अकोला/दि.8 – कर्ज को बोझतले ससुर ने आत्महत्या कर ली. उनके बाद देवर एवं पति ने भी स्वयं की इहलीला समाप्त कर ली. एक ही परिवार में तीन कर्ता पुरुषों की आत्महत्या का दुख सहन करते उ,ने खेती ही नहीं, बल्कि अपने परिवार को भी व्यवस्थित रुप से संभाला.कट्यार की ज्योती संतोष देशमुख की यह संघर्ष गाथा अविश्वसनीय लगने वाली है.
अकोला तहसील के कट्यार गांव में ज्योती देशमुख के ससुर खेती करते थे. कर्ज का बोझ बढ़ते गया. जिसके चलते ससुर ने आत्महत्या कर ली. उनके बाद देवर व ज्योती के पति ने भी आत्महत्या कर ली. ज्योती पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 29 एकड़ खेती कैसे करें, कर्ज का बोझ किस तरह कम करें, इसकी चिंता थी. लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए स्वयं खेती करने का निर्णय लिया. घर, परिवार, बच्चे की पढ़ाई संभालते हुए उन्होंने खेती कर परिस्थिति को बदलकर दिखा दिया.
ज्योती देशमुख नई उम्मीद के साथ काम में लग गई. उन्होंने अपने बेटे हेमंत को कम्प्युटर इंजिनिअर बनाया. बेटा फिलहाल पूना में नौकरी पर है. खेती की मशक्कत के लिए 2017 में उन्होंने ट्रैक्टर लिया. सभी औजार खरीदे और ट्रैक्टर का स्टेअरिंग स्वयं ले, खेती के काम किये. खेती करते समय 2010 में शासन ने उन्हें अंगणवाड़ी सेविका के रुप में नौकरी दी. यह काम करते समय उन्होंने घर के साथ ही खेती भी संभाली. पुरुष किसानों के सामने आदर्श निर्माण किया. वे महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी.
कोई भी काम कठिन नहीं
जिजाऊ मां साहेब ने राज्य की कमान संभालते हुए छत्रपती शिवाजी महाराज को ऊंचे स्थान पर पहुंचाया. महिला यह आदीशक्ति है. महिलाओं ने स्वयं को कम नहीं समझना चाहिए. कितने भी संकट आये, फिर भी महिलाओं को नर्वस नहीं होना चाहिए.कोई भी काम कठिन नहीं. सिर्फ परिश्रम करने की तैयारी रखनी चाहिए.
– ज्योती देशमुख, किसान, कट्यार