अकोला/दि.20- जुने शहर में गत मई माह में हुए बवाल के आरोपियों को न्यायालय व्दारा जमानत दी गई. जमानत पर छुटे आरोपियों को कोरे स्टैम पेपर के साथ आंतरधर्मीय जमानतदार लाने के मौखिक आदेश का आरोप बचाव पक्ष ने लगाया है. बंबई उच्च न्यायालय व्दारा 23 साल पहले क्रॉस जमानत के विरोध में तीन फैसलों के बाद भी अकोला पुलिस व्दारा कोर्ट के निर्णय की अवहेलना का भी आरोप प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स असो. ने लगाया. तथापि पुलिस अधीक्षक संदीप घुगे ने यह आरोप खारिज कर दावा किया कि ऐसी कोई मांग पुलिस ने नहीं की है. यह नियम में नहीं बैठता है.
समाज माध्यम की एक आपत्तिजनक पोस्ट के बाद गत 13 मई को शहर में बलवा हुआ था. उसमें एक व्यक्ति की जान चली गई. जुने शहर और रामदासपेठ थाने में अपराध दर्ज कर 150 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. जिसमें अधिकांश मुस्लिम थे. एक माह बाद जिला न्यायालय ने आरोपियों को हाल ही में जमानत मंजूर की. तब पुलिस ने 100 रुपए मुद्रांक के साथ हाजीर रहने कहा. शांति और सद्भाव रखने एफीडेविड के साथ आंतरधर्मीय जमानतदार लाने का मौखिक आदेश दिया गया. जिसे असंवैधानिक बताया गया. असो. ने पुलिस अधीक्षक को निवेदन दिया. उन्हें कोर्ट के कुछ फैसलों का सबूत भी बताया गया. बहरहाल एसपी घुगे ने आरोपों को ठुकराकर कहा कि, कानून के प्रावधानों अनुसार प्रक्रिया की जा रही है.