विदर्भ के किसान हैं नापास विद्यार्थी, उन्हें मेरीट में लाना है
केेंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी का कथन
अकोला/दि.28– खेती-किसानी के मामले में विदर्भ के किसान पश्चिम महाराष्ट्र की तुलना में नापास विद्यार्थी है. जिन्हें अब मेरीट में लाना है. इसके लिए ग्रामीण व कृषि अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्रदान करनेवाली तकनीक विकसित करने पर पूरा ध्यान दिया जायेगा. इस आशय का प्रतिपादन केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी द्वारा किया गया. अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ में आयोजीत अमृत सरोवर लोकार्पण समारोह में उपरोक्त प्रतिपादन करते हुए केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि, ग्रामीण क्षेत्र में सभी समस्याओं का समाधान पानी से जुडा हुआ है. ऐसे में भरपुर पानी उपलब्ध करते हुए ग्रामीण क्षेत्र को समृध्द करने हेतु रास्तों के साथ ही तालाब निर्माण करने का सफल प्रयोग बुलडाणा जिले में किया गया. साथ ही अकोला जिले में भी डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के सहयोग से 34 तालाब तैयार हुए. जिनके जरिये 22 गांवों में जल स्तर बढ गया. जिसके चलते क्षेत्र के किसान अब नीबू की खेती करने में भी सक्षम है. जिससे उनकी आय बढ रही है. ऐसे में समृध्दी के लिए पानी का संवर्धन करना बेहद जरूरी है.
केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के मुताबिक रास्तों का काम करते समय रास्तों के किनारे छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण किया जाना चाहिए. यदि यह काम पूरे विदर्भ में किया जाता है, तो फिर कहीं पर भी बडे-बडे बांध बनाने की जरूरत नहीं पडेगी. इस क्षेत्र में बुलडाणा जिले में शानदार काम करते हुए हजारों हेक्टेयर जमीन के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई. इस जिले में 132 तालाब, 25 खेत तालाब तथा 81 गांव तालाब तैयार होने के चलते 22 हजार कुओं का जलस्तर बढा और 152 गांवों के पीने के पानी की समस्या हल हुई. साथ ही उन्होंने संशोधन को प्रोत्साहन देने की जरूरत प्रतिपादित करते हुए कहा कि, यदि पानी से हाईड्रोजन तैयार किया जाता है, तो बेहद कम खर्च में इस देश के किसान ही पूरे देश की इंधन संबंधी जरूरतों को पूर्ण कर सकते है. ऐसे में हाईड्रोजन व इथेनॉल का उत्पादन बढाने पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने आगामी समय में देसी नस्लवाली गायों का संशोधन करने की जरूरत प्रतिपादित करते हुए कहा कि, इस जरिये रोजाना दो लीटर दूध देनेवाली विदर्भ क्षेत्र की देसी गायों से रोजाना 20 लीटर दूध प्राप्त करने के प्रयोग पर काम किया जा रहा ह ै.