अकोला

अब भाजपा के समक्ष अकोला में अपना किला बचाए रखने की चुनौती

दिवंगत विधायक गोवर्धन शर्मा ने 40 साल तक बनाकर रखा था दबदबा

अकोला/दि.7– हाल ही में दिवंगत हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधायक गोवर्धन शर्मा ने अकोला शहर में करीब 40 साल तक अपना दबदबा बनाया रखा था. जिसकी बदौलत अकोला शहर भाजपा का मजबूत गढ बना हुआ था. परंतु लालाजी के नाम से परिचित विधायक गोवर्धन शर्मा का निधन हो जाने के चलते भाजपा का काफी बडा राजनीतिक नुकसान तो हुआ ही है. साथ ही लालाजी द्वारा तैयार किए गए मजबूत गढ और दबदबे को कायम रखने की चुनौती भाजपा के सामने है.

बता दें कि, राजनीति के साथ ही सामाजिक व धार्मिक क्षेत्र में सतत कार्यरत रहने के साथ ही विधायक गोवर्धन शर्मा को कट्टर हिंदूत्ववादी नेता, राष्ट्रीय स्वयंसेवेक संघ का स्वयंसेवक तथा राम भक्त के तौर पर जाना जाता था. अकोला यानि गोवर्धन शर्मा यह समिकरण विगत 3 दशकों के दौरान बन गया था. वर्ष 1985 से 1995 तक अकोला नगर परिषद में नगरसेवक व सभापति के तौर पर कार्यरत रहने के बावजूद गोवर्धन शर्मा वर्ष 1995 में पहली बार विधायक चुने गए थे. जिसके बाद से वे लगातार 6 बार विधायक चुने जाते रहे. पहली बार विधायक चुने जाने के साथ ही लालाजी ने वर्ष 1995 से 1997 तक जोशी सरकार में राज्यमंत्री के तौर पर काम किया था तथा विधायक व मंत्री रहने के बावजूद भी उनका आम जनता के साथ गहरा जुडाव बना रहा. जिसके दम पर उन्होंने समाज के सभी घटकों तक पार्टी की पहुंच बनाते हुए अकोला में भाजपा का निर्विवाद वर्चस्व व दबदबा कायम किया था. अकोलावासियों के प्रत्येक सुख-दुख में विधायक गोवर्धन शर्मा का हमेशा सहभाग रहा करता था और किसी भी संकट के समय सबसे पहले पहुंचने वाले व्यक्ति विधायक गोवर्धन शर्मा ही हुआ करते थे. अपनी मधुरवाणी, सामान्य जीवनमान व हमेशा सहयोग करने की भूमिका के दम पर विधायक गोवर्धन शर्मा ने सर्वसामान्य लोगों के साथ अपनी जडों को जोडकर रखा था. जिसका लाभ हमेशा ही पार्टी को मिलता रहा. ऐसे में अब विधायक गोवर्धन शर्मा के निधन पश्चात सर्वसामान्य लोगों के साथ जुडाव रखने वाले लालाजी पैटर्न को कायम रखने हेतु भाजपा को अच्छा खासा परिश्रम करना होगा. ताकि विधायक गोवर्धन शर्मा द्वारा तैयार किए गए मजबूत किले को बचाये रखा जा सके.

विशेष उल्लेखनीय है कि, अकोला पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में सर्वधर्मिय मतदाताओं की बहुतायत है. परंतु विधायक गोवर्धन शर्मा के सभी से ही काफी अच्छे संबंध हुआ करते थे. यद्यपि विधायक गोवर्धन शर्मा की पहचान कट्टर हिंदूत्ववादी नेता के तौर पर रही. लेकिन उन्हें मुस्लिम समुदाय द्वारा भी मतदान किया जाता था. ऐसे में अब विधायक गोवर्धन शर्मा के उत्तराधिकारी के तौर पर भाजपा द्वारा किसे अवसर दिया जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा. साथ ही इस बात पर ही सारे समिकरण भी निर्भर करेंगे. भाजपा द्वारा शर्मा परिवार में से ही किसी को विधायक गोवर्धन शर्मा का उत्तराधिकारी बनाया जाता है, या उनके स्थान पर किसी अन्य पदाधिकारी को मौका दिया जाता है. इस ओर सभी की निगाहे लगी हुई है. यद्यपि वर्ष 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकोला पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडने हेतु भाजपा में अनेकों नेता इच्छूक है. परंतु विधायक गोवर्धन शर्मा जैसी लोकप्रियता, जनस्वीकार्यता और उंचाई रहने वाला नेता मिलना अब भाजपा के लिए काफी मुश्किल है. जिसके चलते इस निर्वाचन क्षेत्र पर अपनी पहले की तरह मजबूत पकड बनाए रखने के लिए भाजपा को काफी मेहनत करनी पडेगी.

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