अकोट सत्र अदालत ने पूरे परिवार को दी सजा ए मौत
4 लोगों की हत्या करने वाले 3 आरोपी लटकेंगे फांसी पर
* पति व दो बेटों के साथ मिलकर बहन ने दो भाईयों व दो भतीजों को उतारा था मौत के घाट
* पुश्तैनी खेत के विवाद में हुए झगडे के चलते घटित हुआ था हत्याकांड
* एक आरोपी नाबालिग रहने के चलते मौत की सजा से बचा
* अकोट के इतिहास में पहली बार किसी महिला व पूरे परिवार को मृत्युदंड
अकोला /दि.18- खेती के विवाद मे दो भाई और उनके बच्चों का अपने परिवार की मदद से हत्या करने वाली बहन के प्रकरण में अकोट अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. बहन के साथ तीन लोगों को मृत्यु तक फांसी पर लटकाने की सजा सुनाई गई है. विशेष उल्लेखनीय है कि, अकोट सहित अकोला जिले के इतिहास में पहली बार किसी महिला को अदालत द्वारा सजा ए मौत दी गई है. यह घटना वर्ष 2015 के दौरान अकोला जिले की तेल्हारा तहसील अंतर्गत मालपुरा गांव में घटित हुई थी, जब खेती के विवाद को लेकर विवाहित बहन ने अपने परिवार के साथ अपने 2 भाईयों और 2 भतीजों को मौत के घाट उतार दिया था. इस मामले में अदालत ने द्वारकाबाई हरिभाउ तेलगोटे (50) नामक बहन सहित उसके पति हरिभाउ राजाराम तेलगोटे (55) व बेटे श्याम उर्फ हरिभाउ तेलगोटे (24) को फांसी की सजा सुनाई है. ऐसे में अब पूरा तेलगोटे परिवार फांसी के फंदे पर लटकेगा. संभवत: यह भी अपने आप में पहला मामला है, जिसमें अदालत द्वारा किसी मामले में पूरे परिवार को एकसाथ सजा ए मौत सुनाई गई है.
मिली जानकारी के अनुसार तेल्हारा तहसील के मालपुरा में सेवा निवृत्त मुख्याध्यापक बाबूराव चराटे व पुलिस हेड कांस्टेबल धनराज चराटे नामक 2 भाईयों का परिवार रहा करता था और अपने बेटों शुभम चराटे व गौरव चराटे के साथ मिलकर बाप-दादा से मिली 2 हेक्टेअर पुश्तैनी जमीन पर खेतीबाडी किया करता था. बाबूराव चराटे व धनराज चराटे की विवाहित बहन द्वारकाबाई तेलगोटे की भी इस पुश्तैनी जमीन पर नजर थी और इसी जमीन को लेकर उसका अपने दोनों भाईयों के साथ विवाद चल रहा था. इसे लेकर अदालत में भी मामला विचाराधीन था. लेकिन अदालत का फैसला आने से पहले ही द्वारकाबाई तेलगोटे ने अपने पति व बेटे के साथ मिलकर अपने स्तर पर इस मामले का निपटारा करने की योजना बनाई. जिसके तहत द्वारकाबाई नामक बहन ने अपने दोनों भाईयों व दोनों भतीजों को ही रास्ते से हटाने का प्लान बनाया. साथ ही इस प्लान में अपने पति व दोनों बेटों को भी शामिल किया. जिसके बाद 28 जून 2015 को चारों लोगों ने मिलकर बाबूराव चराटे, धनराज चराटे, शुभम चराटे व गौरव चराटे की गला रेतकर हत्या कर दी. एक ही परिवार के 4 लोगों की एकसाथ हत्या होने से पूरे परिसर में अच्छा खासा हडकंप व्याप्त हो गया था. साथ ही जब यह जानकारी सामने आयी कि, एक बहन ने ही अपने पति व बेटे के साथ मिलकर अपने 2 सगे भाईयों व 2 भतीजों को मौत के घाट उतारा है, तो जबर्दस्त सनसनी फैल गई.
पश्चात इस मामले की जांच करते हुए तेल्हारा पुलिस ने चारों आरोपियों को हिरासत में लिया. जिसमें से द्वारकाबाई का एक बेटा नाबालिग पाया गया, ऐसे में उसे विधि संघर्षित बालक मानते हुए बाल सुधारगृह भेज दिया गया. वहीं द्वारकाबाई तेलगोटे सहित उसके पति हरिभाउ तेलगोटे और बेटे श्याम तेलगोटे ऐसे तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ ही उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था और मामले की जांच पूरी करते हुए अदालत ने चार्जशीट पेश की. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने तीनों आरोपियों को 4 लोगों की निर्ममतापूर्वक हत्या करने का दोषी करार दिया और उन्हें इस हत्याकांड के लिए फांसी की सजा सुनाई. वहीं अन्य धाराओं के तहत आरोपियों को कारावास व जुर्माने की सजा भी सुनाई गई है. जानकारी के मुताबिक इस मामले की ओर तेल्हारा तहसील सहित समूचे अकोला जिले की निगाहे लगी हुई थी तथा आम जनमानस द्वारा इस मामले में आरोपियों को अधिकतम सजा सुनाए जाने की मांग भी की जा रही थी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अभियोक्ता जी. एल. इंगोले द्वारा सफलतापूर्वक युक्तिवाद किया गया.