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‘कस्टडी डेथ’ के स्वयंघोषित पांच आरोपी पुलिस जवानो की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

अकोला जिले के अकोट पुलिस स्टेशन में घटित हुई थी घटना

अकोला/दि. 8 – अकोला जिले के अकोट शहर पुलिस स्टेशन में जनवरी माह में घटित ‘कस्टडी डेथ’ प्रकरण में खुद को आरोपी घोषित करनेवाले 5 पुलिस जवानो की अग्रिम जमानत याचिका मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने खारिज कर दी है.
जानकारी के मुताबिक जनवरी 2024 में अकोट थाना क्षेत्र के कथित मोबाइल चोरी प्रकरण के आरोपी गोवर्धन हरमकार की पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा की गई बेदम मारपीट में अकोला के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई थी. इस घटना के दो माह बाद मृतक के चाचा द्वारा दी गई शिकायत पर अमरावती विभाग के विशेष पुलिस महानिरीक्षक के आदेश पर जांच हुई और अकोट थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया था. दो आईपीएस अधिकारियों ने इस प्रकरण की प्रारंभिक जांच कर शहर पुलिस स्टेशन में कार्यरत रहे तत्कालीन उपनिरीक्षक राजेश जवरे व पुलिस सिपाही चंद्रप्रकाश सोलंके को गिरफ्तार कर लिया था. जांच के दौरान जिला पुलिस अधीक्षक के आदेश पर पुलिस हवालात में रहे आरोपी की मृत्यु का यह मामला सीआईडी को जांच के लिए सौंपा गया. पीएसआई राजेश जवरे व जवान चंद्रप्रकाश सोलंके को पुलिस हिरासत में रखने के बाद जिला कारागृह भेज दिया गया था. उसी दौरान इन दोनों आरोपियों को अकोट के अतिरिक्त जिला न्यायालय ने कुछ नियम व शर्त पर जमानत पर रिहा कर दिया. इस प्रकरण में सीआईडी की जांच शुरु रहते अचानक जिनके खिलाफ कोई भी शिकायत न रहते और जांच अधिकारियों द्वारा उन्हें पूछताछ के लिए न बुलाने के बावजूद अकोट थाने में कार्यरत पुलिस जवान रवि संजय सदांशीव, मनीष मनोहर कुलट, विशाल भरतराव हिवरे, प्रेमानंद मनोहर पचांग और सागर बाबाराव मोरे ने अकोट के जिला व सत्र न्यायालय में इसी ‘कस्टडी डेथ’ प्रकरण में सीआईडी द्वारा उन्हें आरोपी करने की संभावना रहने से स्वयंघोषित आरोपी के रुप में अग्रिम जमानत की मांग के लिए याचिका दायर की गई थी. इस पर सुनवाई के बाद अकोट के जिला न्यायालय में इस अग्रिम जमानत याचिका को नांमजूर कर दिया था. जिला न्यायालय द्वारा याचिका खारिज करने पर संबंधित पांचो जवान जांच यंत्रणा द्वारा उनके खिलाफ कोई भी कदम न उठाने के बावजूद मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में अग्रिम जमानत के लिए पहुंच गए. इस अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई होने के बाद 2 अगस्त को आदेश जारी कर नागपुर हाईकोर्ट ने पांचो जवानो की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. साथ ही उन्हें जांच अधिकारी अथवा सीआईडी के सामने आत्मसमर्पण कर ‘कस्टडी डेथ’ के इस प्रकरण की जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए. साथ ही नियमित याचिका प्रस्तुत करने पर उस पर विचार किया जाएगा, ऐसा भी दर्ज किया गया है.

* घटनावाले दिन से पांचो जवान गायब
अकोट पुलिस स्टेशन में गोवर्धन हरमकार की पुलिस हवालात में हुई मृत्यु प्रकरण में हत्या का मामला दर्ज होने के बाद पांचो पुलिस जवान अकोट शहर पुलिस स्टेशन में ड्यूटी पर नहीं है. वे पिछले ढाई माह से गिरफ्तारी के भय से गायब है. बीच में जिला पुलिस अधीक्षक बच्चनसिंग ने उन्हें कंट्रोल रुम अटैच करने के आदेश दिए रहने की चर्चा थी. लेकिन वह केवल चर्चा ही थी यह बात अब स्पष्ट हुई है.

* जांच अधिकारियों के तबादले
इस प्रकरण में अकोट शहर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन थानेदार तपन कोल्हे को मुख्यालय भेज दिया गया है. जबकि अकोट ग्रामीण पुलिस स्टेशन के पीएसआई विष्णु बोडखे को भी मुख्यालय अटैच किया गया है. गोवर्धन हरमकार मृत्यु प्रकरण में और कितने लोगों पर गाज गिरेगी यह अभी कहा नहीं जा सकता. क्योंकि, सीआईडी की जांच शुरु है. सीआईडी की तत्कालीन जांच अधिकारी दिप्ती ब्राह्मणे का भी तबादला हुआ है. उनके स्थान पर किसे नियुक्त किया गया है यह अभी भी निश्चित नहीं हुआ. वहीं सीआईडी के एसपी अविनाश बारगल का बीड जिले के एसपी के रुप में तबादला हुआ है. इस कारण मामले की जांच अधर में लटकी दिखाई दे रही है.

* पांचो जवानो की कार्रवाई पर नजर
इस प्रकरण के पीएसआई राजेश जवरे और सोलंके को गिरफ्तार करने के पूर्व ही जिला पुलिस अधीक्षक ने उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन संबंधित पांच जवान पिछले पांच माह से किसी तरह की अर्जी न देते हुए अथवा कोई कारण न रहते ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने के बावजूद एसपी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है. अकोट के जिला व सत्र न्यायालय द्वारा पांचो जवानो की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बावजूद सीआईडी ने उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं की. अब हाईकोर्ट ने भी उनकी जमानत याचिका नामंजूर कर दी है. इस कारण सीआईडी के अधिकारी कौनसी भूमिका लेते है, इस ओर जिले के नागरिक व पुलिस विभाग का ध्यान केंद्रीत है.

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