* यूसीसी को बताया भाजपा व संघ का चुनावी दांव
अकोला/दि.8 – लोकसभा के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्बारा समाज को विभाजीत कर जातिय समीकरणों का लाभ उठाने के लिए युनिफार्म सिविल कोड यानि यूसीसी का मुद्दा उछाला गया है. लेकिन हकीकत यह है कि, इस सिविल कोड की वजह से हिंदुओं को ही काफी तकलीफों का सामना करना पडेगा. क्योंकि हिंदू समाज में शामिल विभिन्न वर्गों में विवाह करने की अलग-अलग पद्धतियां प्रचलित है. वहीं दूसरी ओर अब तक यूसीसी का कोई ड्रॉफ्ट भी तैयार नहीं हुआ है. साथ ही ऐसे किसी ड्रॉफ्ट पर अब तक आपत्तियां व आक्षेप मंगाते हुए कोई आम राय भी नहीं बनाई गई है. लेकिन इसके बावजूद आगामी चुनाव को देखते हुए यूसीसी को लाए जाने की हडबडी की जा रही है. इस आशय का आरोप वंचित बहुजन आघाडी के अध्यक्ष एड. प्रकाश आंबेडकर द्बारा लगाया गया है.
गत रोज अकोला में बुलाई गई पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए एड. प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि, केंद्र सरकार ने सबसे पहले कॉमन सिविल कोड का ड्रॉफ्ट आम जनता के सामने प्रस्तूत करना चाहिए और उसके संदर्भ में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से सुझाव मंगाने के साथ ही उनसे चर्चा भी की जानी चाहिए. हम सभी इस मद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है. लेकिन इन तमाम बातों की अनदेखी करते हुए मोदी सरकार द्बारा जाती व धार्मिक धु्रविकरण करने के लिहाज से युनिफॉर्म सिविल कोड को चुनावी हथकंडे के तौर पर प्रयोग में लाया जा रहा है.