अकोला/दि. 4 – देश को ही नहीं तथा दुनिया को मानवता का संदेश देनेवाले राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की ग्रामगीता समाज को एक आदर्श समाज बनाने में प्रभावपूर्ण है. इस महामानव को शासन की ओर से उपेक्षा ही मिली है. ऐसे राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज को भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाए. ऐसा प्रस्ताव दो दिवसीय विचार साहित्य सम्मेलन में रखा गया.
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज सेवा समिति की ओर से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन का समारोपन रविवार को हुआ.
इस सम्मेलन में प्रबोधनकार भाऊसाहब थुटे थे.आचार्य हरिभाऊ वेरूलकर, गुरूजी विधायक अकोल मिटकरी, महेश गणगणे, अशोक अमानकर, राजेश भारती, डॉ. विक्रांत इंगले, स्वागताध्यक्षा कृष्णा अंधारे, डॉ. विघे गुरूजी, गव्हाले महाराज, मनोहर रेचे रविन्द्र मंडगांवकर, डॉ. अशोक रत्नपारखी, एड. वंदन कोहाडे, डॉ. नरेन्द्र तराले, रवि मानव, प्रबोधनकार , संदीपपाल महाराज, अक्षय महाराज, प्रा. रघुनाथ कर्डीकर, महादेव भुईभार, जयंत मसने, विनायक पवार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर बरगट ने प्रास्ताविक किया. सचिन महोकार ने सूत्रसंचालन किया तथा गोपाल गाडगे ने आभार माने.
सम्मेलनाध्यक्ष थूटे ने राष्टसंत की सामग्री के विविध पहलू रखे. राष्ट्रसंत ने सच्चे अर्थो में महामानव को जीने का रास्ता दिखाया. महिलाओं को पुरूष के समान दर्जा महाराजाओं ने अपने साहित्य से दिया है.