* कुछ आरोपियों में अमरावती का भी समावेश
अकोला/ दि.3 – कंपनी खरीदी के नाम पर शहर के एक उद्योजक को नकली कागज पत्र तैयार कर कंपनी अपने नाम कर करोड़ो रुपयों का चूना लगाने का प्रकरण सामने आया है. इस संदर्भ में वणी रंभापुर के जे. जे. स्पून कंपनी के संचालक नितिन हरिदास पाटिल की याचिका पर न्यायालय ने अमरावती, नागपुर व औरंगाबाद सहित अन्य ठिकानों पर रहने वाले संशयित आरोपियों के विरुद्ध जांच कर मामला दर्ज के आदेश दिए गए हैं.
नितिन पाटिल की वाणी रंभापुर में जे. जे. स्पून नाम की कंपनी है. तथा रतनलाल प्लॉट पर उनकी कंपनी का कार्यालय है. यह कंपनी कुछ वर्षों से आर्थिक संकटों से जूझने के कारण कंपनी संचालक द्वारा बेचने के लिए अमरावती व औरंगाबाद सिडको के कुछ लोगों के साथ लेन देन किया था. जिसके चलते कंपनी की खरीदी के लिए लगभग 60 से 70 करोड़ रुपयों में बात पक्की हो चुकी थी. जिसकी आधी रकम नितिन पाटिल को दे दी गयी थी. इसके बाद संबंधितों ने नकली दस्तावेज तैयार कर व नितिन पाटिल के हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल करते हुए कंपनी पर अपना ताबा कर लिया. आरोपियों द्वारा कंपनी के नियमानुसार मुंबई में कंपनी को खुद के नाम पर नामांकित भी कर लिया गया. इस बात की जानकारी नितिन पाटिल होते ही वह तुरंत सिविल लाइन पुलिस थाने पहुंचे व सभी दस्तावेज दिखा कर खुद के साथ की गयी धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करने की गुहार पुलिस से लगायी. मगर सिविल लाइन पुलिस ने इस प्रकरण में किसी भी तरह का कोई अपराध दर्ज नहीं किया. जिसके कारण नितिन पाटिल द्वारा धारा 156 (3) के तहत न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया. न्यायालय ने दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर प्रथमदर्शनी धोखाधड़ी होने की बात को मान्य करते हुए धारा 156 (3), 420, 468, 471, 120 (ब) व 409 सूचना तकनीकी ज्ञान कानून के तहत अपराध दर्ज करने के आदेश दिये. दो माह में जांच पूर्ण करने के बाद मामला दर्ज करने के आदेश अदालत ने सिविल लाइन पुलिस को दिये है. पाटील की ओर से आशिष देशमुख व एड. शेषराव गव्हाले ने दलीले पेश की.