परिवर्तन के लिए रेल्वे मार्ग आरक्षित वनक्षेत्र के बाहर से तैयार किये जाने के कारण अकोला से खंडवा तक की दूरी 29 किलोमीटर से बढ़ेगी. विद्यमान रेलवे मार्ग यह 174 किलोमीटर का था. वह अब नये मार्ग से यह अंतर 206 किलोमीटर होगा.
* धुलघाट, वानरोड,डाबका स्टेशन होंगे बंद
अकोट से खंडवा तक नया रेलमार्ग तैयार करते समय पुराने रेल्वे मार्ग के धुलघाट, वानरोड, डाबका स्टेशन बंद होने वाले हैं. नया मार्ग अडगांव, हिवरखेड, सोनाला, जामोद, खकनार, खिकरी मार्ग से तुकाईथड में पुराने मार्ग पर जोड़ा जाएगा.
* वन विभाग की अनुमति का प्रश्न कायम
अकोट से खंडवा तक रेल्वे मार्ग तैयार करते समय नये पर्यायी मार्ग का इस्तेमाल किया जा रहा है. पहले के मार्ग में आरक्षित वनक्षेत्र का प्रश्न हल न किये जाने से नये मार्ग का पर्याय चुना गया. लेकिन इस मार्ग पर भी 20 किलोमीटर तक वनविभाग की जमीन अधिग्रहित करनी पड़ेगी. उनसे अनुमति लेकर जमीन अधिग्रहण करने के आदेश रेल्वे विभाग को दिये गए हैं. जिसमें मध्य प्रदेश की 15 तो महाराष्ट्र की पांच किलोमीटर वनजमीन का समावेश है.

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