अकोला के सीडीआर एसडीआर मामले में नया मोड़
मुंबई हाईकोर्ट ने शैलेष सपकाल के खिलाफ दुबारा जारी किया नोटिस
सपकाल को तीन सप्ताह में देना होगा जवाब
अकोला/दि.22 – स्थानीय अपराध शाखा के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक व दंडाधिकारी शैलेष सपकाल समेत 5 अधिकारियों को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खडपीठ ने समन्स जारी कर चार सप्ताह में जवाब दायर करने के निर्देश दिए थे. लेकिन तत्कालीन पुलिस निरीक्षक को समन्स की तामील न किए जाने तथा अपना पक्ष पेश न करने के कारण याचिकाकर्ता ने समन्स को पेपर पब्लीकेशन करने के लिए हाइकोर्ट में अर्जी पेश की थी. इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय खंडपीठ न्यायमूर्ति ने सम्बधित पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तीन सप्ताह में डीवाईएसपी एसीबी यवतमाल शैलेष सपकाल को समन्स तामील करने के आदेश 21 फरवरी को जारी किए.
न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधिवक्ता नजीब शेख ने मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी कि एलसीबी के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक शैलेष सपकाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उनके मोबाइल के सीडीआर व एसडीआर निकालकर फोन टेपिंग की है. इस संदर्भ में शिकायत दिए जाने के बावजूद सम्बधित अधिकारियों द्वारा कारवाई नहीं की गई. अधिवक्ता कमल आनदानी की दलील व पेश किए गए दस्तावेजो के आधार पर 29 नवबर 2022 को न्यायमूर्ति एस बी शुक्रे व न्यायमूर्ति एम डब्ल्यू चांदवानी ने समन्स जारी कर चार सप्ताह में जवाब दायर करने के निर्देश प्रदेश के पुलिस महासंचालक, जिला पुलिस अधीक्षक अकोला, शहर उपविभागीय पुलिस अधिकारी अकोला, सिटी कोतवाली पुलिस निरीक्षक तथा तत्कालीन पुलिस निरीक्षक शैलेश सपकाल को दिए थे. उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के बावजूद भी एलसीबी के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक व यवतमाल के एसीबी डीवायएसपी शैलेश सपकाल को समन्स की तामील करने में स्थानीय पुलिस नाकाम रही. जिससे याचिकाकर्ता नजीब शेख ने अधिवक्ता के माध्यम से उक्त समन्स को पेपर पब्लिकेशन करने की अनुमति मांगी थी. इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति वाल्मीकी एस ए मेंझाज व न्यायमूर्ति विनय जोशी ने पुलिस को एक अवसर देते हुए उक्त समन्स संबंधित पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तीन सप्ताह में तामिल करने के निर्देश जारी किए. इस बहुचर्चित प्रकरण में क्या निर्णय होता है इस और महाराष्ट्र के सामान्य नागरिक समेत बुद्धजीवियों की निगाहें लगी हुई है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कमल आनंदानी पैरवी कर रहे हैं.