अकोला

व्याघ्र प्रकल्प के वर्हाड के प्रस्तावित रेल मार्ग को झटका

मार्ग परिवर्तित होने पर ४०० करोड़ का खर्चा बढ़ेगा

अकोला व्याघ्र प्रकल्प के रेलवे मार्ग को लेकर अन्य पहलूओं का विचार करने की भूमिका मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने अपनाई है. जिसका असर विदर्भ के रेलवे प्रकल्पों पर होने की प्रबल संभावना हैे. रेल मार्ग परावर्तित होने से खर्च का बोझ भी बढ़ने की संभावना है. यहां बता दे कि दक्षिण व उत्तर भारत को जोडनेवाला सबसे नजदीक का १४५० किमी का काचीगुडा जयपुर रेलमार्ग है. काफी महत्वपूर्ण इस मार्ग का ब्राडगेज करने का निर्णय लिया गया है. पहले चरण में काचीगुडा से पूर्णा व जयपुर से रतलाम इन रेलमार्गो का ब्राडगेज किया जायेगा.

वर्ष २०१० में अकोला से पूर्णा यह रेलमार्ग ब्राडगेज में परावर्तित हुआ है. २००८ में अकोला , खंडवा,रतलाम इन मार्गो के ब्राडगेज को मान्यता मिली है. काचीगुडा,जयपुर यह १४५० किमी का रेलमार्ग अब केवल अकोट से आमला के दरमियान ७८ किमी की दूरी में अधूरा है. बीते १ जनवरी २०१६ से मीटरगेज रेलमार्ग यातायात को बंद कर ब्राडगेज का काम हाथ में लिया गया. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प क्षेत्र सरंक्षित क्षेत्र ३८.२० किमी से गुजरता है. जिसमें अति सरंक्षित क्षेत्र लगभग १७ किमी है. यह ब्राडगेज अस्तित्व में आने पर मेलघाट के वन्य प्राणियों का अस्तित्व खतरे में आयेगा. यह दावा वन्यजीव प्रेमियों ने किया है. इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है.

अकोला-अकोट मार्ग जलद गति से पूरा

अकोला-अकोट ब्रॉडगेज का कार्य जलद गति से पूरा हुआ है. इसके लिए केन्द्रीय राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने लगातार प्रयास किया. ४४ किमी रेलमार्ग में ३८ छोटे, ३ बडे पुल, ५ रेल्वे स्टेशन, २२ रेल्वे गेट की जगह पर भुयारी पुल बनाए गये. इस मार्ग पर तेजी से ट्रेन दौडाने की सफल पहल भी की गई है. अब इस रेलमार्ग से प्रत्यक्ष ट्रेनों की दौडने की प्रतीक्षा है.

  • मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर व रेलमंत्री पियूष गोयल को पत्र भेजकर बाघो के अस्तित्व का प्रश्न उठाकर दूसरे मार्ग का पर्याय ढूंढने की मांग की. इसके बाद अकोट, हिवरखेड, संग्रामपुर, जलगांव जामोद से यह मार्ग गुजरेगा. जिससे ३० किमी की दूरी बढ़ेगी. जिसमें साढ़े ६ किमी का भुयारी मार्ग भी प्रस्तावित है. तकनीकी दृष्टि से यह मार्ग कठिन और खर्चीला होने से पुराने मार्ग पर ही रेल प्रशासन का फोकस नजर आ रहा है.
  • बुलढाणा जिले के जनप्रतिनिधि पर्यायी मार्ग के लिए आग्रही भूमिका रखे हुए है. वहीं पुराने मार्ग पर ही ब्रॉडगेज करने की डिमांड मेलघाट से की जा रही है. अब यह रेलमार्ग का विवादो का मुद्दा बन चुका है. इसलिए अनिश्चितकाल के लिए यह प्रकल्प लंबा खींचने की संभावना बढ़ गई है.
  • ब्रिटिश सरकार की ओर से प्रस्तावित किए गये खामगांव-जालना १५५ किमी का रेलमार्ग बीते ११० वर्षो से उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. वर्ष २०११-१२ में इस मार्ग को नये से मंजूरी दी गई. सर्वेक्षण के बाद इस मार्ग के लिए १,०२७ करोड रूपये खर्च अपेक्षित है. २०१६-१७ में पूंजी निवेश कार्यक्रम अंतर्गत रेलमार्ग को अनुमति दी गई. वर्ष २०१८ में राज्य सरकार ने समिति की स्थापना की. जिसमें अधिकारी और विशेषज्ञों का समावेश है. बीते डेढ़ से दो वर्षो से यहां का काम प्रभावित हुआ है. यह मार्ग आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं होने की बात सर्वेक्षण से सामने आयी है. इस ओर नजर अंदाज किया जा रहा है.
  • नरखेड-बडनेरा रेल मार्ग का वाशिम तक विस्तार करने की मांग बीते तीन दशको से की जा रही है. इस मार्ग के तीन सर्वेक्षण पूरे हो चुके है. हाल ही में वर्ष २०१९ में मार्ग का तीसरा सर्वेक्षण किया गया. जिसके चलते अब मार्ग को मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा है. वाशिम-बडनेरा यह १०० किमी का मार्ग बनने पर दिल्ली, बैंगलोर जाने के लिए तीसरा पर्याय उपलब्ध होगा.
  • अचलपुर-मुर्तिजापुर-यवतमाल इस ब्रिटिशकालीन नैरोगेज मार्ग पर दौडनेवाली शकुंतला ट्रेन डेढ़ वर्षो से रूकी हुई है. १९९६ से दौडनेवाली इस ट्रेन पर देश की आजादी के बाद भी मेसर्स क्लीक एण्ड निकसन कंपनी का ही नियंत्रण था. वर्ष २०१८ तक कंपनी के साथ प्रति १० वर्षो से करार बनाया गया. जिसके बाद भारतीय रेल की ओर से खतरनाक मार्ग का कारण बतलाकर शकुंतला ट्रेन के पहियों को स्थायी रूप से रोक दिया. ब्रॉडगेज की दृष्टि से कोई भी हलचल नहीं होने से यह मार्ग अब इतिहास के पन्नों में जमा हो गया है.

रेलमार्ग की आड में राजनीति

केन्द्र व राज्य के सत्ताधारी एक दूसरे के विरोधी है. जिसका खामियाजा अकोट-खंडवा रेलमार्ग को भुगतना पड रहा है. रेलमार्ग की आड में राजनीति शुरू होने का आरोप यात्रियों ने लगाया है. पुराने मार्ग पर ब्रॉडगेज करने को लेकर राज्य सरकार सहित शिवसेना का विरोध है. जबकि भाजपा इसके समर्थन में है. इस विवाद में रेलमार्ग का भविष्य अंधेरे में लटक गया है.

धूलघाट से रेलमार्ग गुजरने की संभावना

मेलघाट रेल विकास समिति की ओर से रेलमंत्रालय और केन्द्रिय वनमंत्री को निवेदन भेजकर धूलघाट से ब्रॉडगेज रेलमार्ग को लेकर निवेदन दिया था. यहां तक की सांसद नवनीत राणा, पूर्व विधायक आनंदराव अडसूल, मेलघाट के विधायक राजकुमार पटेल, पालकमंत्री यशोमती ठाकुर, राज्यमंत्री बच्चू कडू सहित अन्य नेताओं के प्रयासों के बाद मीटरगेज का ब्रॉडगेज में परावर्तित करने को मंजूरी मिली है. इसलिए अब धूलघाट रेलमार्ग पूरी संभावना जताई जा रही है. यदि इस मार्ग को हिवरखेड से बुलढाणा जिले के जामोद से जोडा जाता है तो रेल्वे विभाग को इसके लिए नया सर्वे कर भूमि अधिग्रहण करना होगा. इस पूरी प्रक्रिया में १० वर्ष से अधिक समय लग सकता है. वन व पर्यावरण मंत्रालय मई २०१८ में धूलघाट से ब्रॉडगेज जाने के लिए अपनी लिखित अनुमति दे चुका है. जिसके चलते इस रेलमार्ग के अन्य किसी रास्ते से ब्रॉडगेज होने की संभावना क्षीण हो चुकी है.

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