अकोला

विदर्भ में पान की खेती घर- घर

पान की खेती को औषधी वनस्पति का दर्जा दिया जाए

* डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ की पहल
अकोला/ दि. 24– विदर्भ में लाखों लोग रोज पान खाते है. पान (नागवेल) उत्पादन के संबंध में विदर्भवासियों ने नापसंती दर्शाई है. विदर्भ में बहुत कम क्षेत्र में पान की खेती की जाती है. पान की खेती को प्रोत्साहन मिले व उसमें से किसानों को भी शाश्वत आय प्राप्त हो. इसके लिए डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ ने प्रयास किया है. पान फसल को औषधी वनस्पति फसल का दर्जा मिलना चाहिए. ऐसी मांग शासन से की है.
अब बुलढाणा, वाशिम, यवतमाल जिले के केवल गिनती के ही क्षेत्र पर पान की खेती की जाती है. विदर्भ में पान की मांग को ध्यान में रखकर किसानों को पान की खेती से शाश्वत आय मिल सकती है. परंतु उस संबंध में मार्गदर्शन, अनुदान, बाजारपेठ व मजदूर वर्ग उपलब्ध न रहने से विदर्भ में पान की खेती घर- घर होने का दिखाई दे रहा है.
राज्य में जालना, अकोला, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे में पान बिक्री के लिए अच्छा बाजारपेठ उपलब्ध है. फिलहाल थोक में एक रूपये में एक पान बेचे जाने का पान व्यवसाय करनेवाले की ओर से बताया जा रहा है. बुलढाणा जिले में धामणगांव, मात्रुल, मासरूल में 10 से 12 एकड पर यवतमाल जिले में उमरखेड तहसील मेंं 60 से 65 एकड पर वाशिम, अकोला जिले में कुछ क्षेत्र में बहुत तथा 80 एकड पर विदर्भ में पान की खेती हो रही है.

* फसल के लिए अनुदान नहीं
पान फसल को फसल बीमे की कवच नहीं है. शासन की ओर से इस फसल को कोई भी अनुदान नहीं है. विदर्भ में बारी समाज की संख्या कम होने से पान की खेती करनेवाले कुशल किसानों का तथा कुशल मजदूरों का अभाव

* पान की खेती के लिए विदर्भ के किसानों को प्रोत्साहन मिले इसलिए अकोला, कृषि विद्यापीठ ने शासन को प्रस्ताव प्रस्तुत कर पान फसल को औषधी वनस्पति फसल का दर्जा देने की मांग की है. वह मान्य होने पर पान की खेती के लिए विविध योजना, अनुदान प्राप्त होेकर किसानों को इस फसल से अधिक उत्पादन मिल सकता है.
डॉ. धनराज उंदिरवाडे, संचालक विस्तार शिक्षा
डॉ. पंदेकृवि अकोला

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