तेज धूप में बीच सडक हुई महिला की प्रसूति
सिमेंट रास्ते पर दिया बच्चे को जन्म
अकोला/दि.20 – इस समय जहां एक ओर 41 डिग्री सेल्सिअस तापमान में भीषण गर्मी शरीर को झुलसा रही है. वहीं इसी तरह के मौसम व तापमान में एक आदिवासी महिला की धूप से तपती सिमेंट कांक्रिट की सडक पर प्रसूति हुई. यह सनसनीखेज घटना अकोला जिले के वाडेगांव में घटित हुई. इसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग सहित प्रशासन की कार्यप्रणाली अब सवालों के घेरे में है. सौभाग्य से आसपडोस की कुछ महिलाएं सहायता के लिए दौडकर आने के चलते महिला की प्रसूति सुरक्षित हुई. जिसके बाद उसे उसके नवजात बच्चे सहित अकोला के उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.
उल्लेखनीय है कि, सुरक्षित मातृत्व के लिए सरकार द्बारा विविध योजनाओं पर करोडों रुपए का खर्च किया जाता है. लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र में हालात जस की तस है और अंतिम घटक की महिलाओं तक कोई सुविधाएं नहीं पहुंच पायी है. जिसका उदाहरण वाडेगांव वाली घटना को कहा जा सकता है. जानकारी के मुताबिक वाशिम जिले के मुलागांव में रहने वाला एक परिवार काम के लिए वाडेगांव स्थित खेत में आया हुआ था. इस परिवार की एक महिला गर्भवती थी. जिसके पेट में अचानक तेज दर्द उठने के चलते उस अपने पति के साथ वाडेगांव स्थित निजी दवाखाने में पहुंची. जहां पर डॉक्टर ने उसे रुकने हेतु कहा. इस समय तक महिला के लिए प्रसवपीडा असहनीय हो गई थी. इसके चलते खेत मालिक ने तुरंत एक ऑटो चालक को भेजकर महिला को अगले इलाज हेतु ले जाने का प्रयास किया. लेकिन महिला प्रसव वेदना से तडपने लगी, यह बात ध्यान में आते ही आसपास की कुछ महिलाएं सहायता के लिए दौडकर सामने आयी और उन्होंने उक्त गर्भवती महिला को कपडों का घेरा बनाते हुए ढांक दिया. जिसके बाद तेज धूप के बीच सडक पर ही उक्त महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. प्रसूति होने के बाद उक्त महिला को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. जहां पर प्राथमिक उपचार करने के बाद उसे अकोला के सरकारी अस्पताल में रेेफर किया गया. इस पूरे मामले को लेकर निजी डॉक्टर की लापरवाही के साथ-साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों की अनदेखी के संदर्भ में रोष व संताप व्यक्त किया जा रहा है.