अभी भी अंग्रेजों के कब्जे में हैं ‘शकुंतला’
आजादी के अमृत महोत्सव में ट्रेन शुरु करने के लिए अमरावती, अकोला में आंदोलन आरंभ
यवतमाल/प्रतिनिधि दि.१८ – यवतमाल का उत्तम स्तर का कपास विदेश ले जाने के लिए शकुंतला ट्रेन अंग्रेजों ने शुरु की थी, लेकिन वर्तमान में इस ट्रेन को बंद कर दिया गया है. भले ही आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन केंद्र सरकार की अनदेखी के कारण शकुंतला आज भी ब्रिटिश कंपनी के ही कब्जे में है. ब्रिटिश कंपनी के इस ट्रेन को भारतीय रेल से अपने कब्जे में लेकर इसे पुन: शुरु करने के लिए अमरावती व अकोला में आंदोलन शुरु कर दिया गया है. किंतु यवतमाल के लोग चुप्पी साधे बैठे हैं. पांच साल से बंद पडी इस ट्रेन के लिए बनाई गई रेल लाइन पुल, रेलवे स्टेशन वर्तमान में लावारिस स्थिति में हैं. जबकि जिले के गरीब, आदिवासी, मजदूर, दूध विक्रेता आदि के लिए यह ट्रेन फिर से शुरु होना निहायत जरुरी है.
सौ वर्ष पूर्व ब्रिटिशों ने यवतमाल से मूर्तिजापुर (अकोला) तक यह रेल मार्ग शुरु किया था. इस रेलमार्ग पर पुन: शकुंतला ट्रेन शुरु करने के लिए किसान नेता विजय विल्हेकर ने अमरावती में और अकोला में नागरिकों ने एकजूट होकर ‘शकुंतला बचाव’ आंदोलन आरंभ कर दिया है. इस संबंध में विगत बुधवार को मूर्तिजापुर में आंदोलनकारियों ने मध्य रेल भुसावल के क्षेत्रीय उपप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा. इसमें ब्रिटिशों की गुलामी से शकुंतला को मुक्त करवाकर भारत सरकार से इसे शुरु करने की मांग की गई है. इस मांग को पूर्ण करने के लिए तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है.
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एक साल में तीन लाख लोगों ने की थी यात्रा
इस रेल से परिसर के मजदूर अचलपुर, मूर्तिजापुर में पहुंचकर देश के विभिन्न प्रांतों में रोजगार के लिए जाते थे. वर्ष 1960-61 में तीन लाख 11 हजार यात्रियों द्बारा इस रेल से सफर करने तथा 233 मीट्रिक टन माल की ढुलाई करने की बात बनोसा रेलवे स्थानक में दर्ज है. जिससे इस रेल की अहमीयत स्पष्ट होने का दावा आंदोलनकारियों ने किया है.
शकुंतला के अस्तित्व के लिए इसके रेल मार्ग पर स्थित यवतमाल, अकोला, अमरावती की सभी पालिकाओं में प्रस्ताव पारित होगा. अंजनगांव और मूर्तिजापुर के नगराध्यक्ष ने सहमति जताई है. इसके साथ ही इस मार्ग के रेल स्थानकों की सफाई का भी अभियान चलाया जाएगा.
– विजय विल्हेकर, शकुंतला बचाव आंदोलन के प्रमुख