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संभ्रम व संदेह पैदा करनेवाला है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले का कथन

अकोला/दि.28- शिवसेना ने अपने 16 विधायकों के खिलाफ पत्र जारी किया था और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के चलते उन 16 विधायकों को विधायक पद से अपात्र घोषित करने की कार्रवाई करने हेतु कहा था, लेकिन इसमें हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को रूकवा दिया. इसके बाद शिवसेना के चुनावी चिन्ह का विवाद सामने आया और मामला निर्वाचन आयोग के पास पहुंचा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को भी रोक दिया. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और फैसलों से न्यायिक व्यवस्था को लेकर बडे पैमाने पर संभ्रम व संदेह पैदा हो रहा है. इस आशय का प्रतिपादन कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले द्वारा किया गया.
यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में नाना पटोले ने कहा कि, उन्हें देश की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा विश्वास है, लेकिन न्यायिक व्यवस्था को लेकर संभ्रम पैदा होना देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि देश में न्यायिक व्यवस्था और प्रशासकीय व्यवस्था संविधान के हिसाब से चलती है और जब दोनों क्षेत्रों में संतुलन के साथ काम होता है, तभी लोकतंत्र मजबुत रह सकता है. इसके साथ ही कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने जानना चाहा कि, शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव चिन्ह से संबंधित मामले को अपने पास क्योें लिया और अब यह मामला सुनवाई के लिए दुबारा निर्वाचन आयोग के पास क्यों भेजा गया, यह सवाल इन दिनों पूछा जा रहा है. अगर निर्वाचन आयोग किसी राजनीतिक दल पर अन्याय करता है, तो उसके पास सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकारी है, परंतु कोर्ट ने खुद इस मामले को अपने पास रखने की बजाय आयोग के पास भेजा है. जिससे काफी संदेह व संशय के साथ भी संभ्रम पैदा हो रहा है.
इस पत्रकार परिषद में नाना पटोले ने राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि, सरकार का कामकाज भी पूरी तरह से असंवैधानिक है. एक मंत्री को 6-6 जिलों का पालकमंत्री बना दिया गया है. ऐसे में किसी भी जिले को न्याय नहीं मिल सकता. साथ ही उन्होंने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को लेकर भी तंज कसते हुए कहा कि, हमारे राज्यपाल बडे विद्वान व्यक्ति है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर क्रांतज्योति सावित्रीबाई फुले तक महान विभूतियों के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते रहते है. साथ ही जब 16 विधायकों की अपात्रता का मामला कोर्ट के समक्ष विचाराधीन चल रहा था, तब हमारे राज्यपाल शनिवार व रविवार को रातोरात मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री की शपथविधि करवाते है और दूसरे ही दिन विधानसभा अध्यक्ष का चयन करते हुए उनकी भी शपथविधि निपटाते है. जिसे ध्यान में रखते हुए मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका को लेकर संदेह जताया था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, असंवैधानिक सरकार के कार्यकाल के दौरान सारा कामकाज भी असंवैधानिक व नियमबाह्य हो रहा है .

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