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संस्कारी संतान को जन्म देना भी बहुत बडी जिम्मेदारी

शिवमहापुराण कथा में पं. प्रदीप मिश्रा का कथन

* संतों की संगत तथा नामजप स्मरण का महात्म्य बताया
* चौथे दिन की कथा में उमडी भाविकों की भारी भीड
* म्हैसपुर में दिख रहा शिव भक्तों का रेला, हर ओर सुरक्षा के कडे इंतजाम
* कथा स्थल की डॉग स्क्वॉड से जांच, 2 किमी के दायरे में मोबाइल जैमर एक्टीवेट
अकोला/दि.8 – स्त्री-पुरुष संबंधों के बाद संतान उत्पन्न होना कोई बहुत बडी बात नहीं है, बल्कि यह तो प्रकृति का सीधा और सरल नियम है. लेकिन पैदा होने वाली संतान कैसी व किस तरह की हो, इसे ध्यान में रखना बेहद जरुरी होता है. साथ ही संस्कारीत संतान को जन्म देना अपने आप में बहुत बडी जिम्मेदारी होती है. यह बात माता-पिता बनने जा रहे सभी लोगों ने ध्यान में रखनी चाहिए. क्योंकि संतान के संस्कारीत होने के लिए बेहद जरुरी है कि, पहले संतान के माता-पिता भी संस्कारित हो और संस्कारित होने के लिए बेहद जरुरी है कि, सांसारिक जीवन में भी कुछ बेहद सरल व सहज नियमों का पालन किया जाए. तभी इसका असर संतानों यानि अगली पीढी में दिखाई देगा. इस आशय का प्रतिपादन पं. प्रदीप मिश्रा सिहोरवाले द्बारा किया गया.
यहां से पास ही म्हैसपुर में चल रहे श्री स्वामी समर्थ शिवमहापुराण कथा के आयोजन में आज चौथे दिन शिवकथा को आगे बढाते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने उपरोक्त बात कहीं. अपनी बात को विस्तार देते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि, इन दिनों अधिकांश लोगबाग घर से बाहर होटल व रेस्टारेंट सहित सडक किनारे लगने वाली गुमठियों पर जाकर कुछ भी अंट-शंट खाते रहते है. यदि कोई स्त्री गर्भवती रहने के दौरान बाहर के खाद्य पदार्थों का सेवन करती है, तो इसका होने वाली संतान पर विपरित प्रभाव पड सकता है और संस्कारों की हानि हो सकती है. ऐसे में माता-पिता बनने जा रहे दम्पतियों विषेशकर मां बनने जा रही गर्भवती स्त्रियों को चाहिए कि, वे गाय के दूध का अधिक से अधिक सेवन करें तथा मंदिरों और संतों के आश्रम में जाकर वहां बंटने वाले भोजन प्रसादी का लाभ लें, चूंकि बाहर तैयार होने वाले भोजन में तामसीगुण अधिक होते है. ऐसे में इस तरह के भोजन का सेवन करने से संतान तामसीवृत्ति वाली हो सकती है. वहीं मंदिरों एवं संतों के आश्रम में तैयार होने वाला भोजन सात्विकगुणों से युक्त होता है. जिससे संतान के सदचरित्र व संस्कारित होने में सहायता मिलती है. इस बात का सभी लोगों ने विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए और संस्कारित संतान की प्राप्ति करने हेतु सबसे पहले अपनी आदतों में सुधार करना चाहिए.
बता दें कि, म्हैसपुर में विगत 5 मई से श्री स्वामी समर्थ शिवमहापुराण कथा का आयोजन शुरु हुआ. जहां पर रोजाना सुबह 8 से 11 बजे तक पं. प्रदीप मिश्रा सिहोरवाले द्बारा शिवमहापुराण की कथा सुनवाई जा रही है. जिसमें शिवकथा के साथ-साथ प्रदीप मिश्रा द्बारा अध्यात्म एवं भक्ति के मार्ग पर चलते हुए अपना जीवन आसान करने को लेकर भी मार्गदर्शन किया जा रहा है. यहां पर विगत 4 दिनों से रोजाना ही लाखों शिवभक्त श्रद्धालूओं की भीड उमड रही है और रोजाना उमडने वाली भीड ने अच्छी खासी वृद्धि भी देखी जा रही है. ऐसे में आयोजन स्थल पर अकोला पुलिस द्बारा सुरक्षा के चाकचौबंद प्रबंध किए गए है. जिसके तहत रोजाना ही कथा का प्रारंभ होने से पहले ही आयोजनस्थल की डॉग स्क्वॉड के जरिए जांच करवाई जाती है. साथ ही आयोजन स्थल के 2 किमी वाले दायरे में मोबाइल जैमर को एक्टीवेट किया गया है. ऐसे में इस परिसर में रेडिओ एक्टीव किरणे काम नहीं करती. जिसके चलते इस परिसर में मोबाइल अथवा रिमोट कंट्रोल से चलने वाली किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं किया जा सकता. क्योंकि मोबाइल जैमर एक्टीवेट रहने की वजह से ऐसी वस्तुएं इस 2 किमी वाले दायरे में काम ही नहीं कर पाते.
चौथे दिन की कथा में पं. प्रदीप मिश्रा ने भक्ति की शक्ति बताते हुए कहा कि, उनके पास महाराष्ट्र के भुसावल में रहने वाली एक महिला का पत्र आया है. इस पत्र में उक्त श्रद्धालु महिला ने बताया कि, वह विगत लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से जुझ रही थी और इसका इलाज मुंबई के डॉक्टरों द्बारा किया जा रहा था. जिन्होंने उसे गर्भाशय का कैंसर बताया था. लेकिन उस महिला ने ‘एक लोटा जल, सभी समस्याओं का हल’ वाली बात पर अगाद श्रद्धा रखते हुए भगवान भोलेनाथ की भक्ति करनी शुरु की तथा रोजाना शिवलिंग पर बेलपत्र व एक लोटा जल चढाना शुरु किया. जिसके बाद धीरे-धीरे उसका स्वास्थ्य ठीक होता चला गया तथा अब वह महिला पूरी तरह से स्वस्थ है. जिसे देखकर उसका इलाज कर रहे डॉक्टर भी हैरान है.
इसके साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने भगवान शिव से संबंधित कई प्रसंगों को भी अपने प्रवचन व भजनों के जरिए विशद किया. जिन्हें सुनकर कथा पंडाल में उपस्थित सभी भाविक श्रद्धालु भावविभोर होते रहे तथा कथा के दौरान ‘बम-बम भोले’ व ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष भी गुंजायमान होते रहे. इसके साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने विदर्भ को महान संतों की पावन भूमि बताते हुए कहा कि, विदर्भ क्षेत्र में भक्ति की अविरल धारा कभी भी कमजोर नहीं पडनी चाहिए. बल्कि यहां से भक्ति के मार्ग पर चलने हेतु कोई नया सार्थक संदेश निकलना चाहिए. जिससे समूचे देश व विश्व में भक्ति का मार्ग आलौकित हो सके.

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