अकोला

पैसेंजर ट्रेने बंद रहने से यात्रियों की बढी दिक्कतें

विशेष ट्रेनों में सफर करना पड रहा महंगा

अकोला प्रतिनिधि/दि.23 – लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद अनलॉक प्रक्रिया अंतर्गत ट्रेन से यात्री ढुलाई शुरु की गई है फिर भी केवल आरक्षण पर सफर करने की सुविधा रहने वाली विशेष ट्रेने दौड रही है. जबकि पैसेंजर ट्रेने बंद रहने से आम यात्रियों की मुसिबतें बढ गई है. वहीं विशेष ट्रेनों का किराया भी ज्यादा हरने से जरुरतमंद यात्रियों को सफर करने में दिक्कतें आ रही है. इसलिए पैसेंजर ट्रेनों को नियमत शुरु करने की मांग जोर पकते जा रही है.
यहां बता दें कि लॉकडाउन के दरमियान रेलवे का यात्री सफर पूरी तरह से बंद था. कोरोना मरीजों की संख्या कम होने की पृष्ठभूमि पर रेलवे ने एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए विशेष ट्रेने आरंभ की. उन ट्रनों राज्य अंतर्गत सफर करने की सहुलियत भी है. मध्य व दक्षिण मध्य रेलवे जंक्शन स्टेशन रहने वाले अकोला से विशेष ट्रेने दौडने से यात्रियों को सुविधा हुई है. केवल आरक्षित टिकटों पर इन विशेष ट्रेनों में सफर किया जा सकता है. समय पर सफर के लिए आरक्षण उपलब्ध नहीं रहने से आम नागरिकों इन विशेष ट्रेनों का उपयोग नहीं कर पा रहे है. लॉकडाउन पूर्व शुरु रहने वाली पैसेंजर ट्रेने जरुरतमंद यात्रियों के लिए फायदे मंद थी. अब यह बंद होने से जरुरतमंद यात्रियों को असुविधा हो रही है.

  • विदर्भ, महाराष्ट्र एक्सप्रेस शुरु

हाल की घटी में अकोला मार्ग से विशेष ट्रेन दौड रही है. इन ट्रेनों को अकोला में स्टापेज दिया गया है. मध्य रेलवे के विदर्भ एक्सप्रेस, महाराष्ट्र एक्सप्रेस, हावडा -अहमदाबाद, ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस, गीतांजली एक्सप्रेस, दक्षिण मध्य रेलवे की नांदेड-श्री गंगानगर, जयपुर-सिकंदराबाद, अमरावती-तिरुपति आदि ट्रेनों का समावेश है.

  • वर्धा-भुसावल पैसेंजर बंद

लॉकडाउन से पूर्व अकोला स्टेशन पर से भुसावल-वर्धा, नरखेड- भुसावल यह मध्य रेलवे की पैसेंजर ट्रेन शुरु थी. इन दोनों ट्रेनों के यात्रियों के लिए सुविधाजनक और किराए के दृष्टि से फायदेमंद थी. इसके अलावा दक्षिण मध्य रेलवे के अकोला-पूर्णा, अकोला-परली पैसेंजर ट्रेने भी उपयुक्त थी, लेकिन अब यह ट्रेने बंद होने से यात्रियों को असुविधा हो रही है. पैसेंजर ट्रेने बंद रहने से विशेष ट्रेनों से अधिक किराया देकर सफर कर ना पड रहा है. ऐन समय पर सफर करने के लिए यात्रियों को रापनि की बस अथवा निजी बस का सहारा लेना पड रहा है. पैसेंजर ट्रेनों का किराया आम नागरिकों की जेब पर ज्यादा प्रभाव नहीं पडता है, इसलिए यह ट्रेने शुरु करने की मांग की गई है.
– अमोल इंगले, यात्री संगठन

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