जिद व परिश्रम के भरोसे प्रियल ने हासिल की सफलता
दुर्घटना में हाथ खोने के बाद बाये हाथ से हल किया 12 वीं का पर्चा
मूर्तिजापुर/दि.9-जिद व परिश्रम के भरोसो आसमान को छू सकते हैं, यह साबित कर दिखाया है मूर्तिजापुर की 12 कक्षा की छात्रा प्रियल राजू वानखडे ने. तीन वर्ष पूर्व स्कूल से घर लौटते समय एक ट्रक दुर्घटना में प्रियल को अपना दाहीना हाथ गवाना पड़ा. उस समय 10 वीं की परीक्षा करीब थी. परीक्षा कैसे दें, यह प्रश्न उसे सता रहा था. हाथ गवाने के बावजूद उसने जिद कायम रखी. प्रियल ने बाये हाथ से पेपर हल किया और वह 10 वीं की परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुई. इस समय बारहवीं की दिक्कतों को पार करते हुए उसने सफलता हासिल की. उसकी यह सफलता प्रेरणादायी है.
तीन वर्ष पूर्व स्कूल से साइकिल से घर लौटते समय ट्रक दुर्घटना में प्रियल राजू वानखडे का दाहीना हाथ निकामी हो गया. उसका संपूर्ण दाहीना हाथ कंधे से निकालना पड़ा. अचानक दिव्यांगत्व आने ने परिजन भी खिन्न हो गए थे. शुरुआत से ही पढ़ने में अत्यंत होशियार प्रियल की कुछ ही दिनों बाद दसवीं की परीक्षा थी. लेकिन हाथ गवाने के बाद भी प्रियल ने जिद नहीं छोड़ी. किसी का आधार न लेते हुए उसने बाये हाथ से लिखाई का अभ्यास किया. बाये हाथ से 10 वीं की परीक्षा दी. इस बार उसकी बारहवीं कक्षा की परीक्षा थी. इस परीक्षा में भी उसने जिद व परिश्रम से परीक्षा उत्तीर्ण कर 63.33 प्रतिशत अंक हासिल किए. अमरावती शिक्षण मंडल ने भी उसे एक घंटे में 20 मिनट अधिक समय पेपर लिखने के लिए दिया. प्रियल वानखडे भविष्य में पदवीधर होकर स्पर्धा परीक्षा उर्त्तीण कर अधिकारी बनना चाहती है. उसका कहना है कि यह जिद मैं पूरी करुंगी. दाहीना हाथ खोने के बाद बाये हाथ से छात्रा ने पेपर देकर संकट पर मात करने से प्रियल की जिद का सर्वत्र गौरव किया जा रहा है.